फर्जीवाड़ा : पैसे दो, कोई भी सर्टिफिकेट लो
नेशनल रूरल डेवलपमेंट प्रोग्राम के नाम से खोल रखा था ऑफिस छह जालसाज पकड़े गये समस्तीपुर के एक युवक से 40 हजार रुपये लेकर दिया था सर्टिफिकेट पटना : पैसे दो और देश के किसी भी विश्वविद्यालय से बीए व एमए की डिग्री लो. इसी तर्ज पर जालसाजों ने कोतवाली थाने के हड़ताली मोड़ के […]
नेशनल रूरल डेवलपमेंट प्रोग्राम के नाम से खोल रखा था ऑफिस
छह जालसाज पकड़े गये समस्तीपुर के एक युवक से 40 हजार रुपये लेकर दिया था सर्टिफिकेट
पटना : पैसे दो और देश के किसी भी विश्वविद्यालय से बीए व एमए की डिग्री लो. इसी तर्ज पर जालसाजों ने कोतवाली थाने के हड़ताली मोड़ के समीप जाकिर हुसैन संस्थान परिसर में नेशनल रूरल डेवलपमेंट प्रोग्राम के नाम से कार्यालय खोल रखा था और छात्रों से पैसे लेकर फर्जी सर्टिफिकेट दे रहे थे. इसका खुलासा उस समय हुआ, जब समस्तीपुर के छात्र मंतोष कुमार ने कोतवाली थाने पुलिस को इसकी शिकायत की और बताया कि उससे 40 हजार रुपये ले लिये गये और बीए इन फाइन आर्ट्स का फर्जी सर्टिफिकेट संबलपुर यूनिवर्सिटी का दे दिया गया.
इसके बाद एसएसपी के निर्देश पर विधि व्यवस्था डीएसपी डॉनोमानी के नेतृत्व में टीम ने कार्यालय में छापेमारी की और छह लोगों को पकड़ लिया. पकड़े गये लोगों में दो महिलाएं भी शामिल हैं.
पुलिस ने इस मामले में हर्षवर्धन कुमार सिंह (पटेल नगर, कुंती पैलेस अपार्टमेंट), मृणाल चक्रवर्ती (न्यू पुनाईचक), तरुण कुमार (पोस्टल पार्क रोड नंबर तीन), अशोक कुमार गुप्ता (परसा बाजार), कुमारी अन्नू (बहादुरपुर हाउसिंग कॉलोनी) व शैलजा कुमारी (राजापुर, मैनपुरा) को पकड़ा है. कार्यालय से काफी संख्या में फर्जी दस्तावेज भी बरामद किये गये हैं. हालांकि, उक्त कार्यालय का संचालक व हम के युवा विंग का राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञान प्रकाश फरार होने में सफल रहा. पुलिस ने उसकी उजले कलर की स्काॅर्पियो को जब्त कर लिया है. उक्त गाड़ी के आगे लगे नेम प्लेट पर पद का जिक्र किया गया है.
पुलिस के अनुसार पकड़ा गया हर्षवर्धन संचालनकर्ता है. मृणाल वेब डिजाइनर है और यह सर्टिफिकेट को डिजाइन करने का काम करता था. तरुण कुमार हम के युवा विंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष ज्ञान प्रकाश का चालक है. अशोक कुमार गुप्ता कार्यालय में चपरासी के पद पर कार्यरत था. साथ ही कुमारी अन्नू संचालिका है और शैलजा ऑफिस स्टाफ है. युवा हम के राष्ट्रीय युवा अध्यक्ष रहे ज्ञान प्रकाश ने विज्ञप्ति के जरिये सफाई दी है. उसने कहा कि उसका नाम राजनीतिक द्वेष से घसीटा जा रहा है. फर्जीवाड़ा मामले से उसका कोई लेना-देना नहीं है.
बीए इन फाइन आर्ट्स के लिए छात्र मंतोष ने दिये थे 40 हजार : मंतोष के अनुसार उसने 2015 में ज्ञान प्रकाश, कुमारी अन्नू व हर्षवर्धन को 40 हजार रुपये दिये थे. उस समय उन लोगों ने परीक्षा भी होने की जानकारी दी थी. लेकिन, कोई परीक्षा नहीं हुई और उसे कुछ दिन पहले संबलपुर यूनिवर्सिटी का सर्टिफिकेट दे दिया गया. इसके बाद उसे शक हुआ, तो उसने आरटीआइ के माध्यम से जानकारी ली, तो यह पता चला कि वह फर्जी है. इसके बाद वह ज्ञान प्रकाश से पैसा मांगने गया, तो वह टालमटोल करने लगा. उसने उक्त कार्यालय के फ्लैट मालिक से भी संपर्क किया, लेकिन उन्होंने भी असमर्थता जतायी, तो फिर मंगलवार की शाम उसने कोतवाली थाने पुलिस को मामले की जानकारी दी. इसके बाद पुलिस ने छापेमारी की.
हर तरह के कोर्स के लिए अलग-अलग थी रकम
पटना. विज्ञापन के माध्यम से छात्रों को कोर्स करने की जानकारी दी जाती थी. इसके बाद जब छात्र वहां पहुंचते थे, तो उन्हें बताया जाता था कि राष्ट्रीय ग्रामीण विकास कार्यक्रम के तहत नेशनल एजुकेशन काउंसिल से मान्यता प्राप्त है और उन्हें विश्वविद्यालयों से सर्टिफिकेट प्रदान किये जायेंगे. साथ ही हर कोर्स के लिए अलग-अलग रेट तय थे. यहां तक एमबीए, एमसीए व अन्य पाठ्यक्रमों के लिए भी सर्टिफिकेट दिये जाते थे, लेकिन इसके लिए एक लाख तक लिये जाते थे.