बंध्याकरण के नाम पर हो रहा शोषण
बसंतपुर (सीवान) जिले से लेकर प्रखंड मुख्यालय तक केंद्र सरकारी की महत्वाकांक्षी योजना का माखौल उड़ाया जा रहा है. इसमें वरीय अधिकारी से लेकर निमA स्तर तक के कर्मचारी भी जिम्मेवार है. हम बात कर रहे हैं केंद्र सरकार के जनसंख्या नियंत्रण पर अकुंश लगाने वाले बंध्याकरण कार्यक्रम की. इस योजना के तहत महिलाओं को […]
बसंतपुर (सीवान)
जिले से लेकर प्रखंड मुख्यालय तक केंद्र सरकारी की महत्वाकांक्षी योजना का माखौल उड़ाया जा रहा है. इसमें वरीय अधिकारी से लेकर निमA स्तर तक के कर्मचारी भी जिम्मेवार है. हम बात कर रहे हैं केंद्र सरकार के जनसंख्या नियंत्रण पर अकुंश लगाने वाले बंध्याकरण कार्यक्रम की. इस योजना के तहत महिलाओं को आशा द्वारा पीएचसी पर पहुंचा तो जरूर दिया जाता है, लेकिन उनके लिए कोई समुचित व्यवस्था नहीं की जाती है. सुबह खाली पेट ऑपरेशन कराने के लिए घर से निकली महिलाएं शाम तक इंतजार करती रहती हैं, लेकिन ऑपरेशन नहीं होता है. इसमें लापरवाही भी देखने को मिलती है. सोमवार की सुबह से शाम हो जाने पर बसंतपुर पीएचसी पर आयी महिलाओं ने जब हंगामा किया तो देर शाम सदर अस्पताल से पहुंचे चिकित्सक ने देर रात तक ऑपरेशन किया. इस दौरान कई महिलाएं लौट गयी.
सीवान से कोई सजर्न नहीं आये
बता दें कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार ने बंध्याकरण नामक योजना चला रखी है. इस योजना के तहत बंध्याकरण कराने वाली महिला व उन्हें लेकर केंद्र तक पहुंचने वाली आशा को प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है. गौर करें तो बंध्याकरण कराने आनेवाली महिलाओं को काफी परेशानी उठानी पड़ती है. सोमवार को बसंतपुर पीएचसी पर दर्जनों महिलाएं सुबह में ही बंध्याकरण कराने के लिए पहुंची थी. इस दौरान पीएचसी पर बैठने का इंतजाम नहीं होने के चलते वह इधर- उधर टहल रही थी. 10 बजे तक चिकित्सक का कोई पता नहीं था. उनके 12 बजे तक नहीं पहुंचने पर महिलाओं ने पूछताछ की, तो पता चला कि आ रहे है. इधर इंतजार करते-करते शाम के पांच बज गये तो महिलाएं आक्रोशित हो गयीं. और सुबह से भूखीं आधा दर्जन से महिलाएं अपने परिजन के साथ घर चली गयीं. रात करीब आठ बजे सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ सुनील कुमार पहुंचे. उन्होंने महिलाओं का ऑपरेशन करना शुरू किया. करीब रात 11 बजे तक महिलाओं की भारी भीड़ ऑपरेशन के लिए केंद्र पर उमड़ी रही है. वहीं ऑपरेशन के बाद महिलाओं को लिटाने की कोई व्यवस्था इस केंद्र पर नहीं की गयी थी. मालूम हो कि लगभग जिले के सभी केंद्रों का यही हाल है. चिकित्सक भी इस समस्या को देख कुछ घंटे मरीजों को रखने के बाद परिजनों के साथ घर भेज देते है. मालूम हो कि विभाग का यह नियम है कि ऑपरेशन के 24 घंटे तक मरीज को अस्पताल में रखा जाता है. लेकिन ऐसा जिले के किसी भी केंद्रों पर नहीं देखने को मिलता है. इसी लापरवाही का नतीजा है कि गुठनी में एक महिला की बंध्याकरण के बाद हालत बिगड़ जाने से मौत हो गयी थी.
सदर अस्पताल में भी करना पड़ा इंतजार
बसंतपुर स्वास्थ्य केंद्र की क्या बात करें, लापरवाही का आलम सदर अस्पताल में भी. यहां पर भी बंध्याकरण के लिए आयी महिलाओं को इंतजार करते-करते शाम हो जाती है. महिलाएं सुबह से शाम तक बिना खाये-पीये ऑपरेशन का इंतजार करती हैं.
सीएस ने सजर्न पर किया शो काज
बसंतपुर में सुबह से शाम तक बिना खाये-पीये ऑपरेशन के इंतजार में बैठी महिलाओं की जानकारी जब सीएच डॉ चंद्रशेखर को हुई, तो उन्होंने सजर्न सुनील कुमार को वहां जाने का निर्देश दिया. इधर सुनील कुमार के जिम्मे दो जगह आंदर व बसंतपुर में महिलाओं का ऑपरेशन करना था. दिन में 12 बजे फोन द्वारा सीएस ने चिकित्सक मुकेश को आंदर भेज सुनील कुमार को बसंतपुर जाने का निर्देश दिया. लेकिन सुनील कुमार ने निर्देश का पालन नहीं किया. इसकी जानकारी होने पर सीएस डॉ कुमार ने सजर्न से स्पष्टीकरण मांगा है.