पटना : यदि आप भी बिहार के लजीज व देशी आइटम जैसे तिलकुट, जलेबी, गाजा व पेडुकिया बनाने की शौकीन हैं और इसे व्यवसाय का रूप देना चाहती हैं, तो बस पहुंच जाइए बिहार शिल्प हाट. बोरिंग रोड स्थित शिल्प हॉट आपके उत्पादों को न केवल बाजार देगा, बल्कि कामयाब उद्यमी के रूप में पहचान दिलाने में भी मददगार होगा. जुड़ने के लिए 9709318724 पर फोन करना होगा.
मिल गया बाजार
मंगलवार को बिहार महिला उद्योग संघ के तहत पारंपरिक हैंडलूम, हैंडीक्राफ्ट व बिहारी व्यंजन से संबंधित ‘बिहार शिल्प हॉट’ आउटलेट का उद्घाटन उद्योग मंत्री डॉ रेणु कुमारी कुशवाहा ने किया. उन्होंने इसे महिलाओं को उद्यमिता से जोड़ने का बेहतर प्रयास बताया. ऑउटलेट की हेड नीतू सिंह ने बताया कि इसके जरिये उद्यमी महिलाओं को बाजार उपलब्ध कराया जायेगा.
उनके उत्पादों की सही कीमत उन्हें दिलायी जायेगी. महिलाओं को यहां कुकरी से ले कर हैंडीक्राफ्ट आदि विभिन्न विधाओं ट्रेनिंग दी जायेगी.महिला उद्योग संघ की अध्यक्ष पुष्पा चोपड़ा ने बताया कि आउटलेट में मधुबनी पेंटिंग, सिक्की कला, मंजूषा आर्ट, बावनबूटी आदि चीजें मौजूद हैं, जिससे बिहार की कला को पहचान मिलेगी. 10 रुपये से लेकर 50 लाख तक के उत्पाद ऑउटलेट के जरिये लोगों को मुहैया कराये जायेंगे.
मौके पर महिला उद्यमी संजू, सुनीता प्रकाश, उषा झा, स्वाति व तुहीना आदि उपस्थित थीं.रश्मि भारती को जुट क्राफ्ट के लिए स्टेट अवॉर्ड मिल चुका है. 8 साल से जूट क्राफ्ट पर काम कर रही रश्मि खुद श्रेया जूट मेन्यूफैक्चरिंग, ट्रेनिंग और सेल सेंटर चलाती हैं. जहां जूट की ज्वेलरी, जूट बोनसाइ, पीकॉक, गणोश, वॉल हैंगिंग और की रिंग यह सब मौदूज हैं.
इसके अलावा रश्मि अक्सर उपेंद्र महारथी संस्थान और बहुद्देशीय सांस्कृतिक परिसर में हुई कार्यशालाओं में भाग ले चुकी हैं. रश्मि जूट के साथ-साथ ब्रेड से भी इयररिंग और स्टैच्यू बनाती हैं. उन्होंने बताया कि ब्रेड को मैश कर ग्लू के साथ मिला कर इययरिंग का शेप देती हैं. सूखने के बाद उसे रंगा जाता है. ब्रेड के इयररिंद इतने मजबूत होते हैं कि टूट भी नहीं सकते. रश्मि कहती है कि मैंने अपने शौक काम करते-करते इसे प्रोफेशन में ढाल लिया. शिल्प हाट खुलने से उन्हें मार्केट जगह मिल जायेगी.
आशा के अंडर में सौ लड़कियां करती हैं काम. एसके नगर में आशा क्रिएशन्स की ओनर आशा ने बताया कि उन्हें यह काम करते हुए 15 साल हो गये. शुरुआत में कारोबार को जमाने में दिक्कत हुई थी पर बाद में सब ठीक हो गया. पहले सिर्फ शौक के नाते करती थी, लेकिन जब लोगों को पसंद आने लगा, तो लगा कि इससे अच्छा काम मेरे लिए कोई नहीं हो सकता है.
उन्होंने बताया कि उनके यहां सिर्फ मधुबनी आर्ट पर एप्लिक, सुजनी और काथा वर्क में मिलेगा, जो थोड़ा हक कर होता है. सारे काम हाथ किये जाते हैं. उन्होंने बताया कि उनके अंडर सौ लड़कियां काम करती हैं, जो सभी वर्क हाथों से बनाती है. आशा ने बताया कि एक साड़ी पर मधुबनी आर्ट और वर्क का काम करने में लगभग छह महीने लगते हैं और इसी मेहनत की कीमत लगती है.
अलग हैं सुनीता की साड़ियां
टेक्सटाइल डिजाइनर सुनीता प्रकाश महिला उद्योग से लंबे समय से जुड़ी हैं. सुनीता अपने घर में काम करती हैं. वह बाटिक प्रिंट, ब्लॉक प्रिंट की एक्सपर्ट हैं. वह साड़ियों पर थीम पेंटिंग भी करती हैं. छठ, दीवाली और बाकी त्योहारों से जुड़े थीमों पर ज्यादा काम करती हैं क्योंकि इनकी बिक्री बहुत ज्यादा होती है. करीब 20 वर्षो में कई जगहों पर स्टॉल लगा चुकी हैं. उन्होंने बताया कि साल में उद्योग मेले के अलावा कोई जगह हमें चाहिए थी, जहां बिहार की चीजें मिले और लोग खरीद सकें. तीन महीने से इस सपने को पूरा करने में नीतू सिंह ने उनका पूरा साथ दिया.
विभा के स्वेटर
शिल्प हाट में विभा का क्रोशिया का काम थोड़ा हट कर है. ठंड के दिनों में ऊनी क्रोशिया के स्वेटर डिमांड में हैं. विभा चार वर्षो से काम कर रही हैं. उन्होंने बताया कि वे घर पर ही काम करती थीं और ऑर्डर पर चीजें बनाती थीं. ठंड में सेल बढ़ गयी थी. उन्होंने कहा कि हाट में लोग आयेंगे और उनके उत्पाद पसंद करेंगे व खरीदेंगे.