बिहार में निजी स्कूलों की मनमानी से अभिभावक परेशान, सरकारी स्कूलों में एडमिशन लेनेवाले 60 फीसदी छात्र प्राइवेट स्कूलों के
पटना के विभिन्न निजी स्कूलों में पढ़ने वाले कई छात्र-छात्राएं महंगी फीस से परेशान होकर सरकारी स्कूलों में नामांकन ले रहे हैं. हर दिन सरकारी स्कूलों में ऐसे अभिभावक आ रहे हैं, जो निजी स्कूलों की मनमानी और महंगी फीस से परेशान होकर अपने बच्चे का नामांकन सरकारी स्कूल में करवाना चाह रहे हैं.
साकिब, पटना. पटना के विभिन्न निजी स्कूलों में पढ़ने वाले कई छात्र-छात्राएं महंगी फीस से परेशान होकर सरकारी स्कूलों में नामांकन ले रहे हैं. हर दिन सरकारी स्कूलों में ऐसे अभिभावक आ रहे हैं, जो निजी स्कूलों की मनमानी और महंगी फीस से परेशान होकर अपने बच्चे का नामांकन सरकारी स्कूल में करवाना चाह रहे हैं.
यह बदलाव इन दिनों जिले के सरकारी स्कूलों में चल रहे विशेष नामांकन अभियान के दौरान दिख रहा है. जिले में 20 मार्च तक अभियान चलेगा. इस दौरान देखा जा रहा है कि कोरोना ने अभिभावकों की आर्थिक स्थिति खराब कर दी है और स्कूलों की मनमानी फीस देने में उन्हें परेशानी हो रही है. ऐसे में उन्हें अपने बच्चों के लिए सरकारी स्कूल पसंद आ रहे हैं.
60 फीसदी बच्चे आ रहे हैं निजी स्कूल छोड़कर
बालक मध्य विद्यालय, गोलघर पार्क के प्रधानाध्यापक शशिकांत सिन्हा कहते हैं कि विशेष नामांकन अभियान के दौरान हमारे यहां जितने छात्र नामांकन लेने आ रहे हैं, उनमें से करीब 60% ऐसे रहते हैं, जो अब तक निजी स्कूलों में पढ़ रहे थे. उनके अभिभावकों से बातचीत में पता चलता है कि कोरोना काल में उनके परिवार की आर्थिक स्थिति खराब हुई है.
निजी स्कूल हजारों रुपये फीस के रूप में मांग रहे हैं. ऐसे में बहुत से अभिभावक हमारे पास अपने बच्चे को लेकर नामांकन करवाने आ रहे हैं. कन्या मध्य विद्यालय, अदालतगंज, तारामंडल की प्रधानाध्यापिका शारदा कुमारी कहती हैं कि हमारे स्कूल में भी कई ऐसी बच्चियों ने नामांकन लिया है, जो पहले निजी स्कूलों में पढ़ रही थी. ऐसी कई बच्चियों के अभिभावक नामांकन के लिए पूछताछ करके भी गये हैं.
अगले कुछ दिनों में कई और ऐसी बच्चियों का नामांकन होगा.बालक मध्य विद्यालय, अदालतगंज की प्रधानाध्यापिका पूनम कुमारी कहती हैं, कोरोना काल में करीब 30 बच्चों ने निजी स्कूलों को छोड़कर हमारे यहां नामांकन लिया है. अभी चल रहे विशेष नामांकन अभियान के दौरान भी पांच से छह बच्चे ऐसे आये हैं. निजी स्कूलों की महंगी फीस देना अब उनके अभिभावकों के लिए मुश्किल हो गया है.
कन्या मध्य विद्यालय, अदालतगंज वाटर टावर के प्रधानाध्यापक असीम मिश्रा कहते हैं कि विशेष नामांकन अभियान में हमारे यहां नौ बच्चियों का नामांकन हुआ, जिनमें से सात-आठ निजी स्कूल छोड़ कर आयी हैं.
डाकबंगला चौराहे पर स्थित राजकीय बालिका उच्च विद्यालय, बोरिंग रोड की प्रधानाध्यापिका मीना कुमारी कहती हैं कि हमारे पास भी बड़ी संख्या में निजी स्कूलों में पढ़ने वाली छात्राएं नामांकन के लिए पूछताछ करने आ चुकी हैं.
Posted by Ashish Jha