केवल प्लान बना, एक्शन कुछ नहीं

राजधानी में जाम आम समस्या है. इससे निबटने के लिए सरकार जितनी चिंतित है, उतना ही कोर्ट व जनता भी है. प्रभात खबर ने पिछले साल इस पर जागरूकता अभियान चलाया था. इसके बाद नगर निगम ने कुछ जगहों को चिह्न्ति कर जाम के लिए जिम्मेवार तत्वों के खिलाफ कार्रवाई भी की. लेकिन, जनता जिस […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 20, 2013 7:03 AM

राजधानी में जाम आम समस्या है. इससे निबटने के लिए सरकार जितनी चिंतित है, उतना ही कोर्ट व जनता भी है. प्रभात खबर ने पिछले साल इस पर जागरूकता अभियान चलाया था. इसके बाद नगर निगम ने कुछ जगहों को चिह्न्ति कर जाम के लिए जिम्मेवार तत्वों के खिलाफ कार्रवाई भी की. लेकिन, जनता जिस राहत की उम्मीद कर रही थी, वह उसे अब तक नहीं मिली. सवाल यह उठता है कि कई दौर की चर्चा व योजनाओं के बावजूद जाम अब भी आम क्यों है.

पटना: आबादी के साथ वाहनों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. जिला परिवहन कार्यालय के अनुसार 2005 से अगस्त, 2013 तक चार लाख 79 हजार 587 वाहनों (व्यावसायिक व निजी) का पंजीकरण हो चुका है. 2005 से पहले मैनुअल पंजीकरण होता था. इससे यह संख्या और बढ़ सकती है. वर्ष 2005-06 में जहां 26443 वाहनों का पंजीकरण हुआ, वहीं 2012-13 में 85862 तक पहुंच गया. इसी के साथ सड़क व ट्रैफिक पुलिस पर भी दबाव बढ़ा है. स्वीकृत पदों की अपेक्षा जवानों की कम संख्या के कारण ट्रैफिक की हालत खस्ता है. शहर में जब भी कोई बड़ा आयोजन होता है, यह कमी दिख जाती है.

ट्रैफिक एसपी नहीं
ट्रैफिक एसपी का पद भी अभी रिक्त है. नगर के सिटी एसपी इस पद को संभाल रहे हैं. सब इंस्पेक्टर, हवलदार व सिपाही भी स्वीकृत बल की अपेक्षा कम हैं. हालांकि, डीएसपी व इंस्पेक्टरपद पर क्षमता के अनुरूप पदाधिकारी मौजूद हैं.

समय-समय पर स्वीकृत बल की संख्या में वृद्धि हुई, पर जिस अनुपात में होना चाहिए वह नहीं हो सका. पटना की जनसंख्या फिलहाल 20 लाख के आस-पास है. एक अनुमान के अनुसार हर साल जनसंख्या में तीन फीसदी का इजाफा हो रहा है, जबकि 13 फीसदी वाहन बढ़ रहे हैं. 2031 तक पटना की जनसंख्या 36 लाख तक पहुंच जायेगी.

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