बिहार में शराब पीने वालों की अब खैर नहीं, 50 हजार से अधिक शराबियों का आधार रिकॉर्ड तैयार
बिहार में शराब पीने के आरोप में पकड़े गये करीब 50 हजार आरोपितों का आधार रिकॉर्ड तैयार कर लिया गया है. ऐसे में अगर ये शराबी दूसरे बार शराब के नशे पकड़े जाते हैं तो ये बच नहीं पाएंगे क्योंकि आधार रिकॉर्ड के माध्यम से इनकी पहचान हो जाएगी.
बिहार में अब शराब पीने वालों की खैर नहीं. मद्य निषेध, उत्पाद एवं निबंधन विभाग द्वारा राज्य में पिछले साढ़े पांच महीने के दौरान शराब पीने के आरोप में पकड़े गये करीब 50 हजार आरोपितों का आधार रिकॉर्ड तैयार कर लिया गया है. इन आरोपितों में अधिकांश को भले ही दो से पांच हजार रुपये तक का जुर्माना लेकर छोड़ दिया गया, लेकिन आधार प्रमाणीकरण से इनका बायोमैट्रिक डेटा सत्यापित कर लिया गया है. तैयार किए गए इस डेटाबेस से दूसरी बार शराब के नशे में पकड़े जाने वाले शराबियों की पहचान में मदद ली जा रही है. साथ ही इस डेटाबेस का उपयोग शराबियों के सत्यापन के लिए भी किया जा रहा है.
आधार प्रमाणीकरण के माध्यम से पकड़े गए 400 आरोपित
मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग द्वारा तैयार इस डेटाबेस की मदद से अगली बार शराब पीने या इसके व्यापार में पकड़े जाने पर ऐसे आरोपियों के खिलाफ न्यायिक कार्रवाई करते हुए जेल भेजा जा सकेगा. वहीं, विभाग ने इस दौरान आधार प्रमाणीकरण के माध्यम से करीब 400 ऐसे आरोपितों को भी पकड़ा है, जिन पर दूसरी या उससे अधिक बार शराब पीने का आरोप है.
हर महीने 17 से 18 हजार शराबियों का आधार सत्यापन
विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक फरवरी 2023 से बायोमैट्रिक के जरिए शराबियों के आधार सत्यापन की प्रक्रिया शुरू की गयी है. प्रारंभिक दो-तीन महीने में सत्यापन की रफ्तार धीमी रही, लेकिन उसके बाद इसमें तेजी आयी है. फरवरी, मार्च और अप्रैल 2023 में जहां क्रमश: 711, 1467 और 6421 शराबियों का आधार सत्यापन किया गया, वहीं मई और जून महीने में हर माह लगभग 17 से 18 हजार आरोपियों का आधार सत्यापित किया गया. जुलाई महीने के पहले पखवाड़े में करीब 10 हजार शराबियों का आधार सत्यापित किया जा चुका है.
कैसे काम करता है डेटाबेस
शराब पीने वालों के आधार सत्यापन का काम सबसे पहले राजधानी पटना से शुरू किया गया था . वहीं, अब राज्य के सभी जिलों में आधार सत्यापन के लिए मद्य निषेध विभाग का आधार प्रमाणीकरण केंद्र खोला गया है, जिसके माध्यम से आधार सत्यापन का कार्य पूरे राज्य में शुरू हो चुका है. इस प्रक्रिया के तहत शराब के नशे में पकड़े गए लोगों का सबसे पहले बायोमैट्रिक के जरिए आधार सत्यापन कराया जाता है, ताकि आधार के माध्यम से उनकी सभी जानकारी सही-सही मालूम चल सके. इसके बाद विभाग इस डेटा को अपने पास एक जगह सुरक्षित रख लेता है. वहीं जब कोई व्यक्ति दूसरी बार कोई व्यक्ति शराब के नशे में पकड़ा जाता है तो आधार सत्यापन के दौरान पहले से डेटाबेस में सुरक्षित जानकारी से उसका मिलान हो जाता है.
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पहली बार पकड़े जाने पर जुर्माना लेकर छोड़े जाने का प्रावधान
मद्य निषेध उत्पाद एवं निबंधन विभाग के संशोधित मद्य निषेध अधिनियम के तहत अप्रैल 2022 से प्रावधान किया गया है कि पहली बार शराब पीने के आरोप में पकड़े जाने पर दो से पांच हजार रुपये तक का जुर्माना लेकर छोड़ा जा सकेगा. मगर दूसरी बार अगर इस आरोप में पकड़े गये तो आरोपी कम से कम एक साल तक की सजा के हकदार होंगे. पहले एक जगह शराब पीने के आरोप में पकड़े गये आरोपी किसी दूसरी जगह पकड़े जाने पर रिपीट ऑफेंडर होने से बच जाते थे. लेकिन, आधार प्रमाणीकरण की व्यवस्था लागू हो जाने के बाद अब एक बार शराब पीने के आरोप में पकड़ा जा चुका आरोपी दूसरी बार पकड़े जाने पर बायोमैट्रिक डिटेल की मदद से आसानी से पहचाना जा सकेगा. ऐसे में आदतन शराबियों को सजा दिलाने में विभाग को मदद मिलेगी.