नीट परचा लीक मामला : पैसा लेकर सेटरों ने ठगा कई अभ्यर्थियों को, 145 की जगह 120 प्रश्नों के ही उत्तर कराये उपलब्ध
खुलासा : कई परीक्षार्थियों ने कहा-145 प्रश्नों के लिए लिये थे 15 लाख रुपये पटना : अभ्यर्थी राहुल कुमार (बदला हुआ नाम) पिछले दो साल से नीट में बैठ रहा है, लेकिन सफलता नहीं मिल रही है. कोचिंग संस्थान के माध्यम से राहुल का संपर्क सेटर से हुआ. राहुल से सेटर ने 145 प्रश्न देने […]
खुलासा : कई परीक्षार्थियों ने कहा-145 प्रश्नों के लिए लिये थे 15 लाख रुपये
पटना : अभ्यर्थी राहुल कुमार (बदला हुआ नाम) पिछले दो साल से नीट में बैठ रहा है, लेकिन सफलता नहीं मिल रही है. कोचिंग संस्थान के माध्यम से राहुल का संपर्क सेटर से हुआ. राहुल से सेटर ने 145 प्रश्न देने के लिए 15 लाख की डील की. डील के साथ सेटर ने पांच लाख रुपये ले लिये.
इसके बाद एडमिट कार्ड पर कोडिंग से उत्तर देने की बात हुई. परीक्षा के दिन एडमिट कार्ड देने से पहले राहुल कुमार से बाकी बचे हुए पैसे सेटर ने ले लिये. लेकिन, जब एडमिट कार्ड लेकर राहुल परीक्षा हॉल में पहुंचा. उत्तर लिखने के दौरान राहुल काे पता चला कि उसे मात्र 120 प्रश्न के ही उत्तर उपलब्ध करवाये गये हैं. अब जब नीट का परचा लीक हुआ है, तो राहुल अपनी बातें रख कर सेटर के ठगी की बात कर रहा है. सेटर की ठगी का शिकार कई अभ्यर्थी हुए हैं.
अभ्यर्थियों ने बताया कि सेटर ने पैसे तो पूरे ले लिये, लेकिन उत्तर नहीं दिये. अब इतने कम अंक में सरकारी कॉलेज मिलना मुश्किल है. अब रिजल्ट के बाद ही पता चलेगा कि कौन सा कॉलेज मिलेगा. अगर सरकारी कॉलेज मिला तो ठीक, नहीं तो पैसे डूब जायेंगे. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक अभ्यर्थी ने बताया कि परीक्षा के आधा घंटा पहले पूरे पैसे देने के बाद ही उत्तर देने की जिद सेटर ने किया, जिससे हमें मौका नहीं मिला कि हम उत्तर की गिनती कर पाते. परीक्षा देने के बाद यह पता चला. नीट में प्रश्नों के उत्तर उपलब्ध करवाने के लिए लाखों रुपये की लेन-देन हुई. कटऑफ कितना जायेगा और कितने उत्तर देने से अभ्यर्थी को सरकारी मेडिकल कॉलेज में नामांकन मिल जायेगा, इसका पता सेटर को पहले से रहता है.
पटना : 85 फीसदी स्टेट कोटे की काउंसेलिंग के दौरान तमाम मेडिकल कॉलेजों को आरोपित अभ्यर्थियों की सूची उपलब्ध करवायी जायेगी. इसकी तैयारी बिहार संयुक्त प्रवेश प्रतियोगिता परीक्षा पर्षद (बीसीइसीइ) ने शुरू कर दी है. सूत्रों की मानें, तो 2014, 2015 व 2016 में जिन अभ्यर्थियों के खिलाफ बीसीइसीइ ने कार्रवाई की है या जिन्हें काउंसेलिंग से बाहर किया है, उनके नाम और पते फोटाेग्राफ के साथ इकट्ठा किये जा रहे हैं. इनकी सूची काउंसेलिंग के समय काउंसेलिंग सेल को दी जायेगी. ज्ञात हो कि मेडिकल कॉलेजों में नामांकन के लिए नीट के तहत एग्जाम लिये जाते हैं. इसमें 15 फीसदी सीटों पर केंद्र कोटे के तहत नामांकन होता है, वहीं 85 फीसदी सीटों पर राज्य कोटे के तहत नामांकन लिये जाते हैं.
काउंसेलिंग के दौरान हर अभ्यर्थी के फोटो, प्रमाण पत्र व हस्ताक्षर का मिलान करवाया जाता है. वेरिफिकेशन को कई चरणों में रखा जायेगा. काउंसेलिंग के दाैरान फोटो और हस्ताक्षर की जांच के लिए बीसीइसीइ द्वारा फॉरेंसिक टीम रखी जायेगी. इससे गलत फोटाे देकर काउंसेलिंग के लिए आनेवालों को पकड़ा जा सकेगा़
पटना : नीट के दौरान कई परीक्षा केंद्रों से प्रश्नपत्र लीक हुआ. केंद्राधीक्षक शक के घेरे में है. प्रश्नपत्र बाॅक्स टूटे हुए पाये गये हैं. लेकिन, इस मामले से बेखबर सीबीएसइ के पटना क्षेत्रीय कार्यालय कुछ भी बात करने को तैयार नहीं हैं. परीक्षा में हुई गड़बड़ी की जांच की बात तो छोड़िये, सीबीएसइ कार्यालय कुछ बयान तक नहीं दे रहा. बात अगर क्षेत्रीय निदेशक लखन मीणा की करें, तो उन्होंने साफ कहा कि नीट मामले में बात करनी है, तो मेरे पास समय नहीं है.
मैं नीट मामले में कोई बात नहीं करना चाहता हूं. क्षेत्रीय निदेशक से नीट से संबंधित कोई भी मिलने जाता है, तो वो बोर्ड रिजल्ट का बहाना बना कर मिलने से इनकार कर रहे हैं. कई दिनों से नीट अभ्यर्थी क्षेत्रीय निदेशक लखन मीणा से मिलने के लिए घंटों सीबीएसइ ऑफिस में इंतजार करते हैं, लेकिन उन्हें मिलने का मौका नहीं मिल रहा है. क्षेत्रीय कार्यालय ने न तो अभी तक केंद्राधीक्षकों से किसी तरह की पूछताछ की और न ही सुरक्षा में हुई चूक पर कोई जांच कमेटी बनायी गयी है.
एक तरफ सीबीएसइ स्कूलों की मान्यता समाप्त कर रहा है. वहीं, दूसरी ओर उन्हीं स्कूलों में परीक्षा के दौरान केंद्र बनाये जा रहे हैं, जो सीबीएसइ से मान्यता खो चुके हैं. डीएवी खगौल की मान्यता की समय सीमा 2014 में खत्म हो गयी थी. इसके बाद अभी तक इस स्कूल को मान्यता नहीं दी गयी है. लेकिन, इस स्कूल में नीट का केंद्र बनाया गया था. इस संबंध में जब क्षेत्रीय निदेशक से बात करने की कोशिश की गयी, तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया.
पटना : नीट प्रश्नपत्र लीक मामले में मास्टरमाइंड संजीव गुरू ने ही अपने बेटे व पीएमसीएच के छात्र शिव कुमार को सेटर बनाया था. उसने ही उसे अपने गिरोह के सदस्यों के साथ ही स्कॉलरों से मुलाकात करायी थी. प्रश्नपत्र को कहां से और कैसे लीक करना है, यह जानकारी उसे दी थी. क्राइस्ट चर्च स्कूल के केंद्राधीक्षक अविनाश चंद्र दुबे से संजीव गुरू की ही जान-पहचान थी.
शिव कुमार को उसी के माध्यम से उससे जान-पहचान हुई थी. बिहार में और अन्य राज्यों के सेटरों से भी शिव कुमार की जान-पहचान उसके पिता ने ही करायी थी. बीएसएससी प्रश्नपत्र लीक में संजीव गुरू का नाम सामने आने के बाद वह भूमिगत हो गया.
शिव कुमार पीएमसीएच में पढ़ता था, जिस कारण उसे स्कॉलर भी नहीं खोजने पड़ता था. उन्हीं स्कॉलरों के माध्यम से उसकी प्रश्नपत्र लीक कराने की योजना थी. पीएमसीएच में जाने के बाद वह अपने पिता के द्वारा की जाने वाली सेटिंग के लिए स्कॉलर उपलब्ध कराने लगा था. पूछताछ में उसने पीएमसीएच व एनएमसीएच के कुछ छात्रों के बारे में पुलिस को जानकारी दी है. लेकिन, कोई साक्ष्य नहीं होने से पुलिस गिरफ्तारी नहीं कर रही है, बल्कि शिव कुमार के बयान का सत्यापन करने में लगी है.
पहली बार प्रश्नपत्र आया था निकालने
पूछताछ के दौरान शिव कुमार ने पुलिस को यह जानकारी दी है कि वह पहली बार प्रश्नपत्र निकालने आया था. उसने पूर्व में कभी सेटिंग नहीं की है. पुलिस भी यह कयास लगा रही है कि संजीव गुरू के भूमिगत होने के बाद उसकी जिम्मेवारी शिव कुमार ने संभाल ली थी और प्रश्नपत्र लीक करने के उद्देश्य से आया था. नीट प्रश्नपत्र को लीक करने के पीछे भी संजीव गुरू का ही दिमाग काम कर रहा था.