Purnea News: 19 माह पूर्व बगैर सर्च वारंट के एक वकील के घर छापेमारी कर उसे गिरफ्तार कर जेल भेजना पूर्णिया पुलिस के पदाधिकारियों को महंगा पड़ा. इस मामले में दायर अभियोग पत्र पर कोर्ट ने तात्कालीन 4 थानाध्यक्ष समेत आठ पुलिस पदाधिकारियों के खिलाफ गैर जमानतीय धाराओं में संज्ञान लिया था. इस आदेश को पुलिस पदाधिकारियों ने जिला जज की अदालत में चुनौती देते हुए मामले को खारिज करने की गुहार लगायी थी. जिसे तृतीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश अतुल कुमार सिंह ने खारिज कर दिया.
अदालत ने न्यायिक दंडाधिकारी के पारित आदेश को यह कहकर सही ठहराया कि अधीनस्थ न्यायालय द्वारा पारित आदेश में किसी प्रकार का हस्तक्षेप किया जाना युक्तियुक्त, न्यायोचित एवं विधि सम्मत नहीं है. अतः पुर्ननिरीक्षण वाद को खारिज करते हुए तदनुसार निस्तारित किया जाता है.
जिन आठ पुलिस पदाधिकारियों पर कार्रवाई की गयी है उनमें बायसी के तात्कालीन थानध्यक्ष सह प्रशिक्षु डीएसपी आनंद मोहन गुप्ता, तात्कालीन सहायक खजांची थानाध्यक्ष संजय कुमार सिंह,मरंगा थानध्यक्ष मिथिलेश कुमार, किशनगंज महिला थानध्यक्ष पुष्पलता कुमारी, सहायक खजांची थाने के अनि सुबोध चौधरी, अनि प्रेम शंकर सिंह, अनि अब्दुल मन्नान और अनि गुलाम ”सरवर के नाम शामिल हैं.
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यह घटना 17 जुलाई 2021 की है. पति-पत्नी के घरेलू विवाद मामले में पुलिस ने अधिवक्ता शहिदुल हक के माधोपाड़ा स्थित पर बिना सर्च वारंट के घर में घुस गयी और वकील और उसके परिवार के साथ ने केवल मारपीट की बल्कि वकील समेत परिवार के अन्य लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. जब पुलिस सीजेएम कोर्ट में रिमांड कराने पहुंची तो कोर्ट ने रिमांड करने से न केवल मना किया बल्कि पुलिस को कड़ी फटकार भी लगायी. इस मामले को लेकर 6 अगस्त 2021 को पीड़ित वकील ने सी.ए. मुकदमा नं0 914/2021 के तहत मामला दायर किया था. अदालत ने उन सभी पुलिस पदाधिकारियों के विरुद्ध भारतीय दंड संहिता 149, 323, 325, 354 (बी), 426 504 के तहत मुकदमा चलाने का आदेश पारित किया था.