9.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

विशेष राज्य का दर्जा: ठंडे बस्ते में डाल दी गयीं बिहार के हक की सिफारिशें

पटना: केंद्र सरकार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने के पैमाने तय करने को लेकर गठित रघुराम गोविंदा राजन कमेटी को आखिर ठंडे बस्ते में डाल दिया. कमेटी की सिफारिशों पर 26 नवंबर, 2013 को उच्चस्तरीय बैठक निर्धारित थी. लेकिन, अंतिम समय में बिना किसी कारण के इस बैठक को टाल दिया […]

पटना: केंद्र सरकार ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने के पैमाने तय करने को लेकर गठित रघुराम गोविंदा राजन कमेटी को आखिर ठंडे बस्ते में डाल दिया. कमेटी की सिफारिशों पर 26 नवंबर, 2013 को उच्चस्तरीय बैठक निर्धारित थी. लेकिन, अंतिम समय में बिना किसी कारण के इस बैठक को टाल दिया गया. कमेटी की सिफारिशों को लेकर करीब 11 करोड़ बिहारवासियों की उम्मीदें बंध गयी थीं.

सबको केंद्र सरकार के फैसले का इंतजार था. लेकिन, जब बैठक टाल दी गयी, तो यह साफ हो गया कि राजनीतिक कारणों से बिहार की अनदेखी की गयी है. राज्य के सत्ताधारी दल जदयू का आरोप है कि यूपीए के सहयोगी दलों के दवाब के कारण यह बैठक टाली गयी है. केंद्र सरकार के पास रघुराम जी राजन कमेटी की रिपोर्ट के रूप में एक ऐसा हथियार था, जिसके दम पर वह बिना राष्ट्रीय विकास परिषद की सहमति के ही बिहार समेत अन्य पिछड़े राज्यों को विशेष राज्य का दर्जा दे सकती थी.

केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम 11 मई, 2013 को एक दिन के अपने पटना दौरे में संवाददाताओं के समक्ष बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिये जाने को लेकर विशेष कमेटी की गठन की घोषणा की थी. इसके तीन दिन बाद 15 मई को सरकार ने वित्त मंत्रलय के मुख्य आर्थिक सलाहकार रघुराम जी राजन की अध्यक्षता में विशेष कमेटी का गठन कर दिया गया. कमेटी में बिहार से एकमात्र शैबाल गुप्ता को सदस्य नियुक्त किया गया. कमेटी की पहली बैठक 28 मई को हुई. सरकार ने 15 अगस्त तक राज्यों के पिछड़ेपन का मानक तय करने को लेकर रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा था.

क्या है कारण
रघुराम जी राजन कमेटी की रिपोर्ट को ठंडे बस्ते में डाल देने के पीछे राजनीतिक कारण तलाशे जा रहे हैं. केंद्र सरकार के पास इसका कोई सटीक जवाब नहीं दिख रहा. 2006 में जब बिहार विधानसभा ने सर्वसम्मत से राज्य को विशेष दर्जा देने का प्रस्ताव पारित किया और इसके लिए प्रधानमंत्री से सर्वदलीय शिष्टमंडल के मिलने का समय मांगा गया.

लेकिन, यह समय आज तक नहीं मिल पाया. इसके बाद भी राज्य की ओर से लगातार प्रयास जारी रहे. प्रधानमंत्री को सवा करोड़ लोगों के दस्तखत से युक्त ज्ञापन सौंपने के बाद केंद्र सरकार ने योजना आयोग की सलाहकार सुधा पिल्लई की अध्यक्षता में अंतरमंत्रलयीय समूह का गठन कर दिया. समूह की कई बैठकें हुईं. जब उसकी रिपोर्ट देने की बारी आयी, तो मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य सरकार के अधिकारी अंतरमंत्रलयी समूह से मिले और विशेष दर्जा के संबंध में ठोस साक्ष्य उपलब्ध कराये. इसके बाद भी समूह ने अपनी रिपोर्ट सरकार को यह कहते हुए सौंप दी कि बिहार विशेष राज्य के दर्जे के वर्तमान सभी मानकों में अनफिट है.

दिलचस्प यह कि केंद्र सरकार की ओर से इस रिपोर्ट की जानकारी बिहार को नहीं दी गयी. समय बीत जाने पर सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी गयी, तब पता चला कि बिहार की मांग को खारिज कर दिया गया है. इस खुलासे के बाद राज्यवासियों को गहरा धक्का लगा. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केंद्र से विशेष राज्य के दर्जे के मौजूदा मानकों को बदलने का अनुरोध किया. राज्य का तर्क था कि पूर्व के मानकों पर भी बिहार खरा उतरता है. लेकिन, मौजूदा परिस्थिति में प्रति व्यक्ति आय, प्रति व्यक्ति खर्च, मानव विकास इंडेक्स को भी इनमें शामिल कर नये मानक तैयार किये जाएं. इससे बिहार समेत सभी पिछड़े राज्यों को भी लाभ होगा. इस मांग के समर्थन में चार नवंबर, 2012 को पटना और 22 मार्च, 2013 को दिल्ली में अधिकार रैली की गयी. 12 मई को केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम नालंदा अंतरराष्ट्रीय विवि के प्रस्तावित स्थल का विजिट करने पटना आये. लौटने के क्रम में उन्होंने हवाई अड्डे पर पत्रकारों के सवाल के जवाब में कहा कि केंद्र सरकार शीघ्र ही एक विशेष कमेटी गठित करने जा रही है, जिसकी सिफारिशों के आधार पर नये सिरे से राज्यों के पिछड़ेपन के मानक तय किये जायेंगे. उन्होंने उम्मीद भी जतायी कि बिहार इस मानक पर खरा उतरेगा और इससे विशेष राज्य का दर्जा का मार्ग प्रशस्त होगा.

दो सितंबर,2013 को रघुराम राजन कमेटी ने सौंप दी थी रिपोर्ट
रघुराम जी राजन कमेटीकी पहली बैठक 28 मई, 2013 को हुई थी. दो घंटे तक चली इस बैठक में कमेटी के टर्म ऑफ रेफरेंस पर चर्चा हुई. बैठक में कमेटी के सदस्य और आद्री के सदस्य सचिव डॉ शैबाल गुप्ता भी शमिल हुए. कमेटी क ी दूसरी बैठक 12 जून क ो निर्धारित थी. लेकिन, यह बैठक 19 जून को हुई. बैठक में टर्म ऑफ रिफरेंस पर विस्तार से चर्चा हुई. कमेटी की तीसरी बैठक 11 जुलाई क ो हुई. इस बैठक में सदस्यों ने पिछड़ेपन के मानकों पर चर्चा की और नये इंडेक्स पर अपने अपने तर्क दिये.

17 जुलाई को चौथी बैठक में मानदंड को लेकर सदस्यों क ी राय बनती दिखी. हालांकि, बिहार को लेकर कमेटी के सदस्यों की राय एकमत नहीं जान पड़ती थी. 24 जुलाई को पांचवीं बैठक में सदस्यों ने मानक तय किये और उन पर राज्यों से प्राप्त आंकड़े को फिट किया. 10 अगस्त को कमेटी की छठी और अंतिम बैठक हुई. इसमें मानकों को लेकर अंतिम चर्चा हुई. कमेटी को सारे राज्यों से आंकड़े उपलब्ध हो चुके थे. कमेटी को 15 अगस्त से पहले अपनी रिपोर्ट देनी थी. लेकिन, इस दिन ऐसा कहा गया कि 28 अगस्त तक रिपोर्ट सरकार को सौंपी जायेगी. इसी बीच केंद्र सरकार ने कमेटी के अध्यक्ष डॉ रघुराम जी राजन को रिजर्व बैंक का गवर्नर नियुक्त कर दिया. श्री राजन को चार सितंबर को नया पदभार ग्रहण करना था. इस कारण दो सितंबर को उन्होंने अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्री पी चिदंबरम को सौंप दी, जिसे 26 सितंबर को सार्वजनिक किया गया.

चिदंबरम के बदलते बोल

26 सितंबर, 2013, रिपोर्ट जारी करते वक्त
प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने राजन कमेटी की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए इस दिशा में आगे की कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. इसके तहत राज्यों की जरूरत और प्रदर्शन के आधार पर फंड आवंटन किया जायेगा.

20 फरवरी, 2013, लोकसभा में
रघुराम राजन समिति ने कुछ पैरामीटर की पहचान सुझायी है, जिनके आधार पर राज्यों की पहचान की जा रही है. इस संबंध में विभिन्न मंत्रलयों से भी सुझाव मांगे गये हैं और सरकार समिति की रिपोर्ट पर सक्रियता से विचार कर रही है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें