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केंद्र ने मांगा सड़कों का प्रस्ताव

पटना: केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बिहार से अविलंब सड़कों का प्रस्ताव भेजने को कहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिख कर उन्होंने कहा है कि नवंबर तक अगर बिहार से प्रस्ताव मिल जाये, तो दिसंबर तक सड़कों की मंजूरी भी दी जायेगी. बिहार को 5500 […]

पटना: केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत बिहार से अविलंब सड़कों का प्रस्ताव भेजने को कहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिख कर उन्होंने कहा है कि नवंबर तक अगर बिहार से प्रस्ताव मिल जाये, तो दिसंबर तक सड़कों की मंजूरी भी दी जायेगी.

बिहार को 5500 करोड़ रुपये की लागत से बननेवाली सात हजार किमी लंबी सड़कों का प्रस्ताव भेजना है. अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि इस वर्ष छह जुलाई को पटना में हुई बातचीत के दौरान पीएमजीएसवाइ पर चर्चा हुई थी.

चालू वित्तीय वर्ष में केंद्र सरकार ने 5517 किमी की मंजूरी दे दी है. इसकी लागत राशि 2439 करोड़ रुपये है. दूसरे चरण में सात हजार किमी सड़कों की मंजूरी मिलनी है. इस मद में साढ़े पांच हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि प्रस्ताव के लिए वे ग्रामीण कार्य विभाग के अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में हैं. बिहार सरकार की ओर से यह सबसे बड़ा प्रस्ताव भेजा जाना है. इस प्रस्ताव के बाद बिहार की सभी सड़कों की स्वीकृति मिल जायेगी. केंद्रीय मंत्री ने सीएम को भरोसा दिया है कि अगर नवंबर तक प्रस्ताव मिल गये, तो दिसंबर तक उसकी स्वीकृति भी दे दी जायेगी.

क्यों लिखना पड़ा पत्र
आमतौर पर पीएमजीएसवाइ में सड़कों की मंजूरी मिलने में होनेवाली देरी पर राज्य सरकारें केंद्र पर ही अपना दोष मढ़ती हैं. मौजूदा केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश की दिलचस्पी के कारण ऐसी स्थिति नहीं है. अब राज्य सरकार की ओर से ही विलंब हो जा रही है. सरकार ने स्टेट कोर नेटवर्क बनाया है. जिन गांवों में सड़कें बननी हैं, उसका पूरा विवरण कागजों के अलावा ऑनलाइन भी देना पड़ता है.

मंत्रालयने इसके लिए ऑनमास मॉडयूल बना रखा है. सड़कों की ऑनलाइन इंट्री में ग्रामीण कार्य विभाग की रफ्तार सुस्त है. बीआरआरडीए के अधिकारियों द्वारा अक्सर कार्यपालक अभियंताओं को पत्र लिखा जाता है, पर इसमें तेजी नहीं आ सकी है. विभाग ने इस कार्य के लिए सहायक अभियंताओं को नोडल अधिकारी भी बनाये हैं. अक्तूबर तक का लक्ष्य था पर ऑनलाइन इंट्री का काम नहीं किया जा सका है. अब केंद्रीय मंत्री के पत्र के बाद ग्रामीण कार्य विभाग के लिए यह चुनौती है कि वह नवंबर तक हर हाल में अपना डीपीआर मंत्रलय को भेज दे ताकि दिसंबर तक उसकी मंजूरी मिल जाये.

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