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चार दिवसीय दौरे पर ब्रिटिश प्रतिनिधिमंडल नालंदा पहुंचे

बिहारशरीफ (नालंदा) जिले में जैविक विधि से हो रही सब्जी की खेती और मशरूम उत्पादन को देखने के लिए चार दिवसीय दौरे पर आये ब्रिटिश ऑल पार्टी पार्लियामेंटरी ग्रुप ऑन एग्रीकल्चर एंड फूड डेवलपमेंट (एपीपीजी) का नौ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का सोमवार को जिला प्रशासन एवं कृषि विभाग की ओर से स्वागत किया गया. स्थानीय परिसदन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 30, 2013 10:50 PM

बिहारशरीफ (नालंदा)

जिले में जैविक विधि से हो रही सब्जी की खेती और मशरूम उत्पादन को देखने के लिए चार दिवसीय दौरे पर आये ब्रिटिश ऑल पार्टी पार्लियामेंटरी ग्रुप ऑन एग्रीकल्चर एंड फूड डेवलपमेंट (एपीपीजी) का नौ सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का सोमवार को जिला प्रशासन एवं कृषि विभाग की ओर से स्वागत किया गया. स्थानीय परिसदन में उप विकास आयुक्त साकेत कुमार की अध्यक्षता में जिले के अधिकारियों का एक दल ने स्वागत किया.

सदस्यों ने कृषि पदाधिकारी, उद्यान पदाधिकारी और उप विकास आयुक्त से जैविक खेती, श्री विधि से रिकॉर्ड उत्पादन, मशरूम उत्पादन में महिलाओं की भागीदारी के संबंध में जानकारी प्राप्त की. पार्लियामेंटरी ग्रुप के सदस्यों ने यह जानने का प्रयास किया कि जिले में रासायनिक उर्वरकों से किसानों की निर्भरता को समाप्त करने में क्या कठिनाइयां आयीं और उससे कैसे निबटा जाये. इसके अलावा फ्रांस की कंपनी इकोसर्ट द्वारा सी-3 प्रमाणपत्र लेने में क्या बाधाएं आयीं. इन विषयों पर सदस्यों ने गहराई से पूछताछ कर जानकारी प्राप्त की.

इन सदस्यों ने कुपोषण के फासले को पाटने में महिलाओं की भूमिका पर भी चर्चा की. जिले में मशरूम उत्पादन में महिलाओं की आम भागीदारी और कुपोषण दूर करने में उनकी भूमिका पर भी विस्तार से जानकारी ली. पार्लियामेंटरी ग्रुप में लिवरल डेमोक्रेटिक पार्लियामेंटरी पार्टी के अंतरराष्ट्रीय मामलों के उपाध्यक्ष लॉर्ड डेविड चीडगे, एमपी सर टोनी कनिंघम, हाउस ऑफ लॉर्ड के सदस्य लॉर्ड कैमरन, लॉर्ड ग्रांट चेस्टर आदि प्रमुख सदस्य शामिल हैं. पार्लियामेंटरी ग्रुप का मुख्य उद्देश्य विकाशील दZVf में कृषि, पोषण और खाद्य सुरक्षा से संबंधित जानकारी प्राप्त करना है ताकि नीति निर्धारक और खेतिहर के बीच एक सेतु का निर्माण किया जा सके. विश्वव्यापी गरीबी से निबटने तथा दुनिया के लगभग 450 मिलियन छोटे किसानों द्वारा 02 बिलियन आबादी के भोजन उपलब्ध कराने में सहायक नीतियां बन सके.

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