मिड डे मील बंद, एक माह से भूखे पढ़ाई कर रहे बच्चे

पटना: एक माह से राजधानी के विद्यालयों में मिड डे मील बंद है. बच्चे विद्यालय में भूखे रह कर पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन सरकार को इसकी परवाह नहीं. वह विद्यालय में इसके लिए सर्वे करा रही है कि खाना विद्यालय में बनाया जाये या बाहर से मंगाया जाये. जनवरी से मिलेगाविभाग के अनुसार जनवरी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 26, 2013 8:15 AM

पटना: एक माह से राजधानी के विद्यालयों में मिड डे मील बंद है. बच्चे विद्यालय में भूखे रह कर पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन सरकार को इसकी परवाह नहीं. वह विद्यालय में इसके लिए सर्वे करा रही है कि खाना विद्यालय में बनाया जाये या बाहर से मंगाया जाये.

जनवरी से मिलेगा
विभाग के अनुसार जनवरी माह से इन विद्यालयों में मिड डे मील शुरू किया जायेगा. विद्यालय शिक्षा समिति की ओर से 210 विद्यालयों में मिड डे मील बनाये जाने की बात है. इसके लिए विद्यालयों का सर्वे कराया जा रहा है. वहां के किचन के बारे में जानकारी ली जा रही है. जिन विद्यालयों में किचन की व्यवस्था नहीं हैं, वहां इसकी व्यवस्था की जायेगी, ताकि विद्यालयों में जल्द से जल्द मिड डे मील बनाया जा सके.

पटना जिले के 210 विद्यालयों में पहले स्वयंसेवी संस्था एकता फाउंडेशन के द्वारा खाना भेजा जाता था. लेकिन, 22 नवंबर को प्राथमिक विद्यालय उत्तरी सैदपुर में मिड डे मील में चूहा पाये जाने की घटना के बाद संस्था के केंद्रीयकृत किचन को अगले आदेश तक के लिए बंद कर दिया गया है. तब से उन विद्यालयों में खाना नहीं बनाया जा रहा है.

विद्यालय में जल्द मिड डे मील की व्यवस्था की जायेगी. इसके लिए विद्यालयों का सर्वे कराया जा रहा है. जरूरत के अनुसार सभी विद्यालयों में किचन की व्यवस्था कर भोजन बनाने का काम शुरू किया जायेगा.
सुनील कुमार तिवारी, पटना जिला प्रभारी, मिड डे मील

विभाग से बात की गयी थी, लेकिन उस पर निर्णय नहीं हुआ है. पटना जिले में खाना नहीं भेजे जाने से किचन का खर्च मेंटेन करना पड़ रहा है. अगले आदेश तक खाना नहीं भेजा जायेगा.
मनीष मित्तल, मुख्य समन्वयक, एकता शक्ति फाउंडेशन

हमारे यहां विद्यालय में सर्वे किया गया है. इसमें विद्यालय में खाना बनाने के बारे में पूछा गया है. विद्यालय में बच्चों के बैठने तक की जगह नहीं है, खाना कहां बनायेंगे. इसके कारण एनजीओ द्वारा बना खाने की मांग की गयी है.

विथिका देवनाथ, प्रधानाध्यापिका, प्राथमिक विद्यालय इंद्रपुरी

शिक्षकों की कमी है. ऐसे में खाना बनाने से शिक्षकों की जिम्मेदारी और बढ़ जायेगी. फिर विद्यालय में पर्याप्त जगह भी उपलब्ध नहीं है. इसलिए खाना बनाने की मांग की गयी है.
आशा शुक्ला, प्राचार्या, राजकीय मध्य विद्यालय, महेंद्रू

Next Article

Exit mobile version