पटना: राजद से सीटों के बंटवारे को लेकर नाराज चल रही लोजपा लोकसभा चुनाव में अपनी राह बदल सकती है. चार दिनों से दिल्ली में बने रहने के बावजूद राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद व लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान की मुलाकात नहीं हो पायी है. लोजपा सूत्रों की मानें, तो पार्टी अपने सभी विकल्प खोल कर रखना चाहती है.
कांग्रेस के साथ रिश्ते बरकरार रह सकते हैं. लेकिन, उधर से संदेश नहीं आने की स्थिति में बिहार में दूसरे विकल्प पर भी विचार किये जाने की संभावना से इनकार नहीं किया जा रहा. इसी रास्ते पर चल रही लोजपा ने शनिवार को दिल्ली में चुनिंदा नेताओं की बैठक बुलायी है. रामविलास पासवान के आवास पर हो रही इस बैठक में पशुपति कुमार पारस, महेश्वर सिंह, पूर्व सांसद सूरजभान सिंह आदि प्रमुख नेता उपस्थित होंगे.
इधर, राजद की ओर से उम्मीद की जा रही थी कि बीमार होने के कारण पासवान खुद लालू प्रसाद का हाल-चाल जानने आयेंगे. लेकिन, चार दिन बीत गये पासवान मिलने नहीं आये. हालांकि, राजद की ओर से 25 दिसंबर को अब्दुल बारी सिद्दीकी ने पासवान के आवास पर जाकर मुलाकात की. इसके एक दिन बाद विधान पार्षद मो गुलाम गौस भी पासवान से मिले और गंठबंधन को लेकर उपजी गलतफहमी को दूर करने की कोशिश की.
बावजूद इसके गंठबंधन की बात अभी बनती नहीं नजर आ रही है. 2009 के चुनाव में लोजपा और राजद के बीच गंठबंधन था. समझौते में लोजपा को 12 सीटें मिली थीं. इनमें एक पर भी उसे जीत हासिल नहीं हुई थी. जबकि 28 सीटों पर चुनाव लड़े राजद को महज चार सीटों पर जीत मिली थी. इस बार लोजपा को उम्मीद थी कि राजद की ओर से उतनी ही सीटों का प्रस्ताव आयेगा. मगर, राजद के कार्यकारी उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह के इस बयान कि पहले लोजपा को उम्मीदवार बताना होगा पर, पार्टी ने ऐतराज जताया है. इसके बाद से ही लोजपा में नाराजगी के तेवर देखे जा रहे हैं.