आनंद तिवारी, पटना. इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में कई किलोमीटर दूर से सफर तय कर आने वाले मरीजों को भी जरूरत के अनुसार अल्ट्रासाउंड कराने की तारीख नहीं मिल पा रही है. अगर कोई मरीज पेट में दर्द की शिकायत लेकर आइजीआइएमएस पहुंचता है और उसे अल्ट्रासाउंड कराने की जरूरत पड़ती है, तो उन्हें अगले दो से तीन महीने का समय दिया जा रहा है.
इससे मरीजों को मजबूरन बाहर अल्ट्रासाउंड कराना पड़ रहा है. कमोबेश यही स्थिति एक्स-रे व एमआरआइ जांच में भी देखी जा रही है. सबसे अधिक परेशानी गर्भवती महिलाएं व पेट रोग संबंधित मरीजों को हो रही है. गर्भवती महिलाएं जिनको तुरंत अल्ट्रासाउंड की जरूरत होती है, उनको भी रेडियोलॉजी विभाग में लंबी वेटिंग डेट दी जा रही है.
दूसरी ओर अल्ट्रासाउंड कराने के बाद भी मरीजों की परेशानी कम नहीं हो रही है. रिपोर्ट लेने के लिए भी मरीजों को 12 से 15 दिन बाद बुलाया जा रहा है. दूसरी ओर मरीजों की मानें, तो वर्तमान में ओपीडी की संख्या सीमित होने के बाद मरीजों की संख्या बहुत कम हो गयी है. एक ओपीडी में सिर्फ 100 मरीज ही देखे जा रहे हैं. बावजूद मरीजों को अल्ट्रासाउंड, एमआरआइ जांच कराने में पसीने छूट रहे हैं.
मित्र मंडल कॉलोनी की रहनेवाली किरण देवी का कहना है कि पेट में दर्द व गैस बनने के बाद मैं 2 सितंबर को आइजीआइएमएस आयी. स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में डॉक्टर के निर्देश पर अल्ट्रासाउंड कराने गयी, तो मुझे 12 नवंबर की तारीख देकर उस दिन अल्ट्रासाउंड जांच के लिए बुलाया गया. परेशानी अधिक थी इसलिए बाहर 1200 रुपये खर्च कर जांच करायी.
आइजीआइएमएस के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ मनीष मंडल कहते हैं कि मेरे कोरोना के बाद ओपीडी में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इसलिए वेटिंग दी जा रही होगी. लेकिन गर्भवती महिलाओं की हर हाल में समय पर जांच करनी है. लंबी वेटिंग क्यों दी जा रही है इस बारे में जानकारी ली जायेगी. जांच हर हाल में समय पर हो, इसके लिए मैं जिम्मेदार अधिकारियों को बोलूंगा.
Posted by Ashish Jha