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प्रिंसिपल ने मारा थप्पड़, जूनियर डॉक्टर ने घूंसा, पुलिस ने भी दौड़ा-दौड़ा कर पीटा

पीएमसीएच. इलाज ठप, नहीं हुए दो ऑपरेशन, ओपीडी से 250 मरीज लौटे पटना : पीएमसीएच में बुधवार को प्रिंसिपल डॉ एसएन सिन्हा ने डॉ आलोक कुमार नाम के जूनियर डॉक्टर को थप्पड़ मारा. इसके बाद जूनियर डॉक्टर ने भी प्रिंसिपल को जोड़दार घूंसा जड़ दिया. प्रिंसिपल व जूनियर डॉक्टर के बीच हुए इस विवाद ने […]

पीएमसीएच. इलाज ठप, नहीं हुए दो ऑपरेशन, ओपीडी से 250 मरीज लौटे
पटना : पीएमसीएच में बुधवार को प्रिंसिपल डॉ एसएन सिन्हा ने डॉ आलोक कुमार नाम के जूनियर डॉक्टर को थप्पड़ मारा. इसके बाद जूनियर डॉक्टर ने भी प्रिंसिपल को जोड़दार घूंसा जड़ दिया. प्रिंसिपल व जूनियर डॉक्टर के बीच हुए इस विवाद ने हंगामे का रूप ले लिया. मामला इतना अधिक बढ़ गया कि प्रिंसिपल के सुरक्षाकर्मियों ने जूनियर डॉक्टर को दौड़ा-दौड़ा कर पीटा. सुरक्षा गार्डों व डॉक्टर के बीच हाथापाई भी हुई. विरोध में जूनियर डॉक्टरों ने हंगामा कर इलाज ठप कर दिया.
बाइक ले जाने को लेकर हुआ विवाद : एनेस्थेसिया विभाग के पीजी स्टूडेंट डॉ आलोक कुमार की ड्यूटी राजेंद्र सर्जिकल ब्लॉक के ओटी नंबर तीन में लगी थी. वह अपनी बाइक से ओटी में जा रहा था. जबकि, इमरजेंसी वार्ड के पास बैरिकेडिंग कर बाइक व चार पहिया वाहनोें को अंदर जाने पर रोक लगा दी गयी है. डॉ आलोक बैरिकेडिंग पार कर कुछ दूर तक अंदर चला गया. इस पर सुरक्षा गार्डों ने उन्हें रोका. बाइक अंदर ले जाने से मना किया. इसको लेकर दोनों के बीच विवाद हो गया. विवाद बढ़ता देख प्राचार्य भी वहां पहुंच गये. डॉ आलोक का आरोप है कि बिना कुछ पूछे प्रिंसिपल ने थप्पड़ जड़ दिया. इसके बाद गार्डों और पुलिस के जवानों ने उसकी पिटाई कर दी.
घूंसा लगने के बाद डॉक्टरों ने प्रिंसिपल को गिरने से बचाया : प्रिंसिपल के थप्पड़ से बौखलाये जूनियर डॉक्टर आलोक ने भी अपना आपा खो दिया. उसने बिना कुछ सोचे समझे प्रिंसिपल को जोरदार घूंसा मार दिया. घूंसा इतना जोरदार था कि प्रिंसिपल गिरने लगे. लेकिन, पास में मौजूद अन्य डॉक्टरों उन्हें पकड़ लिया.
दो गुटों में बंट गये डॉक्टर : प्रिंसिपल व जूनियर डॉक्टर के बीच हुई मारपीट के बाद पीएमसीएच में डॉक्टर दो गुटों में बंट गये. जूनियर डॉक्टर जहां डॉ आलोक के पक्ष में उतर आये, वहीं सीनियर डॉक्टर प्रिंसिपल के पक्ष में खड़े हो गये. वहीं, साथी की पिटाई के बाद ओटी, इमरजेंसी, राजेंद्र सर्जिकल ब्लॉक, हथुआ वार्ड में काम कररहे जूनियर डॉक्टर एकजुट हो गयेऔर इलाज ठप कर दिया. इससेमरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा.ऑपरेशन टले, दर्जनों मरीज बिना इलाज लौटे : घटना सुबह 10:45 बजे हुई. इस दौरान अस्पताल में ओपीडी चल रहा था. सैकड़ों मरीज इलाज करा रहे थे. मारपीट के बाद जूनियर डॉक्टरों ने इलाज करने से मना कर दिया. नतीजा दो बड़े ऑपरेशन टाल दिये गये. ओपीडी के करीब 250 मरीज बिना इलाज के ही लौट गये.
इमरजेंसी में सबसे अधिक हुई परेशानी
पटना. प्रिंसिपल और जूनियर डॉक्टरों के बीच हुई मारपीट का असर मरीजों पर पड़ा. सबसे अधिक परेशानी इमरजेंसी वार्ड में आये मरीजों को भुगतना पड़ा. दोनों हाथ फ्रैक्चर लेकर आयी नालंदा जिले की फूलमती शर्मा को बिना इलाज ही लौटना पड़ गया. फूलमती ने बताया कि नालंदा जिले के एक अस्पताल में उसने कच्चा प्लास्टर बांध कर पीएमसीएच में आयी. यहां इमरजेंसी वार्ड में प्लास्टर चढ़ना था, लेकिन जूनियर डॉक्टर के नहीं होने से जहां रिपोर्ट नहीं बन पायी, वहीं प्लास्टर भी नहीं चढ़ पाया.
बंद कमरे में चली बैठक, आये निदेशक प्रमुख
मारपीट के बाद प्रिंसिपल के नेतृत्व में बैठक हुई. इसमें अस्पताल के सभी विभागाध्यक्ष सहित कई सीनियर डॉक्टर मौजूद थे. बंद कमरे में करीब डेढ़ घंटे तक बैठक चली. इधर दोनों पक्ष की ओर से अभी तक रिपोर्ट नहीं लिखवायी गयी है. उधर घटना की जानकारी मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग के निदेशक प्रमुख डॉ आजाद हिंद प्रसाद पीएमसीएच पहुंचे और मामले की जानकारी ली. दोनों पक्ष से रिपोर्ट बनाकर वह विभाग लेकर गये. रिपोर्ट के बाद प्रधान सचिव की ओर से जिम्मेदार डॉक्टरों पर कार्रवाई हो सकती है.
नियम बताने पर मुझसे उलझ गया
नोटबंदी के बाद अधिकतर प्राइवेट अस्पतालों में इलाज नहीं हो पा रहा है. ऐसे में पीएमसीएच में मरीज बढ़ गये हैं. इमरजेंसी व राजेंद्र सर्जिकल ब्लॉक में भीड़ नहीं हो, इसके लिए बैरिकेडिंग करवा दी गयी है. वाहन अंदर नहीं जा सकते. इसके बावजूद जूनियर डॉक्टर जबरदस्ती वाहन अंदर ले गया. नियम बताने के बाद वह मुझसे उलझ गया.
डॉ एसएन सिन्हा, प्रिंसिपल
मुझे नहीं थी नियम की जानकारी
मुझे नहीं पता था कि अंदर वाहन ले जाना मना है.
मैं सुरक्षा कर्मचारियों से नियम के बार में जानकारी
ले ही रहा था कि प्रिंसिपल ने मुझे मारना शुरू कर दिया. उन्होंने सुरक्षा गार्डों को भी मुझे पिटाई करने को कहा. मैंने इसका विरोध किया और जब नहीं सहन हुआ, तो अनजाने में हाथ उठ गया.
डॉ आलोक कुमार, जूनियर डॉक्टर

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