आनंद तिवारी, पटना. पटना में ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों में 60% की आंखों पर अधिक असर दिख रहा है. 40% के नाक और मुंह में संक्रमण देखा जा रहा है, जो मामूली ऑपरेशन से ठीक हो रहे हैं. शहर के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान, पीएमसीएच, एनएमसीएच व पटना एम्स में अब तक ब्लैक फंगस से जुड़े करीब 500 मरीज आये हैं.
इनमें 230 से अधिक मरीज भर्ती हैं. इनमें 130 से अधिक मरीजों के आंखों पर असर पाया गया. 36 मरीजों की आंखों की सर्जरी भी की गयी है, जबकि करीब 25 मरीजों के मुंह और नाक तक ही संक्रमण पहुंच पाया था. इसे सर्जरी से साफर कर दिया गया है.
डॉक्टरों के मुताबिक रोजाना आने वाले करीब 30% मरीजों को ही भर्ती करना पड़ रहा है. बाकी को दवा व इंजेक्शन से ठीक कर घर भेज दिया जा रहा है. सुखद यह है कि सभी मरीजों की हिस्ट्री के हिसाब से डॉक्टर इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि अगर समय से इस बीमारी की डायग्नोसिस हो जाये, तो फंगस के आंखों पर असर को रोका जा सकता है.
आंकड़ों में खुलासा हुआ है कि यह बीमारी उन्हीं कोरोना संक्रमित या कोरोना से जंग जीत चुके लोगों को हो रही है, जो डायबिटीज पीड़ित हैं या बहुत अधिक इम्युनो कंप्रोमाइज यानी इम्युन सिस्टम जीरो है. इसे खून की जांच से डॉक्टर पता कर रहे हैं. जो रोगी डायबिटीज पीड़ित नहीं थे, उनकी आंखों पर असर बहुत कम हुआ. इसे एम्फोटेरेसिन बी इंजेक्शन से बनाएं ड्रॉप से ठीक कर लिया गया.
नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ सुनील कुमार सिंह ने बताया कि आंखों में संक्रमण पहुंचने से बहुत जल्दी दिमाग तक पहुंच जाता है. फिर इसे रोक पाना काफी कठिन होता है. ब्रेन में संक्रमण नहीं फैले, इससे बचने के लिए आंखें निकालने की नौबत आ जाती है. हालांकि बिहार में अभी एेसे केस नहीं आये हैं. ऑपरेशन के बाद मरीजों को डिस्चार्ज भी किया जा रहा है.
Posted by Ashish Jha