बिहार में बिल्डरों पर प्रशासन हुआ सख्त, पैसे लेकर जमीन व फ्लैट नहीं देने पर अब होगा केस

पेमेंट लेने के बाद भी लोगों को उनका मकान- फ्लैट अथवा जमीन नहीं देने वाले बिल्डरों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की जायेगी. डीजीपी एसके सिंघल ने मंगलवार को सभी रेंज आइजी, डीआइजी और पुलिस अधीक्षकों को इस संबंध में आदेश जारी कर दिये हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 30, 2022 7:13 AM
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पटना. पेमेंट लेने के बाद भी लोगों को उनका मकान- फ्लैट अथवा जमीन नहीं देने वाले बिल्डरों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की जायेगी. डीजीपी एसके सिंघल ने मंगलवार को सभी रेंज आइजी, डीआइजी और पुलिस अधीक्षकों को इस संबंध में आदेश जारी कर दिये हैं. पुलिस के आला अधिकारियों की बैठक में उन्होंने कहा कि बिल्डरों द्वारा ग्राहकों से पैसे लेकर उन्हें घर, फ्लैट उपलब्ध नहीं कराया जा रहा है. ऐसे मामलों की जांच कर प्राथमिकी दर्ज हो. बिल्डर द्वारा ठगे गये लोगों की शिकायत पर कार्रवाई सुनिश्चित हो. डीजीपी ने सभी जिलों से इस संबंध में रिपोर्ट भी मांगी है. इसके आधार पर राज्य में कितने बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई की गयी, इसकी जानकारी कोर्ट को दी जायेगी.

एससी एसटी के सभी मामलों का निबटारा 60 दिन में

अनुसूचित जाति- जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के अन्तर्गत पंजीकृत सभी मामलों का निबटारा हर हाल में 60 दिन के अंदर करना होगा. 15 दिसम्बर के बाद उच्च स्तरीय बैठक में इसकी समीक्षा की जायेगी. अपराध अनुसंधान विभाग के कमजोर वर्ग के द्वारा रिपोर्ट तैयार मुख्यालय को भेजी जानी है. एसी एसटी एक्ट के मामलों को लेकर प्रत्येक जिले में एक पदाधिकारी और दो सिपाहियों को प्रतिनियुक्त कर अलग से कोषांग का गठन करने के निर्देश पहले दिये जा चुके हैं. बलात्कार की धाराओं तथा पॉक्सो एक्ट में पंजीकृत मामलों में भी 60 दिन के भीतर अंतिम प्रपत्र देना है.

बिल्डरों के खिलाफ रेरा में चार हजार मामले

पैसे लेकर निर्धारित समय के बाद भी बिल्डिंग में कब्जा नहीं देने, रिफंड और मुआवजे को लेकर करीब 4000 मामले बिहार रेरा (रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) में दर्ज हैं. इन पर अध्यक्ष व सदस्य सहित अलग-अलग कोर्ट में नियमित सुनवाई की जा रही है. गड़बड़ किये गये मामलों में रेरा जुर्माने के साथ ग्राहक को राशि लौटाने का फैसला सुनाता है. इसके बाद भी राशि नहीं लौटाने पर ग्राहक को पुन: अपील का अधिकार है. इसके साथ ही रेरा डीएम को कुर्की जब्ती करने का आदेश देने के साथ ही आरोपी बिल्डर के बैंक अकाउंट फ्रीज करने या लगातार जुर्माना लगाने का अधिकार रखता है. यह जुर्माना प्रोजेक्ट की कुल लागत का 10 फीसदी तक हो सकता है.

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