बिहार में चकमी बुखार की चपेट में पड़ने लगे बच्चे, गर्मी ने दी दस्तक तो बढ़ने लगे AES के मामले, रहें सतर्क

AES In Bihar: बिहार में चमकी बुखार के मामले अब बढ़ने लगे हैं. बच्चों के बीमार होने के मामले सामने आने लगे हैं. मुजफ्फरपुर के SKMCH में फिर एक बच्चे को भर्ती किया गया है जिसमें चमकी बुखार के लक्षण पाए गए हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 24, 2023 11:52 AM

AES In Bihar: बिहार में गर्मी ने अब दस्तक दे दी है. इसके साथ ही छोटे बच्चों को लेकर उनके माता-पिता की चिंता बढ़ने लगी है. मुजफ्फरपुर में फिर एकबार चमकी बुखार (Chamki Bukhar) को लेकर लोगों में खौफ है. जिले के SKMCH अस्पताल के पीकू वार्ड में भर्ती एक बच्चे के अंदर जब इसका लक्षण पाया गया तो स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप मच गया. वहीं विभाग इससे मुकाबले के लिए पूरी तरह कमर कसकर सक्रिय हो गया है.

तीन साल के मासूम में मिले लक्षण

SKMCH में तीन साल के एक मासूम के अंदर AES के लक्षण पाए गए. शुक्रवार को बच्चे का सैंपल जांच के लिए भेजा जाएगा. इससे पहले भी दो बच्चों में AES की पुष्टि हुई थी. इलाज के बाद दोनों को डिस्चार्ज भी कर दिया गया था.

एइएस से बचाव के साथ रूटीन टीकाकरण अभियान

मुजफ्फरपुर जिले में एइएस से बचाव के साथ रूटीन टीकाकरण भी चलेगा. इसमें सौ प्रतिशत लक्ष्य रखा गया है. पिछले दो साल से एइएस और कोरोना टीकाकरण के कारण बच्चों का रूटीन टीकाकरण प्रभावित हो रहा था, लेकिन इस बार किसी अन्य कार्यक्रम के कारण टीकाकरण बाधित नहीं होगा. इस साल पांच वर्ष तक के 58,250 बच्चे चिह्नित किये गये हैं.

Also Read: अमित शाह का बिहार दौरा: मिसाइल से लैश आतंकियों को लेकर अलर्ट जारी! नेपाल बॉर्डर सील किया गया
लैब में जमा सैंपलों की मॉनीटरिंग

सूबे के एफएसएल लैब में जमा सैंपलों की मॉनीटरिंग एफएसएल ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर (एफटीएस) से होगी. इसकी कवायद अपराध अनुसंधान विभाग ने शुरू कर दी है. अपराध अनुसंधान विभाग के एडीजी इसकी मॉनीटरिंग करेंगे. स्थानीय स्तर पर जल्द एफएसएल ट्रैकिंग सॉफ्टवेयर मुजफ्फरपुर के गन्नीपुर स्थित क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला को मिलेगा. इसकी कवायद शुरू कर दी गयी है.

एफटीएस के इंस्टॉल होने के फायदे

बताया गया है कि एफटीएस के इंस्टॉल होने से सैंपल कब जमा हुआ, लैब में कब उसकी टेस्टिंग शुरू हुई, इसकी जानकारी मिलेगी. इसके अलावा जांच पूरी होने और रिजल्ट भी इसके माध्यम से पुलिस पदाधिकारी को मिलेगी. अक्सर पुलिस पदाधिकारी कोर्ट या अपने वरीय अधिकारियों को बताते हैं कि एफएसएल लैब से जांच रिपोर्ट नहीं मिली है. नयी व्यवस्था से पुलिस पदाधिकारी व एफएसएल लैब की गलतियों को आसानी से ट्रैक किया जा सकेगा.

Published By: Thakur Shaktilochan

Next Article

Exit mobile version