जूही स्मिता, पटना. देश में कामकाजी महिलाओं की सेहत ठीक नहीं है. आधे से अधिक महिलाओं को काम के साथ स्वयं को स्वस्थ रखना चुनौती साबित हो रहा है. महिलाएं लगातार काम करने और अपने दायित्वों का पालन करते हुए खुद की सेहत को दरकिनार करती हैं. 67 फीसदी महिलाएं अपनी सेहत से जुड़ी समस्याओं के बारे में बात करने से हिचकती हैं. उनका कहना है कि हमारे स्वास्थ्य के बारे में बात करना समाज में वर्जित माना जाता है. यह खुलासा द इंडियन वीमेन हेल्थ-2021 की रिपोर्ट से हुआ है.
द इंडियन वीमेन हेल्थ-2021 की रिपोर्ट के अनुसार 22 से 55 की उम्र की 59 फीसदी कामकाजी महिलाएं सेहत संबंधी समस्याओं से नौकरी छोड़ देती हैं. दूसरा कारण बॉस का अच्छा व्यवहार नहीं होना है. 90 फीसदी महिलाओं को पारिवारिक दायित्वों के कारण दिक्कत होती है.
52 फीसदी महिलाओं के पास नौकरी, पारिवारिक दायित्वों के साथ स्वयं को स्वस्थ रखने के लिए समय नहीं है. रिपोर्ट के अनुसार, देश में महिलाएं कार्यस्थल पर सेहत से जुड़ी समस्याओं-पीरियड्स, ब्रेस्ट कैंसर, गर्भाशय समेत तमाम समस्याओं पर बात करने से हिचकती हैं. महिलाओं का कहना है कि जब हमारी सेहत की बात आती है, तो 80 फीसदी पुरुष सहयोगी संवेदनशील नहीं होते हैं.
84 फीसदी कामकाजी महिलाओं ने बताया, पीरियड के दौरान पूजा स्थलों, रसोई और पवित्र स्थानों पर जाने सेे मना किया जाता है. 66 फीसदी ने कहा, गर्भाशय से जुड़ी समस्याओं के कारण महिलाओं को शादी के योग्य नहीं माना जाता है.
क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ बिंदा सिंह कहती है कि अक्सर यह देखा गया है कि जब महिलाएं घर, परिवार और कार्यस्थल हर जगह अपना दायित्व का पालन करती हैं, उस वक्त वे सेहत पर बिल्कुल ध्यान नहीं देती हैं. जब परेशानी हद से ज्यादा बढ़ जाती है, तब वे अपनी सेहत का जांच करवाती हैं.
महिलाओं की सेहत को लेकर परिवारवालों को इसका दायित्व लेने की जरूरत है, साथ ही कार्यस्थल पर समय-समय पर फिजिकल और मेंटल हेल्थ के लिए सेशन करवाना चाहिए. सजगता और जागरूकता से सेहत की समस्याएं कम की जा सकती हैं. इसके अलावा महिलाएं भी खुद के स्वास्थ्य को इग्नोर न करें.खुद के लिए समय जरूर निकालें.
Posted by Ashish Jha