बिहारशरीफ (नालंदा)
सूफी संतों व बुजुर्गो की यादों से आबाद बिहारशरीफ की पाक धरती पर मंगलवार को सूफी महोत्सव की महफिल जमी. श्रम कल्याण केंद्र के परिसर में इसका आगाज मखदुमे जहां के सज्जादनशी सैयद सैफुद्दीन फिरदौसी उर्फ पीर साहेब, डीएम पलका साहनी, डीडीसी रचना पाटील और डिप्टी मेयर शंकर कुमार ने संयुक्त रूप से दीप जला कर किया. इस मौके पर पीर साहेब के पुत्र सैयद शाह मोहम्मद हुसाम फिरदौसी ने तिलावते कलाम पाक और नाद शरीफ का पाठ कर सूफी महोत्सव को सूफियाना रंग
में ढालने की शुरुआत की. पीर साहेब ने कहा कि जश्ने सूफी पर सूफी संत व बुजुर्गो को आम अवाम तक पहुंचाना और उस पर अमल के लिए प्रेरित करना असल मकसद है. मुल्क जुबान, मजहब, जाति के नाम पर एक-दूसरे से ईष्र्या, द्वेष व अशांति के कारण जल रहा है. हर जगह अफरा-तफरी है. ऐसे में प्रेम, भाईचारा, एकता, अमन व शांति का संदेश देश में काफी बदलाव ला सकता है. सूफी बुजुर्गो के पैगाम देश में लोगों को जोड़ने और आपसी प्रेम को बढ़ाने का काम करेगा.
संध्या में देश के चर्चित कव्वाल व शायरों ने ऐसा समां बांधा कि लोग झूमने लगे. पश्चिम बंगाल के कव्वाल सलीम चिस्ती ने ‘दिल में तेरा ख्याल, तेरी जुस्तजु रहे, मकसद मेरी हयात का बस तू हीं तू रहे..’, शेर से इस संगीत के महफिल का आगाज किया. इसके बाद एक से एक शेरो-शायरी व कव्वाली का मुजाहिरा कर लोगों को ठंड में भी गरमी लाने का काम किया. नयी दिल्ली के उस्ताद इकबाल अहमद खां ने मौशिकी के इस सफर में अपने दमदार शेरो-शायरी एवं आवाज से महफिल में चार चांद लगाने का काम किया. वहीं पटना की निनाद सांस्कृतिक संध्या द्वारा सूफियाना अंदाज में बेले नृत्य प्रस्तुत कर लोगों को आकर्षित किया. फकीरी बाउल को भी लोगों ने काफी पसंद किया. इस मौके पर शहर के गण्यमान्य लोग के साथ सभी सरकारी पदाधिकारी व बड़ी संख्या में दर्शक मौजूद थे.