जिले के निजी स्कूलों में अभी नामांकन का दौर चल रहा है. अभिभावक जन्म प्रमाणपत्र बनाने, स्थानांतरण प्रमाणपत्र लेने, बच्चों की तसवीर खिंचवाने आदि कार्यो में दौड़-भाग कर रहे हैं. ऐसे में अभिभावकों को यह जानना जरूरी होगा कि किस स्कूल में नामांकन कराने से बच्चों का भविष्य सुरक्षित होगा. उन्हें यह भी पता लगाना होगा कि अमुक स्कूल से बच्चे पढ़ाई करेंगे, तो उसके द्वारा दिये जानेवाले प्रमाणपत्र मान्य होंगे या नहीं.
केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित बच्चों की मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की नियमावली के तहत निजी विद्यालयों को प्रस्वीकृति प्राप्त करना अनिवार्य है. प्रस्वीकृत नहीं रहने पर ऐसे स्कूलों को कानूनी रूप से अवैध माना जायेगा.
भागलपुर: भागलपुर में 132 स्कूल राज्य सरकार द्वारा निर्धारित मानकों पर खरे नहीं उतर पाये हैं. इस कारण उन्हें प्रस्वीकृति प्रदान नहीं की गयी. ऐसे स्कूलों को कानूनी रूप से अवैध करार दे दिया गया है. शिक्षा विभाग यह मान रहा है कि ऐसे स्कूलों में बच्चों को पढ़ाने से अभिभावकों को भविष्य में बड़ी हानि हो सकती है. इन स्कूलों से बच्चों को जारी किये जानेवाले स्थानांतरण प्रमाणपत्र को भी मान्यता नहीं मिलेगी. जिन स्कूलों की प्रस्वीकृति आवेदन अस्वीकृत कर दिये गये हैं, उन स्कूलों के आवेदन रद्द किये जाने की मुख्य वजह
1860 के अंतर्गत निबंधित सोसाइटी या ट्रस्ट के द्वारा संचालित नहीं होना था. इस एक्ट के अंतर्गत विद्यालय का संचालन पूर्णत: गैर मालिकाना व अलाभकारी स्वरूप का होना चाहिए. कई स्कूलों को किराये के भवन में संचालित पाया गया. अधिकतर स्कूलों में अगिAशमन यंत्र नहीं था. प्रस्वीकृति के लिए निजी स्कूलों से 30 नवंबर 2011 तक आवेदन करने के लिए कहा गया था. यह आवेदन निजी विद्यालय प्रस्वीकृति समिति को जमा देना था. उस समय 313 स्कूलों ने आवेदन जमा किया था. इस पर समिति व प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी ने जांच की थी. समीक्षा के बाद 132 आवेदन को अस्वीकृत कर दिया गया. सात स्कूलों को मान्यता प्रदान कर दी गयी. शेष 174 स्कूलों के आवेदन पर प्रक्रिया चल रही है.