राहुल को देश को संकट से उबारने वाली नीतियों की चर्चा करनी चाहिए:वर्धन

पटना : भाकपा के पूर्व महासचिव ए बी वर्धन ने आज कहा कि पारिवारिक भावनात्मक बातों की जगह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को देश को संकट से उबारने वाली नीतियों की चर्चा करनी चाहिए.पटना में आज पत्रकारों से बात करते हुए वर्धन ने कहा कि इनदिनों राहुल गांधी अपने संबोधनों में अपने परिवार से संबंधित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 23, 2013 7:42 PM

पटना : भाकपा के पूर्व महासचिव ए बी वर्धन ने आज कहा कि पारिवारिक भावनात्मक बातों की जगह कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को देश को संकट से उबारने वाली नीतियों की चर्चा करनी चाहिए.पटना में आज पत्रकारों से बात करते हुए वर्धन ने कहा कि इनदिनों राहुल गांधी अपने संबोधनों में अपने परिवार से संबंधित भावुक बातें कर रहे हैं. भावुक बातें अपनी जगह ठीक हैं और राहुल के मन में इस तरह की भावना का आना वह स्वभाविक समझते हैं पर जनता की उसी में तो दिलचस्पी नहीं है.

वर्धन ने कहा कि लोग अपने-अपने परिवार और भावनाओं में डूबे हुए हैं पर जहां तक चुनाव और देश के भविष्य का मामला है जनता उन नीतियों को जानना चाहती है कि किसके जरिए देश को संकट से उबारा जा सकता है और उनकी दिलचस्पी उसी में है. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी को भावी प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर भाजपा अगले लोकसभा चुनाव को राहुल गांधी और मोदी के बीच की लडाई तक सीमित रखने की कोशिश में लगी है.

वर्धन ने कहा कि देश का मतदाता बुद्धिमान और अनुभवी है और उन्होंने कई बार राजनीतिक दलों को भी सबक सिखाया है क्योंकि वे जानते हैं कि चुनाव में अपना निर्णय नेताओं नहीं बल्कि नीतियों के आधार पर करना है इसलिए वे देश को आर्थिक संकट से उबारने के लिए वैकल्पिक नीति चाहते हैं. उन्होंने कहा कि जहां तक वैकल्पिक नीति का प्रश्न है तो इस मामले में भाजपा और कांग्रेस में बहुत बडा अंतर नहीं है और आर्थिक मामले में दोनो पूंजिवादी और उदारवादी नीति का अनुसरण करते हैं.

भाकपा के पूर्व महासचिव वर्धन ने आरोप लगाया कि विदेश नीतियों के मामले में कांग्रेस और भाजपा में बहुत अंतर नहीं है क्योंकि वे पश्चिमी विकसित देशों और अमेरिका का अनुसरण अपना धर्म समझते हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा और कांग्रेस में अंतर केवल इतना है कि एक विरोधी दल है तो दूसरा सत्ताधारी दल है और वे अपनी स्थिति के अनुसार हो-हल्ला और बयानबाजी करते रहते हैं.

वर्धन ने कहा कि अगले लोकसभा चुनाव में जनता के समक्ष सबसे बडा प्रश्न महंगाई का है क्योंकि वर्तमान में प्याज के दाम सौ रुपये किलोग्राम हो गए हैं और उसका अनुसरण करते हुए बाकी अन्य सब्जियों की कीमतों में भी उछाल आने लगा है. उन्होंने कहा कि भारत में विकास दर में कमी आने से ऑद्योगिक प्रष्ठिनों में मंदी छायी है जिसके परिणामस्वरुप उनके बंदी के कगार पर पहुंचने से बेरोजगारी बढी है.

वर्धन ने कहा कि भूमि सुधार इन दोनों दलों को मंजूर नहीं जबकि हम वामपंथी दल देश की उन्नति के लिए इसे जरुरी मानते हैं. उन्होंने अगले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के 110 से 115 सीटों तक सिमट जाने और भाजपा के 135 से 140 सीटें आने की संभावना जताते हुए दावा किया ऐसी स्थिति न तो संप्रग और न ही राजग बहुमत की सरकार बनाने में असमर्थ होंगे और ऐसे समय में अन्य दलों जिसमें कई क्षेत्रीय दल भी शामिल हैं पर यह जिम्मेवारी आएगी कि कोई वैकल्पिक गठबंधन या मोर्चा बनाने के लिए कदम उठाएं.

वर्धन ने कहा कि वे यह स्वीकार करते हुए चुनाव पूर्व ऐसा नया गठबंधन या मोर्चा बन पाना कठिन होगा पर चुनाव बाद ऐसा संभव हो सकता है. उन्होंने कहा कि वामदल की सोच है कि कांग्रेस और भाजपा से अलग हटकर बनने वाला नया गठबंधन या मोर्चा एक वैकल्पिक नीति और कार्यक्रम के आधार पर बने.

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