बिना नेट-पीएचडी के 26 बने प्राध्यापक-वैज्ञानिक

सबौर (भागलपुर). बीएयू में नियुक्ति में गड़बड़ी मामले में रोज एक से एक नये खुलासे हो रहे हैं. विवि द्वारा सूचना के अधिकार के तहत उपलब्ध करायी गयी जानकारी के अनुसार, नियुक्ति में एक कई स्तरों पर धांधली बरती गयी है. विवि की ओर से 281 पदों के लिए विज्ञापन निकाला गया था, जिसमें कुल […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 27, 2017 7:34 AM
सबौर (भागलपुर). बीएयू में नियुक्ति में गड़बड़ी मामले में रोज एक से एक नये खुलासे हो रहे हैं. विवि द्वारा सूचना के अधिकार के तहत उपलब्ध करायी गयी जानकारी के अनुसार, नियुक्ति में एक कई स्तरों पर धांधली बरती गयी है. विवि की ओर से 281 पदों के लिए विज्ञापन निकाला गया था, जिसमें कुल 1291 अभ्यर्थी शामिल हुए और 161 अभ्यर्थियों का चयन किया गया. इन 161 अभ्यर्थियों में 26 ऐसे अभ्यर्थी पाये गये हैं, जिनके पास न तो नेट की डिग्री है और न ही पीएचडी की. इसके अलावा इनका न ही कोई आलेख प्रकाशित हुआ है, न ही इनको पूर्व में किसी प्रकार का काम करने का अनुभव प्राप्त है. ऐसे 26 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार और प्रजेंटेशन में शत-प्रतिशत अंक (20 में 20) देकर उनका चयन कर लिया गया है. इसके अलावा कई अभ्यर्थी जिनका आरक्षित वर्ग में चयन हो सकता था, उनको सामान्य वर्ग में रख कर अयोग्य घोषित कर दिया गया.
बताया जाता है कि कॉल लेटर में अभ्यर्थी को इंटरव्यू के समय पांच मिनट का पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन अनिवार्य रूप से देने और इसके लिए अभ्यर्थी को अपने साथ प्रजेंटेशन का सीडी लाने का निर्देश दिया गया था. इसके लिए 10 अंक निर्धारित थे, जबकि साक्षात्कार के लिए 10 अंक निर्धारित थे. लेकिन एक दिन में 120 से 150 अभ्यर्थियों का साक्षात्कार और प्रजेंटेशन दोनों संभव नहीं हो पाने के कारण किसी भी अभ्यर्थी का प्रजेंटेशन नहीं लिया गया. इस स्थिति में प्रजेंटेशन के अंक भी साक्षात्कार में जोड़ दिये गये और चहेतों को मनमाना अंक देकर सफल घोषित किया गया. इसके अलावा अकादमिक आधार पर तैयार किये गये 80 अंक में धांधली बरती गयी. इसमें एक ओर जहां जिन अभ्यर्थियों का अकादमिक रिकॉर्ड कमजोर था, उनको शत-प्रतिशत अंक दिया गया, वहीं अच्छे अकादमिक रिकॉर्ड वाले छात्रों को न्यूनतम अंक देकर अयोग्य घोषित कर दिया गया.
इसके अलावा एक ही विषय के विशेषज्ञ से कई अन्य विषयों के अभ्यर्थियों का साक्षात्कार कराया गया, जबकि नियमत: उन सभी विषयों के लिए अलग-अलग विशेषज्ञ होने चाहिए थे. नियुक्ति में न्यूनतम अर्हता पीजी में 55 प्रतिशत अंक होने को ताक पर रख दिया गया और ऐसे अभ्यर्थियों को बुलावा भेजा गया, जिनको पीजी में 55 प्रतिशत से कम अंक थे. कार्यरत वहीं एक्सपर्ट पैनल बनाने में धांधली बरती गयी है. अपने चहेतों को नौकरी देने के लिए पूर्व कुलपति ने अपने रिश्तेदार को भी एक्सपर्ट पैनल में शामिल कर दिया, जो विवि के एक्ट के विरुद्ध है.
अकादमिक रिकॉर्ड से मेरिट लिस्ट तक धांधली ही धांधली
बीएयू में नियुक्ति मामले में हर स्तर पर बरती गयी अनियमितता
चहेते अभ्यर्थियों को बढ़ा-चढ़ा कर दिये गये अंक
मेरिट वाले अभ्यर्थियों को कम अंक दे कर घोषित किया अयोग्य

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