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कैसे होगी बिहार की तरक्की, 50 फीसदी पंचायतों में अब भी नहीं है बैंकिंग सुविधा

बिहार में प्रति हजार पर बैंक की शाखाएं राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी कम हैं. देश में प्रति 11 हजार पर बैंक की एक शाखा है, जबकि बिहार में प्रति 16 हजार पर एक.

पटना. बिहार की आधी से कम पंचायतों में ही बैंक की शाखाएं हैं. बिहार में कुल 8086 पंचायतें हैं, जबकि बिहार में बैंकों की कुल शाखाएं ही 7816 हैं. यदि ग्रामीण क्षेत्र की बैंकों की शाखाओं देखें ,तो स्थिति और स्पष्ट हो जाती है. राज्य के ग्रामीण क्षेत्र में महज 3765 शाखाएं ही हैं. इस तरह देखें, तो राज्य की 50% भी पंचायतों में भी बैंक की ब्रिक एंड मोर्टार बैंक शाखाएं नहीं हैं. इसका सीधा असर प्राथमिक सेक्टर ऋण पर पड़ता है.

किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड से लेकर कृषि टर्म लोन तक लक्ष्य के अनुसार नहीं मिल पाता है. इतना ही नहीं इसका असर प्रति हजार बैंक की शाखाओं पर भी पड़ता है. बिहार में प्रति हजार पर बैंक की शाखाएं राष्ट्रीय औसत की तुलना में काफी कम हैं. देश में प्रति 11 हजार पर बैंक की एक शाखा है, जबकि बिहार में प्रति 16 हजार पर एक.

राज्य सरकार का ऑफर पंचायत सरकार भवन में ब्रांच खोले बैंक

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई मौक पर कह चुके हैं कि बैंक राज्य की हर ग्राम पंचायत में शाखा खोले, सरकार हर तरह की सहायता देने को तैयार है. ग्राम पंचायतों में बन रहे पंचायत सरकार भवन में बैंक को शाखा खोलने के लिए स्थान दिया जायेगा. राज्य के करीब 1500 से अधिक पंचायतों में पंचायत सरकार भवन बन कर तैयार हैं. अभी चार मार्च को राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की 83वीं और 84 वीं की संयुक्त बैठक में वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी ने भी पंचायत सरकार भवन में बैंक की शाखा खोलने के लिए बैंक के आलाधिकारियों से कहा.

बैंकों का तर्क

बैंक के एक अधिकारी का कहना है कि आज बैंक की पहुंच सभी जगह हो गयी है. जिन पंचायत या गांव में बैंक की शाखा नहीं है, वहां बैंक बिजनेस कॉरेस्पोंडेट (बीसी) के जरिये लोगों को बैंकिंग सुविधा उपलब्ध करवा रहा है. राज्य में कुल 34701 बीसी काम कर रहे हैं. हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार प्रति 5000 की आबादी वाले गांव में बैंक की शाखाएं होनी चाहिए.

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