ऐतिहासिक है रघुराम कमेटी की रिपोर्ट : शैबाल

पटना: आद्री के सदस्य सचिव डॉ शैबाल गुप्ता ने रघुराम राजन कमेटी की रिपोर्ट को ऐतिहासिक दस्तावेज कहा है. साथ ही यह भी कहा कि अगर इसमें कुछ और बिंदुओं को शामिल कर लिया जाता, तो बिहार जैसे राज्यों को और लाभ होता. नोट ऑफ डिसेंट में तकनीकी बिंदुओं पर हमने बिहार की बात रखी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 30, 2013 7:17 AM

पटना: आद्री के सदस्य सचिव डॉ शैबाल गुप्ता ने रघुराम राजन कमेटी की रिपोर्ट को ऐतिहासिक दस्तावेज कहा है. साथ ही यह भी कहा कि अगर इसमें कुछ और बिंदुओं को शामिल कर लिया जाता, तो बिहार जैसे राज्यों को और लाभ होता. नोट ऑफ डिसेंट में तकनीकी बिंदुओं पर हमने बिहार की बात रखी है. रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद रविवार को पटना में मीडिया से पहली बार मुखातिब डॉ गुप्ता ने कहा कि उत्तरप्रदेश के बाद बिहार को इससे लाभ होगा. फंड अधिक मिल सकते हैं. केंद्र सरकार चाहे, तो टैक्स में छूट दे सकती है. कॉरपोरेट घरानों को टैक्स में लाखों करोड़ के टैक्स की छूट दी जाती है, तो अत्यंत पिछड़े राज्यों को क्यों नहीं.

कमेटी के सदस्य रहे डॉ गुप्ता ने कहा कि मैंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जानकारी में नोट ऑफ डिसेंट लिखा था. नोट ऑफ डिसेंट का यह मतलब नहीं है कि मैं इस रिपोर्ट से इत्तफाक नहीं रखता. आर्थिक रूप से पिछड़े राज्यों के लिए आजादी के बाद का यह सबसे अहम दस्तावेज है. यह रिपोर्ट सकारात्मक विकास पर एक नयी बहस छेड़ती है. इसमें आर्थिक आधार पर राज्यों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है.

केंद्र सरकार की ओर से राज्यों के पिछड़ेपन की बात कही जाती रही है, पर इसका कोई लिखित दस्तावेज नहीं था. यह रिपोर्ट राज्यों के पिछड़े होने का प्रमाण देता है. प्रदर्शन व राज्यों की जरूरत को आधार मान कर इसे तैयार किया गया है. राज्यों का वर्गीकरण हुआ है. खासकर अत्यंत पिछड़े राज्यों के लिए रिपोर्ट काफी अहम है. नोट ऑफ डिसेंट में तकनीकी बिंदुओं पर विचार दिया है.

प्रति व्यक्ति आय, साख-जमा अनुपात, बिजली की खपत व उपलब्धता, शहरीकरण, शिशु मृत्यु दर, सड़क जैसे मुद्दों को शामिल किया जाता, तो बिहार पहले नंबर पर होता और दूसरे स्थान पर रहनेवाले राज्यों के बीच भी काफी अंतर होता. रिपोर्ट में माल-भाड़ा समानीकरण को शामिल नहीं किया गया. बिहार को सबसे अधिक खामियाजा इससे ही भुगतना पड़ा है. कमेटी की यह रिपोर्ट स्थायी नहीं है. पांच साल के बाद इसमें परिवर्तन की बात की गयी है. हम उम्मीद करते हैं कि अगले पांच साल के बाद जब कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा होगी, तो इन बिंदुओं को जरूर शामिल किया जायेगा.

फंड वितरण का नया मानक
कमेटी ने फंड वितरण का नया मानक तैयार किया है. फंड वितरण में वित्त आयोग, योजना आयोग या बीआरजीएफ, किसमें इस रिपोर्ट को शामिल किया जायेगा, यह केंद्र पर निर्भर है. वैसे कमेटी ने कहा है कि अगर राज्यों को केंद्र सरकार कुछ और देना चाहे, तो वह दे सकती है. रिपोर्ट आने के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा भी है कि वह विशेष राज्य के दर्जा पर मानकों के मामले में शिथिलता बरतेंगे. यह सकारात्मक संकेत है. विपक्ष के एक नेता की टिप्पणी पर उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट को सकारात्मक रूप से लिया जाना चाहिए. मौके पर आद्री के पीपी घोष भी मौजूद थे.

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