संजीव, भागलपुर. जागरूकता के अभाव में पांच साल तक के बच्चों का औसतन 59.1 फीसदी ही बर्थ सर्टिफिकेट (जन्म प्रमाणपत्र) बना है. यही हाल भागलपुर सहित काेसी, समीमांचल व पूर्व बिहार के 13 जिलों का है. इनमें अधिकतर जिलों में औसतन 25 प्रतिशत बच्चों का जन्म रजिस्ट्रेशन ही नहीं हुआ है. पिछले माह भागलपुर कमिश्नरी में हुई स्वास्थ्य विभाग से संबंधित बैठक में प्रमंडलीय आयुक्त ने इस बात का निर्देश सिविल सर्जन को दिया था कि बच्चे के जन्म के साथ ही नवजात की मां को बर्थ सर्टिफिकेट सौंप दें, ताकि इसकी समस्या किसी को बाद में न हो.
भारत सरकार के केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-पांच) कराया था. इसकी वर्ष 2019-21 की रिपोर्ट मंत्रालय ने जारी की है. इस रिपोर्ट में पांच साल तक के बच्चों के आंकड़े (प्रतिशत में) जारी किये गये हैं. बर्थ सर्टिफिकेट बने और बर्थ रजिस्ट्रेशन होने के बावजूद बर्थ सर्टिफिकेट नहीं बनने के अांकड़े हैं.
अररिया में 59.8, बांका में 73.8, भागलपुर में 74.1, जमुई में 68.4, कटिहार में 80.9, खगड़िया में 66.8, किशनगंज में 74.3, लखीसराय में 74.8, मधेपुरा में 61.8, मुंगेर में 84.8, पूर्णिया में 73.5, सहरसा में 75.8 और सुपौल में 67.8 प्रतिशत बच्चों का जन्म सरकारी दस्तावेज में रजिस्टर्ड हैं.
जन्म की तारीख का प्रमाणित दस्तावेज है जन्म प्रमाणपत्र. इसके आधार पर कई तरह के दस्तावेज और प्रमाणपत्र तैयार कराये जाते हैं. स्कूल में दाखिला के लिए इसकी जरूरत होती है. राशन कार्ड बनाने में यह उपयोगी होता है. पासपोर्ट व वोटर कार्ड बनाने के समय इसे जमा करना पड़ता है. जन्म प्रमाणपत्र सबसे बेहतर आधार है कि अमुक व्यक्ति की उम्र कितनी हो गयी.
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अररिया : 43.0
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बांका : 52.5
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भागलपुर : 59.1
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जमुई : 50.7
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कटिहार : 63.8
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खगड़िया : 48.6
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किशनगंज : 48.4
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लखीसराय : 54.5
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मधेपुरा : 47.6
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मुंगेर : 61.9
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पूर्णिया : 59.8
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सहरसा : 43.8
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सुपौल : 47.5
(नोट : आंकड़े प्रतिशत में)