राजेन्द्र प्रसाद की प्रेरणा से बनी पहली भोजपुरी फिल्म
पटना: मशहूर अभिनेता नासिर हुसैन की भारत के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद से मुलाकात के कारण ही देश की पहली भोजपुरी फिल्म ‘‘गंगा मैया तोहरे पियरी चढ़ैबो’’ का निर्माण हो सका था.फिल्म के जानकार और आलोचक आलोक रंजन का कहना है, ‘‘राष्ट्रपति होने के बावजूद राजेन्द्र बाबू भोजपुरी बोलने वाले क्षेत्र के लोगों से हमेशा […]
पटना: मशहूर अभिनेता नासिर हुसैन की भारत के पहले राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद से मुलाकात के कारण ही देश की पहली भोजपुरी फिल्म ‘‘गंगा मैया तोहरे पियरी चढ़ैबो’’ का निर्माण हो सका था.फिल्म के जानकार और आलोचक आलोक रंजन का कहना है, ‘‘राष्ट्रपति होने के बावजूद राजेन्द्र बाबू भोजपुरी बोलने वाले क्षेत्र के लोगों से हमेशा अपनी ही भाषा में बात करते थे और जब नासिर साहब ने उनसे मुलाकात की तो उन्होंने भोजपुरी भाषा में बनी फिल्म देखने की इच्छा जाहिर की.
पूर्वी उत्तरप्रदेश के गाजीपुर के रहने वाले हुसैन की राष्ट्रपति से इस मुलाकात के बाद ही यह सपना साकार होना शुरु हुआ.फिल्म में ‘‘सीआईडी’’ से मशहूर हुई कुमकुम ने अभिनय किया था और लता मंगेशकर एवं मोहम्मद रफी ने इसमें अपनी आवाज दी थी और यह 1963 में रिलीज हुई.क्षेत्रीय सिनेमा का स्वर्ण जयंती वर्ष मनाने के लिए सिने सोसायटी पटना ने हफ्ते भर चलने वाले भोजपुरी फिल्म उत्सव का आयोजन किया है और यह उद्योग पिछले 50 वर्षों में ‘‘काफी अच्छा से काफी बुरे’’ की तरफ गया है.उत्सव का उद्घाटन ‘‘गंगा मैया..’’ फिल्म से 13 नवम्बर को हुआ और इसके बाद ‘‘दंगल’’ का प्रदर्शन किया गया जो भोजपुरी की पहली रंगीन फिल्म है. इसके अगले दिन ‘‘दगाबाज बलमा’’ फिल्म का प्रदर्शन हुआ जिसमें पद्मा खन्ना ने अभिनय किया है.
उत्सव के समन्वयक और नेशनल पुरस्कार विजेता आलोचक विनोद अनुपम ने कहा, ‘‘इस उत्सव की सफलता पहली भोजपुरी फिल्म बनाने जैसी है जिसमें काफी चुनौतियां एवं कठिनाईयां हैं.लेकिन दर्शकों की कम उपस्थिति एवं उत्सव के लिए आयोजित कलाकारों की कम उपस्थिति के बावजूद मुझे संतोष है कि हमने इसका आयोजन किया.’’ उत्सव के सह संयोजक रविराज पटेल ने कहा, ‘‘फिल्म को राष्ट्रपति राजेन बाबू को समर्पित किया गया था और पटना के सदाकत आश्रम में 21 फरवरी 1963 को इसका प्रदर्शन हुआ और फिल्म आम लोगों के लिए अगले दिन इसे पटना के वीणा सिनेमा में रिलीज किया गया.’’