जिले में बढ़ रहे रोड नेटवर्क के साथ सड़क दुर्घटनाओं में भी लगातार इजाफा हो रहा है. घायलों की मौत का ग्राफ भी बढ़ा है. गंभीर रूप से घायलों की मौत का मुख्य कारण समय पर बेहतर इलाज का अभाव है. एक्सीडेंट में बुरी तरह घायल हुए मरीजों के इलाज के लिए एडवांस ट्रॉमा सेंटर की जरूरत होती है. मायागंज अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) के सर्जरी इमरजेंसी वार्ड में ट्रॉमा सेंटर का बोर्ड तो टंगा है. लेकिन यहां संसाधन का अभाव है. वहीं सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल के उद्घाटन के चार माह बाद भी एडवांस ट्रॉमा सेंटर को चालू नहीं किया गया है.
हर 18वां मरीज तोड़ रहा दम
ज्ञात हो कि वर्ष 2024 में रोड एक्सीडेंट के बाद इलाज के लिए 2800 मरीज मायागंज अस्पताल पहुंचे. इनमें से 147 को बचाया नहीं जा सका. आंकड़ों के अनुसार मायागंज अस्पताल आने वाला हर 18वां घायल दम तोड़ रहा है. दरअसल, कई घायलों के सर व चेहरे पर चोट लगने के बाद तत्काल न्यूरो व प्लास्टिक सर्जरी जैसी सुविधा नहीं है. शरीर के अन्य आंतरिक अंगों से ब्लीडिंग व शरीर के कई हड्डियों के टूटने के बाद एडवांस लेवल के ऑपरेशन थियेटर भी नहीं हैं. जहां एक साथ कई विभाग के चिकित्सक मरीजों का इलाज कर सके. सिर पर चोट मौत का मुख्य कारण हो रहा है. ऐसे मरीजों के इलाज की बजाय इन्हें बेहतर इलाज के लिए सिलिगुड़ी, पटना समेत अन्य बड़े शहरों में भेज दिया जाता है. शहर के निजी अस्पताल भी ऐसे मरीजों के इलाज से कतराते हैं.
सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में कब शुरू होगा ट्रॉमा सेंटर
मायागंज अस्पताल से संबद्ध सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में एडवांस ट्रॉमा सेंटर प्रस्तावित है. चार माह पहले अस्पताल का उद्घाटन तो हो गया, लेकिन ट्राॅमा सेंटर की शुरुआत अबतक नहीं हुई है. इस कारण एक्सीडेंट के इलाज के लिए पैसे वाले लोग प्राइवेट अस्पताल जाते हैं. वहीं गरीब लोग मायागंज अस्पताल पर निर्भर हैं. सुपर स्पेशियिलटी अस्पताल में एडवांस ट्रॉमा सेंटर की शुरुआत नहीं होने के कारण घायलों के इलाज की पूरी जिम्मेदारी मायागंज अस्पताल पर आ जाती है. हालांकि इस अस्पताल में कम संसाधन के बावजूद मरीजों का बेहतर इलाज होता है.
शहर से सटे सड़कों पर आये दिन हादसा
शहर से सटे बायपास, जगदीशपुर रोड, सुलतानगंज रोड, विक्रमशिला सेतु व एप्रोच पथ, भागलपुर-कहलगांव रोड समेत अन्य पथ पर आये दिन एक्सीडेंट हो रहा है. घटना के बाद अधिकांश गंभीर मरीजों को एंबुलेंस की मदद से पुलिस मायागंज अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) पहुंचा देती है. जबकि घटना में कम घायल हुए लोगों का इलाज स्थानीय सरकारी अस्पताल या निजी अस्पताल में किया जा रहा है. मायागंज अस्पताल गंभीर मरीजों के इलाज के बाद कई मरीजों की जान बच जाती है. बीते एक जनवरी को भागलपुर रेलवे स्टेशन के पास ट्रेन की चपेट में आकर एक पैंसेजर का पैर कट गया था. इसे इलाज के लिए मायागंज अस्पताल भेजा गया था. डॉक्टर ने मरीज के आधे कटे पैर को काटकर अलग कर इसपर बैंडेज कर दिया. लेकिन अत्यधिक खून बहने से मरीज की मौत हो गयी.
कुल भर्ती करीब 2800 ऑ कुल मौत करीब 147
महीना | भर्ती हुए मरीज | इतनों की हुई मौत |
जनवरी | 185 | 8 |
फरवरी | 213 | 6 |
मार्च | 265 | 11 |
अप्रैल | 251 | 14 |
मई | 245 | 11 |
जून | 210 | 13 |
जुलाई | 255 | 18 |
अगस्त | 211 | 12 |
सितंबर | 125 | 12 |
अक्टूबर | 350 | 12 |
नवंबर | 248 | 11 |
दिसंबर | 236 | 19 |
क्या कहते हैं जिम्मेदार?
सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल में ट्राॅमा सेंटर शुरू करने की प्रक्रिया चल रही है. फिलहाल स्टाफ की संख्या बहुत कम है. राज्य सरकार को पूरी जानकारी दी गयी है. इस समय चार प्लास्टिक सर्जन व एक एसआर की पोस्टिंग की गयी है. सीटी स्कैन व एमआरआइ तैयार है, इसके लिए चार टेक्निशियन की मांग की गयी है.
डॉ महेश कुमार, नोडल पदाधिकारी, सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल