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बिहार परचा लीक आयोग : आनंद प्रीत के मोबाइल फोन में मिले अश्लील वीडियो

पटना : दिल्ली में आनंद प्रीत बरार के गिरफ्तार होने के बाद उसके हाइ प्रोफाइल दुनिया का सच सामने आने लगा है. सियासत के गलियारों से लेकर ब्यूरोक्रेटस से उसके गहरे रिश्तों की जानकारी अब एसआइटी को धीरे-धीरे होने लगी है. एसआइटी को आनंद प्रीत बरार के गुड़गांव वाले आलीशान फॉर्म हाउस के बारे में […]

पटना : दिल्ली में आनंद प्रीत बरार के गिरफ्तार होने के बाद उसके हाइ प्रोफाइल दुनिया का सच सामने आने लगा है. सियासत के गलियारों से लेकर ब्यूरोक्रेटस से उसके गहरे रिश्तों की जानकारी अब एसआइटी को धीरे-धीरे होने लगी है. एसआइटी को आनंद प्रीत बरार के गुड़गांव वाले आलीशान फॉर्म हाउस के बारे में अहम जानकारी मिली है. पता चला है कि यहां पर महफिल सजती थी. महीने में एक से दो बार कुछ मंत्री, विधायक और अधिकारी उसके फॉर्म हाउस पर पहुंचते थे और शाम रंगीन करते थे. एसआइटी को आनंद के मोबाइल फोन में अश्लील वीडियो, न्यूड तसवीरें और लड़कियों के वॉयस रिकॉर्ड मिले हैं. इस पर जांच की जा रही है.
इसके बारे में पुख्ता जानकारी तब मिली, जब करीब एक पखवारा पहले एसआइटी ने फॉर्म हाउस पर छापेमारी की. उस दिन वहां आनंद तो नहीं मिला, लेकिन वहां काम करनेवाले नौकर व गार्ड से कई अहम जानकारियां पुलिस के हाथ लगी हैं. सूत्रों कि मानें, तो आनंद को पटना लाया जा चुका है, जबकि एसआइटी का कहना है कि ट्रांजिट रिमांड मिलने में देरी हुई है, इसलिए उसे मंगलवार की देर तक पटना लाया जायेगा.
आनंद से संबंध रखनेवाले विधायक-मंत्री के नाम केस डायरी में डाल सकती है एसआइटी : ओएमआर सीट में हेर-फेर करके प्रतियोगी परीक्षाओं में बड़ा खेल करनेवाले आनंद बरार से किन-किन बड़े लोगों के संबंध है, यह तो एसआइटी जान चुकी है. अब यह जानकारी इकट्ठा की जा रही है कि आनंद से जुड़े कौन-कौन से वीआइपी हैं, जो अपने कैंडिडेट की सेटिंग करा के पैसे कमाते थे. संबंधों की जानकारी आनंद के तीन मोबाइल नंबर के निकाले गये सीडीआर से हुई है.
इसमें कुछ वीआइपी के नंबर मिले हैं, जो उससे बात करते थे. सबसे ज्यादा बात सुधीर कुमार, परमेश्वर राम, आनंद शर्मा, प्रिंटिंग प्रेस के मालिक विनीत अग्रवाल, बिहार बोर्ड के पूर्व चेयरमैन लालकेश्वर प्रसाद से होती थी. एसआइटी कुछ और प्रूफ की तलाश कर रही है, इसके बाद आनंद की सर्किल में शामिल विधायक-मंत्रियों के नाम केस डायरी में डाला जा सकता है. सीके अनिल के पकड़े जाने के बाद तीनों को एक साथ आमने-सामने बैठा कर पूछताछ होगी.
पटना : आइएएस सुधीर कुमार ने गिरफ्तारी के बाद एसआइटी के सामने किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया था. सिर्फ इतना बोला था कि तुम लोग इन सबके चक्कर में नहीं पड़ो. बड़े-बड़े लोग फंसेंगे. इतना कहने के बाद उन्होंने इस पूरे खेल का काला सच सीने में दबाये रखा. राज अब खुलते जा रहे हैं.
कुछ परमेश्वर राम के माेबाइल फोन से मिले, बाकी आनंदप्रीत बरार से खुलासा होने की उम्मीद है. कुछ बड़ी जानकारियां भी एसआइटी के हाथ लग चुकी हैं, लेकिन अभी उसे साझा नहीं किया जा रहा है.
सुधीर कुमार का झूठ आ चुका है सामने : एसआइटी ने सुधीर कुमार से पूछा था कि बीएसएससी प्रतियोगिता परीक्षा के लिए पेपर किससे सेट कराया गया था. जवाब में सुधीर कुमार ने आइआइटी दिल्ली के एक प्रोफेसर का नाम बताया था. एसआइटी ने जब उस प्रोफेसर से पूछताछ की, तो उन्होंने साफ कहा कि उन्हें यह जिम्मेदारी नहीं मिली थी.
पटना : बीएसएससी के माध्यम से होनेवाली विभिन्न पदों के लिए परीक्षाओं में सीधी सेटिंग का भी खेल चलता था. आनंद बरार की गिरफ्तारी के बाद इस खेल का भी परदाफाश हो सकता है. इसमें न तो प्रश्नपत्र आउट करने की जरूरत और न ही किसी और प्रकार का लफड़ा. बस बैठे-बैठे ही पास कराना ही इस सेटिंग का हिस्सा था. आनंद ने कई वीआइपी की पैरवी पर उन्हें लाभ पहुंचाया था. सूत्रों के अनुसार आनंद बरार की बात प्रिंटिंग प्रेस के संचालक विनीत अग्रवाल व मैनेजर अजय से होती थी. साथ ही उसकी बात पूर्व सचिव परमेश्वर राम के दलाल आनंद शर्मा व बीएसएससी के आइटी मैनेजर नीति प्रताप सिंह से होती थी. नीति प्रताप सिंह की बात डाटा इंट्री ऑपरेटर अविनाश कुमार से होती थी.
अविनाश कुमार की बात सेटर गिरोह के पवन व अतुल से होती थी. एक तरह से पूरा चैनल बना हुआ था और बीएसएससी की इंटर स्तर की परीक्षा के दौरान कई स्तर पर खेल हुआ. जिसे प्रश्नपत्र व आंसर चाहिए थे, उसे वह दिया गया और जिसने सीधी सेटिंग करायी, उसकी उसी तरह से सेटिंग हुई. इन दोनों ही सेटिंग के तरीकों में आनंद बरार की भूमिका काफी महत्वपूर्ण थी. क्योंकि, आनंद बरार ही ऐसा शख्स था, जिसकी बात सभी से होती थी. आनंद बरार व प्रिंटिंग प्रेस संचालक के बीच आपस में बातचीत से एसआइटी यह समझ गयी कि प्रिंटिंग प्रेस की गोपनीयता खत्म हो चुकी है. अनुसंधान में जो बातें सामने आयी हैं, उसके अनुसार आनंद ही ओएमआर शीट में भी गड़बड़ी करता था.
पटना : बीएसएससी के ओएसडी व आइएएस सीके अनिल एसआइटी की शुरुआती पूछताछ में यह कबूल कर चुके हैं कि आइएएस सुधीर कुमार के अवकाश के अावेदन पर उन्होंने ने ही फर्जी हस्ताक्षर किया था. सीके अनिल ने एसआइटी के सामने यह कबूल तो कर लिया, लेकिन उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि एसआइटी इसे अनुसंधान में शामिल करेगी. वह अपनी गलती बता कर एसआइटी से क्लीन चिट चाह रहे थे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. जब एसआइटी ने आवेदन को एफएसएल में भेज दिया, तो सीके अनिल दबाव में आ गये.
इसके बाद जब आनंद शर्मा की गिरफ्तारी हुई और आनंद बरार का नाम सामने आया, तब वह अंडरग्रांउड हो गये. तलाश तेज हो गयी है. आनंद बरार से पूछताछ जारी है, जिस तरह से आनंद बरार की की बातें सामने आ रही है और सीके अनिल से गहरे रिश्तों की जानकारी एसआइटी को मिली है उससे सीके अनिल की राह मुश्किल होती दिख रही है.

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