– नरेंद्र –
– राज्य सरकार ने कहा, हमारे पास नहीं है जमीन
– एयरपोर्ट ऑथरिटी को सरकार ने भेजा जवाब
– नये हवाई अड्डे के लिए चाहिए चार हजार एकड़ जमीन
– सोनपुर, बिहटा व राजगीर में एयरपोर्ट बनाने का था प्रस्ताव
– भागलपुर, गया, दरभंगा व वाराणसी की सीधी उड़ान भी टली
पटना : मुंबई और दिल्ली के तर्ज पर बिहार में बड़े हवाई अड्डे का सपना अब साकार नहीं होनेवाला है. नये और बड़े हवाई अड्डे के लिए चाहिए एक जगह पर चार हजार एकड़ जमीन, जो राज्य में कहीं भी उपलब्ध नहीं है. राज्य सरकार ने इतनी जमीन देने से इनकार कर दिया है. केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय जमीन तो चाहती है, लेकिन फ्री में. राज्य सरकार इसके लिए तैयार नहीं है. पटना एयरपोर्ट के विस्तार को लेकर भी बात चली थी.
राज्य सरकार जमीन देने को तैयार भी हुई, लेकिन पैसा लेकर. कैबिनेट से मंजूरी भी मिली, लेकिन पैसे का सवाल आते ही केंद्र ने जमीन लेने से इनकार कर दिया. अब यह मामला भी अटक गया है. बात इतना ही तक रहे तो काई बात नहीं, अब तो नयी उड़ान सेवा शुरू करने पर भी ग्रहण लग गया है.
सिविल विमानन विभाग के अधिकारियों के अनुसार, बिहार में जब एनडीए की सरकार बनी, तो मुंबई और दिल्ली के तर्ज पर यहां बड़ा एयरपोर्ट बनाने की बात चली. राज्य सरकार ने सोनपुर, राजगीर और बिहटा में नया एयरपोर्ट बनाने का प्रस्ताव केंद्र को दिया.
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने राज्य सरकार को बताया कि एक जगह पर चार हजार एकड़ जमीन चाहिए, जो कहीं भी उपलब्ध नहीं है. बाद में पटना एयरपोर्ट के विस्तार की भी बात चली, लेकिन उतनी जमीन यहां भी नहीं है. एयरपोर्ट ऑथरिटी और डीजीसीए ने पटना एयरपोर्ट पर बड़े विमानों की लैंडिंग में आ रही बाधाओं को देखते हुए कहा कि अगर अवरोधों को नहीं हटाया गया, तो विमान लैंडिंग को रोक दिया जायेगा.
सरकार और इन दोनों संगठनों के बीच बातचीत के बाद कुछ अवरोधों को हटाया भी गया है. लेकिन, एफसीआइ के गोदाम व बीएसएनएल के टावर को अब तक नहीं हटाया गया.
चिड़ियाखाना के साढ़े नौ हजार पेड़ों की छटाई कर दी गयी. विस्तार के लिए जमीन मांगी गयी, सरकार जमीन देने पर राजी भी हुई, लेकिन पेंच फंस गया. केंद्र फ्री में जमीन चाह रही है, जिस पर राज्य सरकार राजी नहीं है.
एयरफोर्स को चाहिए बिहटा में 1500 एकड़
बिहटा में एयरफोर्स का हवाई अड्डा है. एयरफोर्स ने भी एयरपोर्ट के विस्तार के लिए 1500 एकड़ जमीन सरकार से मांगी है. वहां इतनी जमीन है नहीं. सरकार ने जमीन देने से हाथ खड़ा कर दिया है.
अधिकारियों के अनुसार, अब नया व विस्तारित एयरपोर्ट बनना या न बनना केंद्र सरकार की इच्छा पर निर्भर है. जहां तक जमीन देने का सवाल है, तो राज्य सरकार फ्री में क्यों जमीन दें. जब विमानन मंत्रालय व्यवसाय कर रहा है. व्यवसाय करने वाले संस्थान को फ्री में जमीन देना कहां का न्याय है.
नहीं शुरू हुई सीधी उड़ान सेवा
निजी विमानन कंपनी स्काइ फिशर ने गया, भागलपुर, दरभंगा, सारनाथ व वाराणसी में सीधी उड़ान सेवा शुरू करने की योजना बनायी थी. भागलपुर से सीधी उड़ान सेवा के लिए राज्य सरकार ने अनापत्ति प्रमाण पत्र देते हुए पटना एयरपोर्ट पर जगह भी उपलब्ध करा दी. नया विमान भी आ गया, लेकिन डीजीसीए से अनुमति नहीं मिलने के चलते उड़ान सेवा शुरू नहीं हो पायी है. अन्य जगहों के लिए सेवा शुरू करना तो दूर की बात है.
जमीन पर अटका है मामला : मेहरोत्रा
कैबिनेट व सिविल विमानन विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा का कहना है कि अन्य राज्यों यथा महाराष्ट्र, मुबंई और कर्नाटक जैसे शहरों में पथरीली व अनुपयोगी जमीन उपलब्ध है. वहां की सरकार फ्री में जमीन दे सकती है. बिहार में एक जगह पर चार हजार एकड़ जमीन देना सरकार के लिए संभव नहीं है. जहां तक फ्री में जमीन देने की बात है, तो इसका सवाल ही नहीं उठता है.
70 साल से फैसला हवा में
।। अजय कुमार ।।
पटना : पटना एयरपोर्ट का मामला एक ठहरे हुए फैसले की तरह है. यह करीब 70 साल से रुका हुआ है. पटना के तत्कालीन कमिश्नर बीके गोखले ने 1944 में सरकार को चिट्ठी लिख कर चेताया था कि पटना एरोड्रम का विस्तार करना भूल होगी.
उनकी चिट्ठी में कहा गया है कि बिहटा एरोड्रम को पटना के साथ रोड़ लिंक किया जाये और पटना एरोड्रम का इस्तेमाल छोटे विमानों के लिए फ्लाइंग क्लब के रूप में करना चाहिए. चिट्ठी में मच्छर मारो अभियान की भी उन्होंने चर्चा है.
बीके गोखले की यह चिट्ठी 22 सितंबर, 1944 को सरकार के मुख्य सचिव जे डब्ल्यू हाउल्टन को लिखी गयी थी. हाउल्टन बिहार के अंतिम अंगरेज मुख्य सचिव थे. चिट्टी में गोखले ने पटना डिविजन में आनेवाले जिलों के बारे में टिप्पणी की है.
यहां तक कि उनके कार्यालय में कौन कर्मचारी भरोसे के लायक है, इसका भी जिक्र किया है. पत्र में स्टोनो मौलवी ए गफ्फार को विश्वसनीय बताते हुए काम में एक्सीलेंट कहा गया है. अंगरेजों का राज भले खत्म हो गया, पर उस राज के अधूरे काम अब तक पूरे नहीं हो सके. पटना एयरपोर्ट का मामला भी ऐसा है.
मौजूदा एयरपोर्ट को खतरनाक बताते हुए डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन की ओर से बिहार को छह बार चिट्टी लिखी जा चुकी है. पटना एयरपोर्ट के रन-वे की लंबाई कम होने के चलते एयर बस 320 और 737 एनजी का उतरना संभव नहीं है. बड़े विमानों के लिए रन-वे की लंबाई 9000 फुट होनी चाहिए, पर पटना एयरपोर्ट पर 6409 फुट में ही काम चलाया जा रहा है.
छोटे विमानों के उतरने में खतरे की आशंका बनी रहती है. संजय गांधी जैविक उद्यान के करीब 300 पेड़ भी विमानों के उतरने में बाधक हैं. उद्यान में करीब 3000 पेड़ हैं. एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया लंबे पेड़ों की छंटाई के बारे में लिखता रहा है. गोखले ने कहा है कि पटना एरोड्रम का विस्तार बड़े विमानों के एयरक्राफ्ट लिए करना भूल होगी.
मच्छर मारो अभियान और गोखले
अपनी चिट्टी में गोखले ने पटना सहित इस डिविजन में मच्छरों मारो अभियान को निश्चित तौर पर आगे जारी रखने की सलाह दी है. उन्होंने कहा है कि इससे मच्छरों की संख्या कम होगी.
इस योजना पर निगाह रखने की सलाह भी उन्होंने दी है. अब तो मच्छर कम होने के बदले और बढ़ गये हैं और एंटी मॉस्क्यूटो स्कीम का कोई खास असर नहीं दिख रहा है. पटना नगर निगम की फॉगिंग मशीनें भी बेअसर हो रही हैं. और मच्छर हैं कि गोखले से लेकर अब तक सबको परेशान करते रहे.