सुखाड़ के बाद अब अनुदान की मार झेल रहे जिले के किसान
बिहारशरीफ (नालंदा) . सुखाड़ से परेशान किसान सब्सिडी की मार भी झेल रहे हैं. नालंदा को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने से किसानों को यह उम्मीद जगी थी कि इसकी भरपाई के लिए रबी फसल उपजाने के लिए सरकार द्वारा कृषि यंत्रों पर सब्सिडी मिलेगी, लेकिन इस वित्तीय वर्ष में अब तक कृषि यंत्रों पर सब्सिडी […]
बिहारशरीफ (नालंदा) .
सुखाड़ से परेशान किसान सब्सिडी की मार भी झेल रहे हैं. नालंदा को सूखाग्रस्त क्षेत्र घोषित करने से किसानों को यह उम्मीद जगी थी कि इसकी भरपाई के लिए रबी फसल उपजाने के लिए सरकार द्वारा कृषि यंत्रों पर सब्सिडी मिलेगी, लेकिन इस वित्तीय वर्ष में अब तक कृषि यंत्रों पर सब्सिडी नहीं मिलने से किसान खासे चिंतित हैं. अब उनके पास पलायन के अलावा कोई रास्ता नहीं दिख रहा है. सरकार द्वारा अब तक वित्तीय वर्ष 2013-14 में कृषि यंत्रों पर कोई अनुदान की राशि नालंदा में नहीं भेजी गयी है. इस कारण किसान के साथ-साथ कृषि यंत्रों के निर्माता और संचालक भी मंदी की मार झेल रहे हैं. बिडंबना तो यह है कि कृषि विभाग द्वारा एक भी कृषि मेला नहीं लगाया गया है, जबकि प्रत्येक माह कृषि मेला लगाया जाता था. किसानों को अनुदान पर कृषि यंत्र से लेकर ट्रैक्टर, पावर टिलर तक मुहैया कराय जाता था, लेकिन जब से नये जिला कृषि पदाधिकारी ने अपना योगदान दिया है, तब से कृषि मेले का आयोजन बंद पड़ा हुआ है. जिले के नूरसराय और बिहारशरीफ में 40 से 50 ऐसे छोटे-छोटे कृषि यंत्रों के कारखाने स्थापित हैं, जो पूर्णत: सब्सिडी पर निर्भर हैं, परंतू कृषि यंत्रों पर अनुदान बंद होने के कारण ये लघु कारखाने भी ठप पड़े हुए हैं. किसान कृषि यंत्रों के दुकानों में जाते भी हैं, तो उन्हें संचालक यह कह कर लौटा रहे हैं कि सरकार का कोई सब्सिडी ही नहीं आ रही है तो वे कृषि यंत्र कैसे दे सकते हैं. थक-हार कर किसान खाली हाथ लौट रहे हैं. कृषि यंत्रों के विक्रेताओं का कहना है कि पिछले अनुदान की राशि आज तक उन्हें कृषि विभाग से नहीं मिली है. जान-बूझ कर कृषि पदाधिकारी पिछले अनुदान की राशि देने में आनाकानी कर रहे हैं. ऐसे में और अपनी पूंजी डूबाना नहीं चाहते हैं. जिले के किसान खरीफ की खेती में अपनी पूंजी लगा दी और उन्हें सुखाड़ का सामना करना पड़ा. किसान किसी तरह रबी की खेती करने के लिए हिम्मत जुटा भी रहे हैं तो उनके सामने कृषि यंत्रों की खरीद की समस्या आ रही है. खेतों में बड़े-बड़े घास उग आये हैं, जिसकी जुताई के लिए पावर टिलर, रोटावेटर, ट्रैक्टर आदि की बेहद आवश्यकता पड़ रही है. लेकिन अनुदान नहीं मिलने के कारण एकमुश्त राशि से किसान इन यंत्रों को खरीद पाने में बिल्कुल लाचार हैं. अब उनके पास अपने परिवारों के भरण-पोषण के लिए प्रदेशों में पलायन करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं दिख रहा है. इधर, कृषि यंत्रों के संचालक भी कृषि विभाग के रवैये से क्षुब्ध हैं.
कृषि विभाग न तो कृषि मेला लगा रहा है और न ही कृषि अनुदान के प्रति गंभीर है. दीपनगर के किसान नरेश प्रसाद बताते हैं कि वे महाजनों से कर्ज लेकर किसी तरह से खरीफ की खेती की, लेकिन बारिश ने उनका साथ नहीं दिया और धान के पौधे खेत में हीं सूख गये. अब उनमें हिम्मत नहीं है कि दोबारा कर्ज लेकर रबी खेती के लिए कृषि यंत्र खरीद सकें. यही समस्या बिंद के किसान शंभु कुमार और पंकज कुमार के साथ भी है. इनके खेतों में भी बड़े-बड़े घास उग आये हैं, लेकिन तंगी हालात के कारण कृषि यंत्र नहीं खरीद पा रहे हैं. उन्हें यह विश्वास था कि कृषि विभाग शीघ्र अनुदान उपलब्ध करवायेगा.