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बिहार: जारी हुई भ्रष्ट कर्मियों-अफसरों की सूची, 91 की जायेगी नौकरी

पटना: भ्रष्टाचार को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की समीक्षा बैठक का असर दिखने लगा है. सरकार ने 2006 से 2013 तक 91 भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों की सूची तैयार कर इनकी बरखास्तगी की पहल शुरू कर दी है. सामान्य प्रशासन विभाग ने सोमवार को सभी आरोपितों की सूची संबंधित विभागों को सौंप दी. इनमें मुखिया से […]

पटना: भ्रष्टाचार को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की समीक्षा बैठक का असर दिखने लगा है. सरकार ने 2006 से 2013 तक 91 भ्रष्ट सरकारी कर्मचारियों की सूची तैयार कर इनकी बरखास्तगी की पहल शुरू कर दी है. सामान्य प्रशासन विभाग ने सोमवार को सभी आरोपितों की सूची संबंधित विभागों को सौंप दी.

इनमें मुखिया से लेकर राज्य खाद्य निगम के मैनेजर तक शामिल हैं. सूची में दर्ज भ्रष्ट कर्मियों की बरखास्तगी की जायेगी या फिर उन्हें सेवा से मुक्त कर दिया जायेगा. जो रिटायर हो गये हैं, उनकी पेंशन की राशि जब्त करने का निर्णय लिया है. सरकार ने फिलहाल 50 मामलों में 91 वैसे कर्मचारी व पदाधिकारियों को चिह्न्ति किया है, जिन्हें घूस लेते गिरफ्तार किया गया था या भ्रष्टाचार के मामले निगरानी कोर्ट से सजा सुनायी जा चुकी है.

मुख्यमंत्री ने 15 जनवरी को भ्रष्टाचार मामले में कार्रवाई में तेजी लाने का निर्देश दिया था. निगरानी विभाग ने अब तक 964 भ्रष्टाचार के मामले दर्ज किये हैं. इनमें 856 मामलों में आरोप पत्र दायर किये गये हैं.

95 दोषी कर्मियों को सेवा से बरखास्त किया गया है. अगले दो महीनों में डेढ़ सौ सरकारी सेवकों की सेवा समाप्त की जानी है. इसी
कड़ी में 91 कर्मियों पर कार्रवाई को लिया जा रहा है. इस संबंध में मुख्य सचिव एके सिन्हा ने कहा कि सेवा नियमावली के प्रावधान के मुताबिक सजायाफ्ता लोकसेवकों को सेवा से बरखास्त या सेवामुक्त किया जा कता है. जो रिटायर हो चुके हैं, उनकी पेंशन राशि जब्त की जायेगी.

91 भ्रष्ट कर्मियों-अफसरों की सूची
कैलाश प्रसाद सिंह (प्राचार्य, आइटीआइ, गया), अजरुन सिंह (प्राइवेट), मुंद्रिका राय प्रभाकर (प्रधानाध्यापक, मिडिल स्कूल, बेलाउर), रामेश्वर प्रसाद (सहायक श्रमायुक्त), आनंद बिहारी श्रीवास्तव (सहायक, श्रम एवं नियोजन), विद्यानंद शर्मा (प्रवर कोटि लिपिक, एनएच), अवधेश प्रसाद (लिपिक, एसडीओ, नवादा), महेंद्र कुमार मस्ताना (पर्यवेक्षक, गया), कुमुद रंजन तिवारी ( प्रशाखा पदाधिकारी, पशुपालन), उर्मिला यादव (जेइ, मुंगेर), नरेंद्र कुमार सिन्हा (लिपिक, वाणिज्यकर, पटना), रामजी सिंह (प्रधान लिपिक, आरडीडी), दामोदर मिश्र (जीएम, कांटी पावर), पीसी श्रीवास्तव (थानाप्रभारी, चौथम), बालकेश्वर प्रसाद (एएसआइ, धरूआ), राम सुरेश तिवारी (जेइ), किशुन दास (प्रधान लिपिक, अंचल कार्यालय, पीरपैंती), जीतेंद्र मोहन (सहायक, बीपीएससी ), विश्वनाथ सिंह (लिपिक, जिला पीएफ, भागलपुर), पुनेश्वर राय (सहायक कारापाल, पूर्णिया), अशोक कुमार ( जिला प्रबंधक, एसएफसी, गया), नागेंद्र भूषण (सहायक प्रबंधक, एसएफसी, गया), दिनेश प्रसाद सिंह (उप प्रबंधक, एसएफसी, गया), दुर्गा प्रसाद गुप्ता (लेखापाल, एसएफसी, गया), राजदेव सिंह (लेखा कर्मी, एसएफसी, गया), कौशलेंद्र कुमार (प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी, मोहरा), सतीश कुमार सिन्हा (प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी, अतरी), हरिचरण मिश्र ( प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी, बोधगया), डॉ अली इमाम (प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी, मखदुमपुर), राज कुमार महतो ( सहायक गोदाम प्रबंधक, बांका), रविभूषण प्रसाद (अधीक्षण अभियंता, दरभंगा), नरेंद्र कुमार शर्मा (बीडीओ, लखीसराय), शिव नंदन सिंह (जेइ), रामप्रीत राय (एइ, एनआइपी), गोपाल कृष्ण (सहायक), शंकर पासवान (अभिकर्ता), राजेंद्र झा (ठेकेदार), सुरेंद्र प्रसाद सिंह (प्रखंड कृषि पदाधिकारी), लक्ष्मी शंकर रावत (हलका कर्मचारी), रामस्वरूप यादव (अभिकर्ता), शैलेंद्र मोहन श्रीवास्तव(जेइ), ओम प्रकाश (बीइइओ, कैमूर), डॉ राम कुमार हिमांशु (चिकित्सा पदाधिकारी, कोइलवर), रघुनाथ सिंह ( कंपाउंडर), बिल्टू सिंह (ड्रेसर) , शिवराज कुमार (स., पीआरडीए), पारसनाथ शर्मा (जेइ, रक्सौल), दिग्विजय सिंह ( एइ, रक्सौल), बद्री ठाकुर(मुखिया, कर्णपुर, सुपौल), वीरेंद्र मोहन प्रसाद (बड़ा बाबू, बीएसइबी), संयुक्ता कुमारी (लिपिक, पीएचइडी, गया), गौरी शंकर सिंह (डीटीओ, मुंगेर), जीपी सिन्हा (एमवीआइ, बिहारशरीफ), अरुण कुमार (एडीटीओ), राजेंद्र प्र. यादव, डॉ अफाक (देशी चिकित्सा पदात्र, भागलपुर), सैयद गुलाम फरीद (एसआइ, बांका), पीतांबर राय, (वन रक्षी), रौदी भेरियर (वन क्षेत्र पदाधिकारी, खगड़िया), गयानंद सिंह (विद्युत अंभियंता, गोगरी),वेद प्रकाश (सीओ, गड़खा), कालीचरण गुप्ता (कर्मचारी, गड़खा), अखिलेश्वर प्रसाद (उप मुखिया), शंभुनाथ सिंह (कर्मचारी, गड़खा), बबन सिंह (रामपुर), खुर्शीद हैदर (सीआइ), गोरख सिंह (मुखिया), रामबचन सिंह (बीएओ, फलका), डॉ विनोद कुमार वर्मा (प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, कांको), अवध शरण सिंह (सीइ, पीडब्ल्यूडी, दरभंगा), भोला नाथ पुरण (एसइ, पथ अंचल, पूर्णिया), त्रिभुवन प्रसाद सिन्हा (एसइ, पथ प्रमंडल, किशनगंज), सीतापति शरण (एइ), त्रिलोकेश्वर प्रसाद (जेइ), शेखर विश्वास (जेइ), हितलाल (एसआइ, पारस बिगहा), चंद्रशेखर सिंह, उमाशंकर यादव, मनोहर प्रसाद गुप्ता, बागेश्वरी प्रसाद सिंह, उमेश प्रसाद सिंह, वैद्यनाथ साह (अवर सचिव, माध्यमिक शिक्षा), अमोद कुमार झा (बीइइओ, अमौर), नागेश्वर प्रसाद साह(जेलर, बाढ़), जवाहर लाल सिंह (बीडीओ, रामनगर), जगदीश पंडित (मुखिया, मैरावरीढ़,गया)

बिचौलियों के खिलाफ ऑपरेशन की मॉनीटरिंग अब सीआइडी करेगा
बिचौलियों के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान की मॉनीटरिंग का जिम्मा सीआइडी को सौंप दिया गया है. राज्य पुलिस मुख्यालय द्वारा सरकारी दफ्तरों से बिचौलियों के खात्मे के लिए शुरू की गयी कार्रवाई के तहत अब तक करीब सौ मामले दर्ज किये जा चुके हैं, जिनमें करीब पौने तीन सौ बिचौलियों के साथ-साथ सरकारी अधिकारियों व कर्मियों को आरोपित बनाया गया है. राज्य पुलिस मुख्यालय ने इस ऑपरेशन के तहत प्रिवेंशन ऑफ मनी लांड्रिंग एक्ट (पीएमएल एक्ट) के तहत मामला दर्ज कर आरोपित सभी सरकारी लोक सेवकों और बिचौलियों के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला लिया है. दरअसल, विभिन्न जिलों में शुरू की गयी इस कार्रवाई में पुलिस इस एक्ट के तहत कार्रवाई करने में सक्षम नहीं थी, इसलिए पूरे ऑपरेशन की मॉनीटरिंग का जिम्मा सीआइडी को सौंपा गया है.
निलंबन के बावजूद सीओ करते रहे नौकरी
दुल्हिन बाजार के सीओ साकेत भूषण सिंह ने निलंबित होने के बाद तीन माह तक नौकरी की. कृषि विभाग ने उन्हें13 नवंबर, 2013 को निलंबित कर दिया था, लेकिन वह अब तक अपने पद पर बने रहे. न तो वरीय अधिकारियों को इसकी खबर हुई और न ही सीओ साहब ने उनको जानकारी दी. सोमवार को मामले का खुलासा होने पर डीएम ने सीओ को दोबारा चार माह के लिए निलंबित करते हुए विभागीय कार्रवाई शुरू करायी. सीबीआइ के करप्शन ब्रांच ने जांच में फर्जी व्यक्तियों को एलपीसी निर्गत करने का दोषी पाया गया था. इन फर्जी एलपीसी की मदद से जालसाजों ने किसान क्रेडिट कार्ड बनवा कर कृषि विभाग को साढ़े चार करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगाया. इसके बाद ब्यूरो ने उनके खिलाफ कृषि विभाग को अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए लिखा और उनकी अनुशंसा के आलोक में 13 नवंबर, 2013 को साकेत कुमार सिंह को निलंबित कर दिया गया. निलंबन की अवधि में उनका मुख्यालय मीठापुर स्थित संयुक्त निदेशक कार्यालय में रखा गया.
अधिकारियों से छिपाई सूचना!
आश्चर्य है कि सीओ साकेत कुमार सिंह के निलंबन की सूचना किसी अधिकारी को नहीं लगी. वे तीन महीने तक सामान्य रूप से कामकाज निबटाते रहे. सोमवार को जब डीएम को इस पता चला, तो उन्होंने दोबारा उनको चार माह के लिए निलंबित कर दिया. इस पूरे मामले को घोर अनुशासनहीनता के तौर पर देखा जा रहा है. साकेत भूषण से स्पष्टीकरण मांगते हुए उनको तत्काल विरमित कर दिया गया है. उनकी जगह विक्रम के सीओ को दुल्हिन बाजार के सीओ का प्रभार सौंपा गया है.

पहले भी की थी गड़बड़ी
डीएम ने बताया कि पहले भी उनके एवं अपर समाहर्ता के निरीक्षण के दौरान कई कमियां पायी गयी थी. इनको लेकर उनसे स्पष्टीकरण की मांग की गयी थी. लेकिन आज तक उनके द्वारा कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया. नीलाम पत्र से संबंधित किसी भी अभिलेख पर भी आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी. निरीक्षण में पाया गया था कि राजस्व कर्मचारी उदय कुमार से प्रभारी अंचल निरीक्षक एवं सभी हलकों का लगान वसूली का कार्य कार्यालय से ही किया जा रहा है, जो नियम के अनुकूल नहीं है.

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