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बिहारी डॉक्टर ने अपने दम पर खड़ा किया एक और सचिन!

पटना: प्रतिभा किसी की मुहताज नहीं होती. न उम्र की, न सुविधा की. पर किसी की सफलता के पीछे किसी-न-किसी का कुछ-न-कुछ योगदान जरूर होता है. हीरे की परखजौहरीही कर सकता है. हाल में स्कूल क्रिकेट में 546 रनों की रिकॉर्ड पारी खेलनेवाले 15 वर्षीय पृथ्वी के साथ ऐसा ही हुआ है. निश्चित रूप से […]

पटना: प्रतिभा किसी की मुहताज नहीं होती. न उम्र की, न सुविधा की. पर किसी की सफलता के पीछे किसी-न-किसी का कुछ-न-कुछ योगदान जरूर होता है. हीरे की परखजौहरीही कर सकता है. हाल में स्कूल क्रिकेट में 546 रनों की रिकॉर्ड पारी खेलनेवाले 15 वर्षीय पृथ्वी के साथ ऐसा ही हुआ है.

निश्चित रूप से पृथ्वी में जबरदस्त टैलेंट है, लेकिन इसे निखारने में लंदन के इस्ट यार्कशायर में रहनेवाले बिहारी डॉक्टर अशोक पाठक के पसीने बहे हैं. प्रभात खबर से बातचीत के दौरान पृथ्वी भी इसे स्वीकार करता है. कुछ ही दिन बीते हैं, जब सचिन ने क्रिकेट को अलविदा कहा है. सवाल उठने लगे हैं कि कौन संभालेगा सचिन की विरासत. क्या सचिन जैसा दूसरा खिलाड़ी उभर पायेगा? इन सवालों के जवाब आसान नहीं है. वक्त बतायेगा, पर सचिन के रिटायरमेंट के कुछ ही दिन बाद हैरिस शील्ड प्रतियोगिता में रिकॉर्डतोड़ 546 रन बना कर 15 साल के पृथ्वी शॉ ने सबका ध्यान अपनी तरफ खींचा. भारत का क्रिकेट जगत अवाक है.

यूके में हुई शुरुआत : जब पृथ्वी को कोई जानता नहीं था, तब इंगलैंड के पूर्व विश्वविद्यालय विकेटकीपर बल्लेबाज व सजर्न डॉ समीर पाठक व जॉन विल्सन ने पृथ्वी की प्रतिभा को पहचाना था. उन्होंने यूके में इंटरनेशनल स्पोर्टिग एक्सचेंज स्कीम के तहत कोचिंग देने का निर्णय लिया. यहीं से शुरू हुआ पृथ्वी का उदय. यह स्कीम डॉ अशोक पाठक के पुत्र डॉ समीर पाठक व जॉन विल्सन (शिक्षक, सीडल हुल्मे स्कूल, मैनचेस्टर) के दिमाग की उपज है. इस योजना के तहत प्रतिभावान व आर्थिक रूप से कमजोर क्रिकेटर को ट्रेनिंग दी जाती है. डॉ अशोक पाठक इसके को-फाउंडर हैं. डॉ अशोक ने ही पृथ्वी को इस योजना का लाभ दिलाने में मदद की. पृथ्वी ने सीडल हुल्मे स्कूल, मैनचेस्टर में प्रशिक्षण लिया. डॉ अशोक ने प्रभात खबर को बताया कि इस योजना के तहत युवा क्रिकेटरों को सारी सुविधाएं मुहैया करायी जाती हैं. पृथ्वी पहले युवा खिलाड़ी हैं, जिन्होंने इस योजना का लाभ उठाया. डॉ अशोक व समीर पाठक कहते हैं-उम्मीद है कि वह क्रिकेट के एवरेस्ट को छुयेगा.

अब तक 16 को मिला है लाभ : डॉ अशोक पाठक ने बताया कि स्कूल क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन करनेवाले सरफराज खान भी इस योजना का लाभ ले चका है. अब तक कुल 16 खिलाड़ी यूके से प्रशिक्षण लेकर भारत लौटे हैं. इसकी सफलता में और चार चांद लगे, इसके लिए भविष्य में यूके के टॉप-10 स्वतंत्र स्कूलों में से एक मर्चेट टेलर्स स्कूल की मदद ली जा सकती है.

वेंगसरकर भी हुए मुरीद
पूर्व क्रिकेटर दिलीप वेंगसरकर ने 2013 में कुछ युवा क्रिकेटरों को प्रशिक्षण लेने के लिए यूके भेजा था और इस योजना के प्रभाव को देख कर काफी प्रभावित हुए थे. डॉ अशोक पाठक ने बताया कि चेन्नई में अगले साल एकेडमी खोलने की योजना है. जिस चैरिटी के माध्यम से इसे चलाया जाता है, उसे आइओशॉ कहते हैं. डॉ अशोक पाठक के अलावा रॉबार्ट हैक्सबी भी को-फाउंडर हैं.

इंगलैंड में संवरा क्रिकेट
रिजवी स्प्रिंगफील्ड के कप्तान पृथ्वी शॉ का मानना है कि अगर यूके में ट्रेनिंग नहीं ली होती, तो यह नतीजा नहीं दे पाता. मुंबई से प्रभात खबर से फोन पर बातचीत के दौरान पृथ्वी शॉ ने कहा कि मैं भारत के लिए क्रि केट खेलना चाहता हूं. अभी यह मेरी शुरु आत है. मैं तो अभी बच्च हूं. मुङो आगे बहुत खेलना है. डॉ अशोक पाठक व उनके पुत्र की मदद से इंगलैंड में क्रि केट खेलने का मेरा अनुभव काफी अच्छा रहा. पृथ्वी के पिता रेडीमेड गारमेंट्स के सेल्समैन हैं. वह चाहते हैं कि नौवीं क्लास में पढ़ रहा उनका बेटा क्रि केट के साथ-साथ पढ़ाई में भी अच्छा करे.

वह एक अलग दुनिया थी. अब भारत में भी उभरते हुए क्रि केटरों के लिए अच्छी सुविधाएं हैं. सचिन के जबरदस्त प्रशंसक हैं पृथ्वी. कहते हैं -सचिन की ईमानदारी, विनम्रता, सहजता , सरलता से सारा संसार प्रभावित है, पर मैं पृथ्वी बनना चाहता हूं. अपनी बल्लेबाजी की शैली पर पृथ्वी कहते हैं कि वे टीम की जरूरत के हिसाब से खेलते हैं. उधर, पिता पंकज शॉ चाहते हैं कि उनका बेटा अच्छा खेले. पृथ्वी ने पांच साल की उम्र से ही क्रि केट खेलना शुरू किया. हमने जो हो सका, सुविधाएं दीं.

रोहतास के हैं डॉ अशोक
रोहतास जिले के गोविंदपुर निवासी डॉ अशोक पाठक लंदन के मशहूर ऑर्थोपेडिक सजर्न हैं. लंदन में अवार्ड मेंबर ऑफ ब्रिटिश एंपायर (एमबीइ) से सम्मानित डॉ अशोक पाठक पटना मेडिकल कॉलेज से पढ़े हैं. अभी यूके के इस्ट यार्कशायर हॉस्पिटल में हैं. रोहतास जिले में डेहरी ऑन सोन में टीबी मरीजों के लिए मुफ्त अस्पताल भी चलाते हैं. इनके पिता डॉ मुनिश्वर पाठक समाजसेवी थे. डॉ पाठक अच्छे क्रिकेटर भी हैं. उन्होंने पटना विश्वविद्यालय क्रिकेट टीम की कप्तानी की है. साथ ही इस्ट जोन कंबाइंड यूनिवर्सिटी टीम के कप्तान थे.

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