पटना . राज्य सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा लंबे समय से व्यय की गयी धनराशि का उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं देने के मामले पर पटना हाइकोर्ट में सुनवाई हुई.
चीफ जस्टिस संजय करोल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने रंजीत पंडित द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह इस मामले में हलफनामा दायर कर बताये कि अब तक उपयोगिता प्रमाणपत्र उसके द्वारा क्यों नहीं दिया गया है.
याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि एकाउंटेंट जनरल की ओर से कोर्ट में हलफनामा दायर कर स्थिति स्पष्ट की गयी है. राज्य सरकार ने अभी तक अपना जवाब नहीं दिया है.
एकाउंटेंट जनरल द्वारा दायर हलफनामा में बताया गया है कि वर्ष 2003-2004 से लेकर 2019 तक खर्च किये गये 86 हजार करोड़ का उपयोगिता प्रमाणपत्र राज्य सरकार के विभागों ने जमा नहीं किया है. अकेले शिक्षा विभाग ने 17 हजार करोड़ रुपये का उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं पेश किया है.
उन्होंने बताया कि 18 माह के भीतर किसी भी व्यय से संबंधित उपयोगिता प्रमाणपत्र दिया जाना चाहिए, लेकिन लंबी अवधि बीतने के बाद भी अब तक उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं जमा किया गया है.
उन्होंने बताया कि यह राशि काफी बड़ी है, जिसका अब तक उपयोगिता प्रमाणपत्र नहीं दिया गया है. यह सार्वजनिक धनराशि के दुरुपयोग का मामला हो सकता है. इस मामले पर अगली सुनवाई एक मार्च को होगी.
Posted by Ashish Jha