बिहारशरीफ/राजगीर .
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पुत्री प्रो उपिंदर कौर अपने दो सहयोगियों के साथ शुक्रवार को बोधगया से राजगीर पहुंची. उन्होंने यहां पहुंचने पर स्वर्ण भंडार गुफा, रथ का चक्का, किले का प्राचीर, आजातशत्रु स्तूप, जरासंध का अखाड़ा आदि का भ्रमण किया. प्रो उपिंद्र कौर ने पुरातत्व विभाग के गाइड कमला सिंह से इन ऐतिहासिक स्थलों के बारे में जानकारी प्राप्त की. पुरातत्व विभाग के अनुसार, राजगीर का स्वर्ण भंडार तीसरी-चौथी शताब्दी का है. इसे मुनि भैरव ने खुदवाया था और यहां मूर्ति भी लगवायी थी. स्वर्ण भंडार में लिखी लिपि को आज तक पढ़ी नहीं जा सकी है, जिससे इस स्वर्ण भंडार की गुत्थी अब तक नहीं सुलझ सकी है. गाइड ने बताया कि ब्रिटिश शासनकाल में इस स्वर्ण भंडार को तोप से खंडित करने का प्रयास किया गया था. लेकिन इसे कोई विशेष क्षति नहीं हुई है. रथ के चक्के का पहाड़ पर चिह्न् देख प्रो उपिंदर कौर ने उसकी भी जानकारी प्राप्त की. रथ के चक्के के पास लिखी लिपि भी अब तक पढ़ी नहीं जा सकी है. यह लिपि भी पांचवीं से आठवीं शताब्दी पूर्व की है. गाइड ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण भीम व अजरुन को लेकर यहां मगध के राजा जरासंध से युद्ध करने आये थे. उनका रथ यहीं पहाड़ पर उतरा था. गाइड ने बताया कि राजा अजातशत्रु या बिंबिसार के समय का चिह्न् है. उन्हें बताया कि यह मगध के राजा जरासंध और भीम के बीच की लड़ाई का मैदान है. प्रो उपिंदर कौर राजगीर की ऐतिहासिक विरासत और प्राकृतिक सौंदर्य देख काफी आह्वादित हुई. उन्होंने कहा कि नालंदा की ऐतिहासिक धरोहर का विश्व में अलग पहचान है. भगवान कृष्ण, मगध नरेश जरासंध, आजातशत्रु, बिंबिसार, भगवान बुद्ध, भगवान महावीर की पवित्र भूमि है. इस भूमि का हम सब नमन करते हैं. नालंदा विश्व में ज्ञान की रोशनी फैलाने का केंद्र भी रहा है. हम सभी इस महत्वपूर्ण एवं पवित्र भूमि पर आकर धन्य महसूस कर रहे हैं.