नौ वर्षों से बिछड़ी आंध्र की काल्लेम लक्ष्मी को आधार ने परिवार से मिलाया, जानें कैसे हुई पहचान
एक अर्धविक्षिप्त सी महिला बिहार सरकार के महिला गृह में सालों से रहती आ रही थी. वह अपना नाम भी नहीं बता पाती थी और एक अलग ही भाषा में कुछ बुदबुदाती रहती थी. उसे काल्पनिक नाम दिया गया ‘काजल.
पटना. एक अर्धविक्षिप्त सी महिला बिहार सरकार के महिला गृह में सालों से रहती आ रही थी. वह अपना नाम भी नहीं बता पाती थी और एक अलग ही भाषा में कुछ बुदबुदाती रहती थी. उसे काल्पनिक नाम दिया गया ‘काजल. 2015 में वह जेएम इंस्टीट्यूट ऑफ स्पीच एण्ड हेयरिंग, आसरा होम पटना में स्थानांतरित होकर आयी. यहां भी लंबे समय तक रही, लेकिन कोई उसकी भाषा नहीं समझ पाता था.
समाज कल्याण विभाग, बिहार एवं भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण, पटना के संयुक्त प्रयास से राज्य भर की महिला एवं बाल गृहों में लगने वाले आधार पंजीकरण कैंप में उसका पंजीकरण हुआ. लेकिन आधार बनने के पहले होने वाली डी-डुप्लीकेशन प्रक्रिया के दौरान उसका आधार पंजीकरण निरस्त हो गया.
जे एम आसरा होम की अधीक्षिका रीमा यादव ने उसके आधार पंजीकरण निरस्त होने की जानकारी भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के पटना कार्यालय को दी. प्राधिकरण द्वारा छानबीन में पता चला कि काजल का आधार पूर्व में ही बन चुका है, इसीलिए इसका आवेदन निरस्त हो गया है.
‘काल्लेम लक्ष्मी’ का आधार 2011 में ही बना
उसका इ-आधार डाउनलोड करने पर पता चला कि उस महिला का नाम ‘काल्लेम लक्ष्मी’ है, जिनका आधार 2011 में ही बना. वह निजामाबाद, आंध्र प्रदेश की रहने वाली हैं. फिर आंध्र प्रदेश पुलिस की सहायता से महिला के परिवार को ढूंढ़ा गया एवं गुरुवार को काल्लेम लक्ष्मी के पति एवं परिजन उसे कागजी कार्रवाई के बाद अपने साथ ले गये.
उन्होंने बताया कि लक्ष्मी लगभग नौ वर्षों से लापता थी. उन्होंने आशा छोड़ दी थी, लेकिन आधार ने उनके जीवन एवं परिवार को फिर से संवार दिया. जेएम आसरा गृह की अधीक्षिका ने अपने आसरा गृह के प्रेसीडेंट डॉ मनीषा कुमारी, समाज कल्याण विभाग के निदेशक राज कुमार, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण के सहायक महानिदेशक राजेश कुमार सिंह एवं सहायक परियोजना प्रबंधक प्रभात कुमार का आभार व्यक्त किया.
Posted by Ashish Jha