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भाजपा नेता ताराकांत झा जदयू में शामिल

पटना. भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधान परिषद के पूर्व सभापति पंडित ताराकांत झा बुधवार को जदयू में शामिल हो गये. मुख्यमंत्री निवास पर नीतीश कुमार की मौजूदगी में जदयू की सदस्यता ग्रहण की. मौके पर जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, सिंचाई मंत्री विजय कुमार चौधरी, पूर्व विधान पार्षद संजय झा और संजय […]

पटना. भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधान परिषद के पूर्व सभापति पंडित ताराकांत झा बुधवार को जदयू में शामिल हो गये. मुख्यमंत्री निवास पर नीतीश कुमार की मौजूदगी में जदयू की सदस्यता ग्रहण की. मौके पर जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, सिंचाई मंत्री विजय कुमार चौधरी, पूर्व विधान पार्षद संजय झा और संजय कुमार सिंह उर्फ गांधी जी उपस्थित थे. बाद में वह जदयू प्रदेश कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने विधिवत पार्टी में शामिल होने की घोषणा की.

मोदी ने नहीं दिया सम्मान : उन्होंने कहा कि भाजपा छोड़ते वक्त मैं अत्यंत दुखी हूं. मैंने अपने जीवन के 60 वर्ष जनसंघ-भाजपा को दिये हैं. पूछे जाने पर कि क्या आरएसएस की विचारधारा से आप कट जायेंगे? उन्होंने कहा नहीं. जनसंघ के दिनों से भाजपा के साथ था. जदयू ज्वाइन करने के बाद भी उन्होंने नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री की योग्यता को अस्वीकार नहीं किया. उन्होंने कहा कि विधान परिषद का कार्यकाल समाप्त होने के बाद से मैंने भाजपा के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया. मेरे मन में तभी से द्वंद्व चल रहा था. भाजपा में रहूं या कोई और रास्ता खोजूं. अंतत नीतीश कुमार की निकटता मुङो जदयू ले आयी. उन्होंने कहा कि कहने को सुशील मोदी हमारे नेता थे, लेकिन उनसे कोई लाभ मुङो नहीं मिला. मैं यह मानता हूं कि जहां सम्मान न मिले, वहां जाना बेकार है. पार्टी छोड़ने के पहले मैंने अपनी मंशा राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह को बता दी थी. मैं लगातार अस्वस्थ रहा, लेकिन भाजपा के किसी नेता ने मेरा हालचाल नहीं लिया. उन्होंने कहा कि विधान परिषद का सभापति मुझ नीतीश कुमार ने बनाया था. तारा कांत झा ने कहा कि वे टिकट लेने जदयू में नहीं आये हैं. जदयू मुङो टॉस्क दे, उसे मजदूर की तरह पूरा करुंगा.

पार्टी आत्ममंथन करे : चौबे
पूर्व मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने श्री झा के जद यू में शामिल होने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि भाजपा को इस पर आत्ममंथन करना चाहिए. उन्होंने कहा कि ताराकांत झा बिहार जनसंघ के अध्यक्ष रहे. उनकी निष्ठा, राष्ट्रीय भावना और आरएसएस का जीवन दर्शन कार्यकर्ताओं के लिए अनुकरणीय रहा है. वह किन परिस्थितियों में जद यू जैसे छद्म धर्मनिरपेक्ष में चले गये. कार्यकर्ता आहत हुए हैं. यह उनकी सबसे बड़ी भूल साबित होगी.

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