कमतौल. ‘हथिया झुमइते आवे, घोड़वा नचइते हे सोभइते आवे ना, सखि रघुबर के बरियतिया हे, सोभइते आवे ना’, ‘बजना बजइते आवे, कसबी नचइते हे उड़इत आवे न, चउ दिस से निसान हे उड़इते आवे ना’.
बुधवार को अहल्यास्थान में आयोजित सीताराम विवाहोत्सव के अवसर पर गाजे-बाजे के साथ श्रीराम बारात शोभा यात्रा निकली. शोभा यात्राा में गीतों के बोल फूटते ही श्रद्धालुओं के जेहन में त्रेता युग में हुए सीताराम विवाह की याद ताजा होने लगी.
गांव भ्रमण के बाद देर शाम बारात सिया-पिया निवास परिसर पहुँचा. वहां महिला श्रद्धालुओं के मुंह से ‘मंगल आजु जनकपुर घर घर मंगल हे’, ‘आजु मिथिला नगरिया निहाल सखिया, चारु दुलहा में बड़का कमाल सखिया’, ‘एहन सुंदर मिथिला धाम नाही पायब कोनो ठाम, दुलहा दुल्हिन सीताराम जनकपुर में’ सरीखे कर्णप्रिय व लोकप्रिय गीतों के बोल फूटते ही अहल्यास्थान परिसर भक्तिमय रस में सराबोर हो गया.
जयश्रीराम-जय जानकी की उद्घोष से देर रात तक अहल्यास्थान का चप्पा-चप्पा अनुगुंजित होता रहा. देर रात तक लोग राम विवाह की भक्ति में डूबे रहे.
Posted by Ashish Jha