गोपालगंज. मॉडल सदर अस्पताल में चमकी बुखार (एइएस) और जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेइ) से पीड़ित बच्चों के लिए बनाये गये पीकू अस्पताल में डॉक्टर नहीं हैं. डॉक्टर के नहीं रहने से यहां बीमार बच्चों को भर्ती नहीं लिया जा रहा है. इमरजेंसी और ओपीडी में इलाज कराने पहुंचे बच्चों को डॉक्टर द्वारा पीकू अस्पताल में रेफर किया जा रहा है.
पीकू अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर नहीं मिल रहे. परेशान परिजन बच्चों की जान बचाने के लिए बाहर के अस्पतालों में दिखाने के लिए मजबूर हैं. उधर, सदर अस्पताल में बने स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) के सभी 15 बेड फुल हैं.
स्थिति ऐसी बनी है कि यहां एक बेड पर दो-दो बच्चों को भर्ती करके रखा गया है. बेड नहीं होने के कारण यहां अब बच्चों को भर्ती नहीं लिया जा रहा है. शिशु रोग विशेषज्ञों के अनुसार एसएनसीयू में जन्म से 28 दिन तक के बच्चों को ही भर्ती लिया जाता है, जो कमजोर हैं या किसी बीमारी से ग्रसित हैं.
एसएनसीयू में अधिकतर बच्चे वैसे हैं, जिन्होंने समय से पहले आठ माह या साढ़े सात माह पर जन्म लिये हैं. कुछ जॉन्डिस से पीड़ित हैं. पांच से सात दिनों तक बच्चे को रिकवर करने में समय लगता है, गोपालगंज के अलावा एसएनसीयू में सीवान के बड़हरिया, बेतिया के बच्चे हैं.
सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ एसके गुप्ता ने कहा कि तीसरी लहर के मद्देनजर तैयारी की जा रही है. सदर अस्पताल में आॅक्सीजन प्लांट लगवाया गया है. डॉक्टर की कमी है, जिसकी डिमांड विभाग से की गयी है. ग्रामीण इलाके के अस्पतालों को सुविधा संपन्न बनाया जा रहा है ताकि मरीजों के इलाज में किसी तरह की दिक्कत नहीं होने पाये.
चमकी बुखार (एइएस) और जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेइ) से पीड़ित बच्चों के लिए बनाये गये पीकू अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ की तैनाती जरूरी है ताकि 24 घंटे बीमार बच्चों का सही तरीके से इलाज हो सके.
अस्पताल प्रशासन ने सिर्फ जीएनएम की तैनाती की है, जो डॉक्टर की लिखी दवा व ट्रीटमेंट का फॉलो करती हैं. पीकू वार्ड में डॉक्टर एसएनसीयू से ओपीडी से बुलाये जाते हैं. ओपीडी दोपहर बाद बंद हो जाता है. ऐसे में पीकू वार्ड में अॉन कॉल पर बच्चों को देखने डॉक्टर पहुंचते हैं.
Posted by Ashish Jha