पटना: बिहार पुलिस लोगों को खास और आम के अंतर का एहसास हर पल कराती है. हर दिन हर चौराहे पर सुबह से शाम तक लोग जाम में फंस कर अपना धन और वक्त दोनों ही बरबाद करते हैं, लेकिन इनकी परेशानी से शासन-प्रशासन को कोई मतलब नहीं. हां, जब मामला खादी का आता है, तो पूरा पुलिस अमला ही सक्रिय हो जाता है. मामला जब सूबे के मुखिया का हो, तो उसकी मुस्तैदी देखते ही बनती है.
पर जनता परेशान
हुआ यूं कि मुख्यमंत्री की सवारी 29 नवंबर को शाम में जा रही थी. अचानक ट्रैफिक के कारण मुख्यमंत्री जाम में फंस गये. जाम में मुख्यमंत्री के फंसने की सूचना पर पूरा प्रशासनिक अमला जग गया. हालांकि, मुख्यमंत्री जाम से छुटकारा पाये, लेकिन इस जाम की गाज तीन सिपाहियों और एक एसआइ पर गिरी. चारों को रविवार को सस्पेंड कर दिया गया. शहर में जाम से हर आम और खास परेशान नजर आता है. हर दिन रेंगती ट्रैफिक में लोग अपने अपने चेहरों से पसीने पोछते हैं. एक-दूसरे को धक्का देकर आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं. पुलिस को कोसते हैं. जाम में फंसे एंबुलेंस में अंतिम सांसें गिन रहा मरीज हो, या फिर स्कूली बसों में भूख से बिलखते छोटे-छोटे मासूम बच्चे, पुलिस को इन लोगों पर कोई तरस नहीं आता है. पुलिस के जवान रोड किनारे खड़े होकर ट्रैफिक जाम में फंसे लोगों की परेशानी का केवल आनंद लेते हैं. लेकिन, यही आनंद पिछले दिन पुलिस के लिए सजा बन गया.
इधर भी नजर डालिए
बेली रोड पर एक साल से ओवरब्रिज का निर्माण हो रहा है. दोनों तरफ का रोड पूरी तरह क्षतिग्रस्त है. कहीं-कहीं रोड की चौड़ाई तीन मीटर से भी कम है. सुबह साढ़े नौ से दोपहर एक बजे और शाम चार से सात बजे तक रोड पर ट्रैफिक रेंगता हुआ नजर आता है. सोमवार की दोपहर 12.20 बजे जाम में फंसे दो एंबुलेंस लगातार हूटर बजा रहे थे, लेकिन ट्रैफिक जाम के कारण वह आगे बढ़ने में सक्षम नहीं थे. इस जाम से निजात दिलाने की जिम्मेवारी निभानेवाली ट्रैफिक पुलिस दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही थी.
हड़ताली मोड़ पर लेफ्ट व राइट लेन में बेतरतीब खड़े वाहन आवागमन को अवरुद्ध कर रहे थे. दूसरी तरफ ट्रेन के कारण क्रॉसिंग बंद था. इसकी वजह से लगभग दो घंटे तक जाम की स्थिति बनी रही. लेकिन इस दौरान सिगनल पर खड़ा एक ट्रैफिक जवान ही एक्टिव दिखा, बाकी बचे हुए सिपाही पुलिस बूथ में नजर आ रहे थे. इनकम टैक्स चौराहे पर पुलिस बूथ पूरी तरह से खाली रहा. चौराहे पर जाम की स्थिति कुछ देर तक ही बनी रही. लेकिन चौराहे से जगदेव पथ की तरफ मोड़ पर कई वाहन आपस में टकरा कर अनबैलेंस होते नजर आ रहे थे. कौन किस तरफ से वाहन मोड़ रहा है, इसे कंट्रोल करने वाला कोई नहीं था. एक्जिबिशन रोड पर डिवाइडर बनने के कारण उसकी चौड़ाई बहुत कम हो गई है.
इसके चलते मैक्सिमम वाहन फंस जाते हैं. इसी तरह, भट्टाचार्या रोड पर लगने वाले जाम को खत्म करने के लिए पुलिस का कोई जवान कभी नजर नहीं आता है. कमोबेश यही स्थिति गांधी मैदान की है. बांसघाट पर रोड संकरी होने से अक्सर ट्रैफिक जाम हो जाता है. इसके पास ही स्थित पुलिस लाइन रहने के बाद भी कोई जवान वहां पर ट्रैफिक को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग नहीं करता है. राजापुर पुल पर ऑटोचालकों का कब्जा है. आधी सड़क को उनलोगों ने स्टैंड बना रखा है. पुलिस बूथ है लेकिन लगता है कि जवानों को जाम खत्म करने के बजाय ऑटो की रखवाली के लिए तैनात किया गया है.