मुजफ्फरपुर. जिले में दो साल में 9.62 प्रतिशत कोरोना टीका का डोज बर्बाद हुआ है. इसमें कोविशील्ड 0.18 प्रतिशत, कोवैक्सीन 2.36 प्रतिशत और कोरवैक्स 7.08 प्रतिशत बर्बाद हुआ है. सोमवार को सिविल सर्जन उमेश चंद्र शर्मा ने जिला प्रतिरक्षण कार्यालय में जब टीका को लेकर समीक्षा बैठक की तो यह बातें सामने आयी.
सीएस ने कहा कि प्रखंडों में भेजे जाने वाले कोरोनारोधी वैक्सीन बर्बाद हो रही है. पिछले 2 सालों में प्रखंड वार कितना करोनारोधी टीका आया और उसका कितना उपयोग हुआ. इसका ब्योरा तलब किया गया है. सीएस ने कहा कि बोचहां व साहेबगंज में सबसे अधिक टीका की बर्बादी हुई है.
उन्होंने बताया कि सभी प्रभारी को निर्देश दिया गया है कि वह 10 डोज वाली टीका को उसी समय खोला जाए जब 10 आदमी आ जाए. अगर 8 आदमी आता है तो 2 आदमी का प्रबंध किया जाए या फिर दूसरे दिन टीका दिया जाए. उन्होंने कहा कि जिले में पिछले 2 सालों में 60 लाख डोज टीका आया हैं. जिसमें कोविशीलड, कोवैक्सीन और कोरवैक्स टीका शामिल है.
स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक वैक्सीन खराब होने की मुख्य वजह अगर वैक्सीन की शीशी खोल ली है तो उसे चार घंटे के अंदर इस्तेमाल करना होगा. अगर ऐसा नहीं हुआ तो डोज बेकार हो जाएंगे. कोवीशील्ड और कोवैक्सिन का इस्तेमाल टीकाकरण कार्यक्रम में हो रहा है. अब वैक्सीनेशन साइट्स पर भीड़ कम हो रही हैं.
इसके अलावा एक बड़ा कारण है वैक्सीन में स्टेबलाइजर का न होना. इससे शीशी खुलने के कुछ दिन बाद भी डोज दिए जा सकते हैं. कोवैक्सिन के एक शीशी में 20 डोज है, जबकि कोवीशील्ड की एक शीशी में 10 डोज. यह भी एक बड़ी वजह है डोज खराब होने की. चूंकि, ओपन वायल पॉलिसी लागू नहीं है, इस वजह से चार घंटे में जितने डोज शीशी में रह जाते हैं, वह बेकार हो जाती है.