शिक्षक नियोजन: हजारों अभ्यर्थियों के सपने हुए चूर!

छपरा (सदर) :शिक्षक नियोजन की दोषपूर्ण पद्धति, समय-समय पर प्रावधानों में ‘ट्रायल एंड एरर’ की विभागीय-कार्यशैली, एसीइआरटी के प्रावधानों के कारण सामान्य कोटि तथा पिछड़ी जाति के हजारों अभ्यर्थियों के टीइटी व एसटीइटी उत्तीर्ण होने के बावजूद शिक्षक बनने के सपने पर पानी फेर दिया. यदि सरकार शुरू से ही नियोजन में प्राथमिक, माध्यमिक, उच्चतर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 16, 2014 10:24 PM

छपरा (सदर) :शिक्षक नियोजन की दोषपूर्ण पद्धति, समय-समय पर प्रावधानों में ‘ट्रायल एंड एरर’ की विभागीय-कार्यशैली, एसीइआरटी के प्रावधानों के कारण सामान्य कोटि तथा पिछड़ी जाति के हजारों अभ्यर्थियों के टीइटी व एसटीइटी उत्तीर्ण होने के बावजूद शिक्षक बनने के सपने पर पानी फेर दिया.

यदि सरकार शुरू से ही नियोजन में प्राथमिक, माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक के शिक्षक नियोजन के लिए अवरोही क्रम में नियोजन प्रक्रिया शुरू करती, तो न तो इतनी सीटें खाली रहतीं और न इतने बड़े पैमाने पर इन दोनों कोटियों के छात्रों को भी नियोजित होने का मौका मिल जाता. शिक्षक नियोजन की शुरुआत आरोही के बदले अवरोही क्रम में हुई. नियोजन प्रारंभिक वर्ग से प्रारंभ कर मध्य, माध्यमिक तथा प्लस टू की ओर हुआ. ऐसी स्थिति में अधिकतर अभ्यर्थी निम्न वर्ग में योगदान के बाद उच्च वर्गो में नियोजित होने पर निमA वर्गो के पद से त्याग पत्र देते रहे. इससे वैकेंसी बैकलॉग में चली गयी और नये अभ्यर्थियों को मौका नहीं नहीं मिला.

यही नहीं, नियोजन के दौरान टीइटी व एसटीइटी का मूल प्रमाण नहीं लेने की भूल भी इसकी मुख्य वजह है. हालांकि नियोजन कैंप के दौरान सरकार ने पहले प्लस टू, माध्यमिक, मध्य तथा प्राथमिक का नियोजन कैंप लगाया, जो सफल रहा.

समय से सूचना नहीं मिल पाना भी मूल वजह!
समय-समय पर आयोजित काउंसेलिंग, प्रमाणपत्र जांच, सहमति की कार्रवाई की नियोजन इकाई द्वारा विधिवत विज्ञापन या विज्ञप्ति नहीं निकाली गयी. नियोजन इकाई द्वारा ससमय एनआइसी को सूचना या औपबंधिक, अंतिम व चयनित अभ्यर्थियों की मेधा सूची हस्तगत नहीं करायी गयी. यदि कुछ नियोजन इकाइयों द्वारा हस्तगत भी कराया गया, तो समय पर सूचना एवं सूचियों को नेट पर उपलब्ध नहीं कराया जा सका. फलत: भारी संख्या में अभ्यर्थी काउंसेलिंग से वंचित रह गये. वहीं काउंसेलिंग में वंचित अभ्यर्थियों का दावा समाप्त करने का भी निर्देश भी विभाग ने दिया था.
आते रहे संशोधित आदेश
नियोजन प्रक्रिया के दौरान लगातार नियमावली में संशोधन संबंधी लगातार पत्र आते रहे. शिक्षक नियोजन नियमावली-2013 प्रारंभ से ही सवालों के घेरे में रही. संशोधन की संख्या पांच दर्जन से भी अधिक रही. नियोजन इकाइयों को नियमावली एवं संशोधन से अद्यतन नहीं रह पाना भी संभव नहीं हो सका. इससे नियोजन इकाइयों व अभ्यर्थियों के बीच असमंजस व असंतोष बरकरार रहा. अस्पष्ट संशोधन के कारण भी नियोजन की प्रक्रिया के दौरान अभ्यर्थियों की योग्यता पर सवाल उठते रहे. किसी पत्र के द्वारा खास अभ्यर्थी का नियोजन सही ठहराया गया, तो कुछ ही दिन के बाद दूसरे पत्र के द्वारा उसे गलत ठहराया गया. ऐसी स्थिति में एक योग्यता पर जो पहले नियोजित हो गये, वहीं संशोधन पत्र आने के बाद कई नियोजन से वंचित रह गये.
एससी-एसटी व अति पिछड़ों की रही बल्ले-बल्ले
एससीइआरटी के आदेश के अनुसार, एससी-एसटी तथा अति पिछड़ी के अभ्यर्थी अनट्रेंड होने के बावजूद इस चरण में शिक्षक नियोजित हुए. परंतु, सामान्य व पिछड़ी के लिए यह आदेश नहीं होने के कारण इस वर्ग के अभ्यर्थी टीइटी व एसटीइटी उत्तीर्ण होने के बावजूद शिक्षक बनने की हसरत पूरी नहीं कर पाये. अभ्यर्थियों का आरोप था कि शुरू से ही त्रुटिपूर्ण प्रक्रिया का खामियाजा इस वर्ग के हजारों उत्तीर्ण युवकों को भुगतना पड़ा.

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