पटना. फसल अवशेष (पुआल) जलाने के प्रमाण सारण, सीवान और गोपालगंज जिलों में भी मिले हैं. हवाई सर्वेक्षण में कहीं-कहीं मिट्टी की सतह काली दिखाई पड़ रही थी. इससे पता चला है कि वहां कुछ दिन पहले फसल अवशेष को जलाया गया है.
मुख्यमंत्री ने 14 दिसंबर को ‘जलवायु के अनुकूल कृषि कार्यक्रम’ के शुभारंभ करते हुए पुआल जलाने की जानकारी जुटाने के लिए हवाई सर्वेक्षण के आदेश दिये थे.
बुधवार को कृषि सचिव डॉ एन सरवण कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी डॉ गोपाल सिंह आदि ने कृषि पदाधिकारियों के साथ सारण, सीवान, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण एवं पश्चिमी चंपारण जिलाें में फसल अवशेष जलाने की घटना का आकलन करने के लिए हेलीकॉप्टर से हवाई सर्वेक्षण किया.
कृषि सचिव ने बताया कि धान कटनी के उपरांत इन जिलों में गेहूं की बुआई हो चुकी है. सर्वेक्षण में दक्षिण बिहार की तुलना में उत्तर बिहार के जिलों में फसल अवशेष जलाने की घटना बहुत ही कम मिली है.
गन्ना बहुल क्षेत्रों में फसल अवशेष जलाने की घटना छिटपुट जगहों पर हुई हैं. चार- पांच जगहों पर गन्ना की फसल का अवशेष खेत में जला हुआ देखा गया.
डॉ एन सरवण कुमार का कहना था कि यह साफ पता चला कि नदियों के संग्रहण क्षेत्र ( बहाव क्षेत्र) के कारण धान की कटाई श्रमिकों के माध्यम से करायी गयी है. खेतों में नमी होने के कारण कंबाइन हार्वेस्टर जैसी बड़ी मशीनों के संचालन की संभावना कम है.
Posted by Ashish Jha