Agriculture: आम के पेड़ में आने वाला है मंजर, बेहतर उत्पादन के लिए कृषि वैज्ञानिक ने दिया सुझाव
Agriculture: आम का बेहतर उत्पादन लेने के लिए अभी से इसका स्वास्थ्य प्रबंधन व देखभाल आवश्यक है. ध्यान नहीं देने पर रोग और कीट पूरे बगीचे को बर्बाद कर सकते हैं. कृषि समन्वयक अमित कुमार के अनुसार, आम फलों का राजा है.
पटना. बिहार में इस साल आम का बेहतर उत्पादन हो, इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से किसानों को जागरूक किया जा रहा है. सभी प्रकार के आम की प्रजातियों में मंजर निकलने की अवस्था आ गयी है. इसलिए बेहतर मंजर प्राप्त करने के लिए प्रति लीटर पानी में तीन ग्राम सल्फर व 80 प्रतिशत डब्लू/पी का घोल तैयार कर अच्छे से पौधों की धुलाई कर दें. वहीं, फूल निकलने से पहले प्रति लीटर पानी में एक ग्राम बविस्तीन व एक मिलिलीटर इमिड़ाकलोप्रिड 17.8 एसएल का घोल तैयार कर छिड़काव करने से मधुआ के प्रकोप को रोका जा सकता है. जब फल मसूर के दाना के आकार का हो जाये, उस वक्त प्रति लीटर पानी में पुनः एक ग्राम बविस्तीन, एक मिलिलीटर इमिड़ाकलोप्रिड व तीन ग्राम बोरेक्स का घोल तैयार कर छिड़काव करना है, जो मधुआ के संक्रमण को रोकेगा.
स्वास्थ्य प्रबंधन व बेहतर देखभाल से बचा सकते हैं आम के मंजर
डॉ राजेंद्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के अनुसंधान निदेशक (मुख्य वैज्ञानिक) प्रोफेसर डॉ. एसके सिंह ने बताया कि आम का बेहतर उत्पादन लेने के लिए अभी से इसका स्वास्थ्य प्रबंधन व देखभाल आवश्यक है. ध्यान नहीं देने पर रोग और कीट पूरे बगीचे को बर्बाद कर सकते हैं. कृषि समन्वयक अमित कुमार के अनुसार, आम फलों का राजा है. इसकी देखभाल भी अच्छी तरह से होनी चाहिए. कृषि समन्वयक ने बताया कि आम के बागों को सबसे अधिक भुनगा कीट नुकसान पहुंचाते हैं. इसके शिशु व वयस्क कीट कोमल पत्तियों व पुष्पक्रमों का रस चूसकर हानि पहुंचाते हैं. इसकी मादा कीट 100-200 तक अंडे नयी पत्तियों व मुलायम प्ररोह में देती है और इनका जीवन चक्र 12 से 22 दिनों में पूरा हो जाता है. इसका प्रकोप जनवरी-फरवरी से शुरू हो जाता है.
कीट से बचाव है बहुत जरूरी
कृषि समन्वयक ने कीट से बचाने के लिए बिवेरिया बेसिआना फफूंद पांच ग्राम को एक लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करने की सलाह दी. उन्होंने बताया कि नीम तेल तीन मिली प्रति लीटर पानी में मिला कर घोल का छिड़काव करके भी इससे निजात पाया जा सकता है. बीमारी में सबसे ज्यादा क्षति सफेद चूर्ण पाउडरी मिल्ड्यू रोग से आम को होता है बौर आने की अवस्था में यदि मौसम बदली वाला हो या बरसात हो रही हो तो यह बीमारी जल्दी लग जाती है. इस बीमारी के प्रभाव से रोगग्रस्त भाग सफेद दिखाई पड़ने लगता है. इसकी वजह से मंजरियां व फूल सूखकर गिर जाते हैं.
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नपुंसक फूलों का बन जाता है एक ठोस गुच्छा
गुच्छा रोग के लक्षण दिखाई देते ही आम के पेड़ों पर दो ग्राम गंधक को प्रति लीटर पानी में घोल कर छिड़काव करना चाहिए. गुच्छा रोग में पूरा बौर नपुंसक फूलों का एक ठोस गुच्छा बन जाता है. बीमारी का नियंत्रण प्रभावित बौर और शाखाओं को तोड़ कर या काट कर किया जा सकता है. इस रोग से प्रभावित टहनियों में कलियां आने की अवस्था में जनवरी-फरवरी के महीने में पेड़ के बौर तोड़ देना भी लाभदायक रहता है. इससे न केवल आम की उपज बढ़ जाती है, बल्कि इस बीमारी के आगे फैलने की संभावना भी कम हो जाती है. यदि कृषक व बागवान अभी से आम के बागों का ध्यान रखते हैं, तो आम की अच्छी फसल प्राप्त कर सकते हैं.