पटना. गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार ने मंगलवार को पटना के एमपी- एमएलए के विशेष न्यायिक दंडाधिकारी सारिका बहालिया की अदालत में आत्मसमर्पण कर जमानत का निवेदन किया. लेकिन, विशेष कोर्ट ने उनके आवेदन को खारिज करते हुए उन्हें न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया है. आइपीएस आदित्य कुमार पर यह आरोप है कि उन्होंने अपने ऊपर से केस खत्म करवाने, प्रोसेडिंग खत्म कराने व बेहतर पोस्टिंग के लिए अपने दोस्त अभिषेक अग्रवाल को पटना हाइकोर्ट का चीफ जस्टिस बना कर बिहार के तत्कालीन डीजीपी एस के सिंघल को फोन करवाया था.
चार अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल
मामला प्रकाश में आने के बाद आर्थिक अपराध इकाई ने 15 अक्तूबर 2022 को कांड संख्या 33/22 दर्ज कर अनुसंधान शुरू की थी. इस मामले में आर्थिक अपराध इकाई ने अनुसंधान के पश्चात चार अभियुक्तों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर दिया है. आदित्य कुमार काेर्ट में हाजिर नहीं हो रहे थे और इनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट भी जारी हो चुका था. अभिषेक अग्रवाल भी फिलहाल जेल में है.
कोर्ट में पेशी के बाद आदित्य कुमार को बेऊर जेल भेज दिया गया
लगातार पुलिस की दबिश के बाद आइपीएस आदित्य कुमार ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया और उन्हें बेऊर जेल भेज दिया गया है. उन्हें काफी सुरक्षा में जेल लाया गया और फिलहाल स्पेशल वार्ड में रखा गया है. सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए जेल प्रशासन ने यह व्यवस्था की है. क्योंकि इस जेल में कई कुख्यात अपराधी व नक्सली कैद हैं. विदित हो कि सुप्रीम कोर्ट ने बिहार कैडर के 2011 बैच के आइपीएस आदित्य कुमार को दो सप्ताह के भीतर आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया था.
क्या है पूरा मामला
आइपीएस आदित्य कुमार जब गया के एसएसपी के पद पर थे तो शराब मामले में लापरवाही के आरोप में उनके खिलाफ में फतेहपुर थाने में केस दर्ज किया गया था. इस केस को खत्म करने के लिए ही आइपीएस ने अपने करीबी अभिषेक के माध्यम से डीजीपी को कॉल कराया था. यहां तक की कई बार अभिषेक को चीफ जस्टिस बना कर डीजीपी को कॉल कराया और केस भी खत्म करवा दिया था. यह मामला तक खुला जब तत्कालीन डीजीपी एस के सिंघल के साथ ही अभिषेक अग्रवाल ने कई अन्य अधिकारियों को चीफ जस्टिस बन कर वाट्सएप कॉल किया.
शक होने पर हुई जांच में हुआ खुलासा
वाट्सएप कॉल पर बातचीत के बाद शक होने पर जांच की गयी और पूरा मामला सामने आ गया. इसके बाद इओयू ने भी आइपीएस आदित्य कुमार के खिलाफ केस दर्ज किया और उन्हें निलंबित कर दिया गया. इन्होंने गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट से स्टे ऑर्डर भी ले लिया था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें अग्रिम जमानत नहीं दी थी. साथ ही दो सप्ताह के अंदर आत्मसमर्पण करने को कहा था.