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सूबे का पहला हाइटेक कलेक्ट्रेट बना नालंदा

बिहारशरीफ (नालंदा). विकास के कई क्षेत्रों में सफलता के झंडे गाड़ चुके नालंदा के जिला प्रशासन ने आधुनिक तकनीक के उपयोग में भी सूबे में अव्वल रहा है. जिला मुख्यालय स्थित नालंदा कलेक्ट्रेट सूबे का पहला हाइटेक कलेक्ट्रेट बन गया है, जहां कार्य संस्कृति को बेहतर बनाने व पारदर्शिता लाने के लिए सीसीटीवी कैमरे के […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 21, 2014 10:36 PM

बिहारशरीफ (नालंदा).

विकास के कई क्षेत्रों में सफलता के झंडे गाड़ चुके नालंदा के जिला प्रशासन ने आधुनिक तकनीक के उपयोग में भी सूबे में अव्वल रहा है. जिला मुख्यालय स्थित नालंदा कलेक्ट्रेट सूबे का पहला हाइटेक कलेक्ट्रेट बन गया है, जहां कार्य संस्कृति को बेहतर बनाने व पारदर्शिता लाने के लिए सीसीटीवी कैमरे के माध्यम से निगरानी की व्यवस्था की गयी है. वहीं, स्पेस मैनेजमेंट, अभिलेख मैनेजमेंट, डाक ट्रैकिंग व मॉनीटरिंग, कोर्ट केस मॉनीटरिंग सिस्टम आदि को लागू किया गया है. जिला पदाधिकारी पलका साहनी ने कलेक्ट्रेट में नयी पद्धति से सेवा प्रदान करने की व्यवस्था के सुदृढ़ीकरण कार्य की शुरुआत करते हुए शुक्रवार को उक्त जानकारी दी. डीएम श्रीमती पलका साहनी ने पत्रकारों से कहा कि आम नागरिकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए पूरी दक्षता के साथ, कम समय में जनोन्मुखी सेवा बेहतर ढंग से उपलब्ध कराने के उद्देश्य से नयी पद्धति को लागू किया गया है. इस पद्धति से अंर्तकार्यालयी प्रशासन एवं मुख्य प्रक्रियाओं को बेहतर बना कर कर्मियों की क्षमता व उत्पादकता में भी वृद्धि लायी जा सकेगी. समाहरणालय स्थित वैसी शाखाएं, जहां आम जनों का ज्यादा सरोकार है, उन्हें समाधान केंद्र पर सिंगल विंडो के माध्यम से एकीकृत सेवा उपलब्ध करायी जायेगी. छात्रवृत्ति केस का नकल सहित डीएम को संबोधित कोई भी आवेदन इसी खिड़की पर प्राप्त एवं निर्गत किया जायेगा. सिंगल विंडो से प्राप्त पत्र एवं आवेदनों के अनुश्रवण एवं डाक प्रक्रिया में लगने वाले समय की बचत के लिए 01 अप्रैल से डाक ट्रैकिंग एंड मॉनीटरिंग सिस्टम लागू किया जायेगा. पोर्टल के माध्यम से मॉनिटरिंग होने से अनावश्यक रूप से पत्र व संचिका को रोक कर रखने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगेगा. उन्होंने बताया कि समाहरणालय परिसर में 16 स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं. इसके माध्यम से न केवल भ्रष्टाचार पर रोक लगेगा, बल्कि आम लोग किसी भी तरह से परेशान नहीं किये जायेंगे. इस पर भी नजर रखी जा सकेगी. डीएम ने बताया कि उनके कार्यालय कक्ष में कंट्रोल सिस्टम के माध्यम से वीडियो, फोटो व वॉयस की रिकॉर्डिग की जा रही हे. जरूरत पड़ने पर उसे पुन: देखा जा सकता है. सेवांत लाभ की गणना को स्वचालित प्रबंधन व्यवस्था की शुरुआत की गयी है. इसके अवकाश प्राप्त करने वाले सरकारी कर्मियों को काफी राहत मिलेगी. जाति एवं चरित्र सत्यापन की प्रक्रिया को पुर्न अभियंत्रिकीकरण के माध्यम से निष्पादन की अवधि 15-20 दिन तक कमी की गयी है. इसमें और कमी का प्रयास किया जा रहा है. कलेक्ट्रेट में पुराने अभिलेखों के रखरखाव के लिए आधुनिक अभिलेखागार बना कर सुव्यवस्थित किया गया है तथा सभी कोषांग कार्यालयों को पुर्नव्यवस्थित कर कर्मियों में सहयोगात्मक वातावरण तैयार किया गया है. एक फैसिलिटी मैनेजर को नियुक्त किया जा रहा है, जो कलेक्ट्रेट स्थित विभिन्न शाखाओं की छोटी-मोटी आवश्यकताओं व परेशानियों पर नजर रखेंगे तथा उन्हें सहायता पहुंचायेंगे.

डीएम ने बताया कि पायलट प्रोजेक्ट के तहत डीएफआइडी वित्त पोषित बिहार अभिशासन प्रशासनिक सुधार कार्यक्रम की शुरुआत मई, 2013 में की गयी थी. इस प्रोजेक्ट के समन्वयक हर्ष कोठारी के नेतृत्व में उनके सहयोगियों ने एक वर्ष से कम समय में ही इसे लागू करने में सफलता पायी है.

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