किसी की शादी का जोड़ा जला, किसी का मैट्रिक पास करने का सपना राख

पटना : किसी की शादी का कीमती जोड़ा जला तो किसी का मैट्रिक पास करने का सपना राख हो गया. सैकड़ों लोगों के सपने अब कालिखों के ढेर तले दफन हो चुकी है. पुनाइचक के राजवंशी नगर में बुधवार को हुई अगलगी की घटना के अगले दिन पीड़ित लोग कालिखों के बीच बचे-खुचे सामान ढूंढ़ते […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 17, 2017 6:15 AM
पटना : किसी की शादी का कीमती जोड़ा जला तो किसी का मैट्रिक पास करने का सपना राख हो गया. सैकड़ों लोगों के सपने अब कालिखों के ढेर तले दफन हो चुकी है. पुनाइचक के राजवंशी नगर में बुधवार को हुई अगलगी की घटना के अगले दिन पीड़ित लोग कालिखों के बीच बचे-खुचे सामान ढूंढ़ते दिखे. अधजले समानों को देख फफक कर रो पड़ते… ‘सब बर्बाद हो गेले… अब कैसे होते हमर बेटी के बियाह…’ दूसरी तरफ पढ़ने वाले बच्चे किताबों के राख के बीच बचे पन्नों को तलाश रहे थे.
एक माह बाद सजनी थी हाथों की मेहंदी
नारायण मंडल की बेटी की शादी 21 अप्रैल को होनी थी. शादी के जोड़े से लेकर लाखों के जेवर खरीदे जा चुके थे. अगलगी की घटना में सबकुछ जलकर राख हो गया. ‘बेटी औरहोने वाले दामाद के लिए 40 हजार का कपड़ा खरीदे थे…’ यह कहतेही बेटी की शादी कराने के अरमान उनकी आंखों से बहने लगते हैं. वह बताते हैं कि शादी के सिलसिले में गांव गये थे. सारी व्यवस्था कर लौट रहे थे. यहां पहुंचे तो देखा सबकुछ जलकर राख हो चुका है.
प्रैक्टिकल परीक्षा से रोका स्कूल ने
पायल कुमारी ने काफी मेहनत कर मैट्रिक की परीक्षा दी थी. गुरुवार को प्रैक्टिकल की परीक्षा थी. एडमिट कार्ड जल जाने से उसे परीक्षा देने से रोक दिया गया. वह श्रीराम लखन सिंह सर्वोदय उच्च मध्य विद्यालय की दसवीं की छात्रा है. वह बताती है कि उसने साइंस की प्रैक्टिकल कॉपी तैयार की थी. सोशल स्टडी का प्रोजेक्ट भी तैयार किया था. सबकुछ जलकर राख हो गया. एक अन्य छात्रा पूजा की सभी किताब जल गये. उसकी सातवीं की वार्षिक परीक्षा शनिवार से शुरू होगी.
राजवंशी नगर में राख के बीच तलाशते रहे भविष्य
पुनाइचक में राखों का अंबार है. जली चीजों के बीच कुछ बचे रहने की उम्मीद में बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी राखों के बीच कुछ तलाशते नजर आ रहे हैं. सबकुछ जल गया है. कमाई का जरिया ठेला. बेचने के लिए कर्ज पर लाये गये आलू-प्याज. पानी लाने वाले की साइकिल, बच्चों की किताबें, बरतन जल चुके हैं. कुछ अधजले कपड़े पसरे हैं. लोहे की कुरसी पर बैठी दादी अम्मा आंखों के सामने राख हुई संपत्ति को देख हर सामान खरीदने की जद्दोजहद याद कर किस्मत को कोस रही हैं.

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