बिहार में बैंकों के दराज में धूल फांक रहे है MPEGP के 5212 आवेदन
लोन से जुड़ी रोजगार योजनाओं में अधिकतर बैंकों का रवैया पिछले एक साल से गैर जवाबदेही भरा बना हुआ है. दरअसल 24 बैंकों के दराज में प्रधानमंत्री राेजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमइजीपी) से जुड़े लोन के 5212 मामले पिछले वित्तीय वर्ष से धूल फांक रहे हैं.
पटना. लोन से जुड़ी रोजगार योजनाओं में अधिकतर बैंकों का रवैया पिछले एक साल से गैर जवाबदेही भरा बना हुआ है. दरअसल 24 बैंकों के दराज में प्रधानमंत्री राेजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमइजीपी) से जुड़े लोन के 5212 मामले पिछले वित्तीय वर्ष से धूल फांक रहे हैं. मंजूरी की आस में आवेदक कभी बैंकों की चौखट पर दस्तक दे रहे हैं, तो कभी उद्योग विभाग के महाप्रबंधकों के ऑफिस के चक्कर काट रहे हैं.
बैंक जवाब नहीं दे रहे और उद्योग महाप्रबंधकों का कहना है कि हम आवेदन बैंकों को भेज चुके हैं. हम क्या करें? फिलहाल पेंडुलम की तरह घूम रहे आवेदकों की पीड़ा यह है कि जब तक बैंकों की हां या ना नहीं होती, तब तक वह दूसरी बार भी आवेदन नहीं कर पायेंगे. इसी संदर्भ में एक अन्य तथ्य यह है कि बांका,भागलपुर, बक्सर, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, सहरसा,सारण,सीतामढ़ी एवं सुपौल से अभी तक इस योजना के तहत एक भी आवेदन बैंकों के पास नहीं गया है.
नये वित्तीय वर्ष में जिला उद्योग महाप्रबंधकों ने लटकाये 284 आवेदन
नये वित्तीय वर्ष 2021 -22 में 31 मई तक प्रदेश में पीएमइजीपी के 284 से अधिक मामले जिला उद्योग महाप्रबंधकों ने लटका रखे हैं. यह वे आवेदन हैं, जो तीस दिनों से अधिक समय से लंबित हैं. उद्योग निदेशक ने इसको लेकर जिला उद्योग महाप्रबंधकों से सख्त नाराजगी जाहिर की है. लिखा है कि इन सभी आवेदनों पर अविलंब कार्रवाई करके सूचित करें.
उद्याेग निदेशक ने इसे गंभीर मामला बताया है. तीस दिनों से अधिक समय से लंबित मामलों में सबसे ज्यादा लंबित मामले दरभंगा में 54 , कैमूर में 49, मुजफ्फरपुर में 32 , बक्सर में 27, मधुबनी में 25, नालंदा में 20 ,जमुई में 19, जहानाबाद में 18 वहां के उद्योग महाप्रबंधकों के पास लंबित हैं.
30 दिनों में देनी होती है लोन मंजूरी या निरस्ती की सूचना
वित्तीय वर्ष के 2020-21 से लंबित इन पांच हजार से अधिक मामलों के समाधान के लिए राज्य के उद्योग निदेशक ने 24 विशेष बैंकों को सख्त पत्र लिखा है़ केंद्रीय वित्त मंत्रालय के नियमानुसार 30 दिनों के अंदर लोन मंजूरी या निरस्ती की सूचना आवेदक को देनी होती है, जबकि इन आवेदकों को लंबित हुए साल भर से अधिक समय हो चुका है.
Posted by Ashish Jha