अवैध इमारतों के खिलाफ हाइकोर्ट नाराज, कहा मजाक नहीं बनने देंगे आदेश
पटना: पटना हाइकोर्ट ने राजधानी में अवैध बहुमंजिली इमारतों के खिलाफ कार्रवाई नहीं किये जाने पर नाराजगी जतायी और कहा कि वह अपने आदेशों का मजाक नहीं बनने देगा. इस संबंध में दायर लोकहित याचिका की सुनवाई के दौरान गुरुवार को न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और ए अमानुल्लाह के खंडपीठ ने कहा कि नगर निगम को […]
पटना: पटना हाइकोर्ट ने राजधानी में अवैध बहुमंजिली इमारतों के खिलाफ कार्रवाई नहीं किये जाने पर नाराजगी जतायी और कहा कि वह अपने आदेशों का मजाक नहीं बनने देगा. इस संबंध में दायर लोकहित याचिका की सुनवाई के दौरान गुरुवार को न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा और ए अमानुल्लाह के खंडपीठ ने कहा कि नगर निगम को नगर विकास विभाग सहयोग नहीं कर रहा है. इससे त्वरित कार्रवाई नहीं हो पा रही है. अगली सुनवाई पांच दिसंबर को होगी. उस दिन नगर निगम को लिखित रूप से यह बताना होगा कि विजिलेंस केस की सुनवाई कितने दिनों में पूरा कर लेगा.
खंडपीठ ने नगर विकास विभाग व नगर निगम के कार्यो पर तल्ख टिप्पणी की. कहा, आरइओ से चार कार्यपालक और दो कनीय अभियंताओं को नगर निगम में लाया गया था. इनका काम मकानों को चिह्न्ति करना था. इसके बावजूद बगैर कोर्ट का संज्ञान लिये उन्हें वापस कर दिया था. इस पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने मुख्य सचिव को इस बात का हलफनामा दायर करने को कहा है कि कोर्ट का आदेश हर हाल में लागू किया जायेगा.
नगर निगम के वकील ने कहा कि नगर विकास विभाग ने ग्रामीण विकास विभाग से चार ऐसे अधिकारियों को बिल्डिंग ट्रिब्यूनल कॉरपोरेशन में नोमिनेट किया है, जिन्हें सुनवाई का अधिकार नहीं है. ये अधिकारी पहले भी यहां काम कर चुके हैं और अब वे अपने ही काम की खुद कैसे जांच करेंगे. इस पर खंडपीठ ने नगर निगम से कहा कि इन बातों को हलफनामा दायर कर कोर्ट के समक्ष लाये, कोर्ट कार्रवाई करेगा. खंडपीठ ने ट्रिब्यूनल के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर उपलब्ध कराने का आदेश दिया, ताकि विजिलेंस की सुनवाई पूरी होने के बाद और त्वरित गति से सुनवाई हो.
नगर निगम ने कहा कि हमने पटना नगर निगम के ऊपर ही जगह दे दी है. इस पर सरकार की तरफ से वकील ने कहा कि वहां बैठने तक की जगह नहीं है. वीरचंद पटेल मार्ग की पानी टंकी के पास जगह देने की बात हुई है. इस पर कोर्ट ने कहा कि जगह ऐसी हो, जहां कोर्ट और वकील व अन्य कर्मियों के बैठने की जगह हो.
नगर निगम के वकील संदीप शाही ने कहा कि 750 भवन 20 फुट सड़क पर नहीं हैं. आरोप है कि कहीं सड़क ऊंची है, तो कहीं अतिक्रमण कर दिया गया है. वैसे अपार्टमेंट पर कार्रवाई हो. इसकी वजह से 8000 करोड़ की प्रोजेक्ट फंसी हुई है. लोगों ने बैंक लोन भी ले रखा है. इस पर कोर्ट ने कहा कि किसी को भी राहत नहीं देंगे, इससे गलत मैसेज जायेगा. इस मामले पर अगली सुनवाई पांच दिसंबर को होगी. उस दिन तक विजिलेंस में कितनी सुनवाई हुई और कितनी बाकी है, ये बताएं. साथ ही अगली सुनवाई में लिखित जवाब देने का निर्देश दिया है कि कितनी प्रगति हुई. सुनवाई के दौरान पाटलिपुत्र और एसके पूरी थानाध्यक्ष मौजूद थे.
किसी को राहत नहीं : सुनवाई के दौरान नगर निगम के वकील ने कोर्ट को बताया कि करीब आठ हजार करोड़ की पूंजी शहर में बहुमंजिली इमारतों के निर्माण में लगी है. इनमें से कई पर बैंक लोन भी है. कोर्ट ने कहा कि किसी को तत्काल राहत नहीं मिलेगी. जांच में तेजी लायी जायेगी.
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20 फुट से अधिक चौड़ी सड़क पर जी+ 4 से अधिक इमारत का नक्शा होगा पास
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