मुजफ्फरपुर . एइएस से बचाव के लिए आशा अब घर-घर जाकर कुपोषित बच्चों की पहचान करेंगी. पहचान के बाद इन कुपोषित बच्चों को सदर अस्पताल स्थित जिला पोषण पुर्नवास केंद्र में सीएचसी व पीएचसी से रेफर कराएंगी. वहीं एएनएम वैसे बच्चों की पहचान करेंगी, जिन्हें चमकी बुखार आया है. उन्हें सीएचसी व पीएचसी से तुरंत रेफर करा एसकेएमसीएच भेजेंगी.
राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक डॉ मनोज कुमार ने सिविल सर्जन को 15 मार्च से अभियान चला गतिविधियों की सूची भेजने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि अति गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान अगर समय से होती है, तो एेसे बच्चे एइएस से पीड़ित नहीं होंगे.
अति गंभीर कुपोषित बच्चों में सामान्य बच्चों की तुलना में 9 से 11 गुना मृत्यु का खतरा अधिक होता है तथा पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की होने वाली मृत्यु का 45 प्रतिशत अति गंभीर कुपोषण के कारण होता है. अति गंभीर कुपोषित बच्चों की पहचान करनी है.
आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता उम्र की तुलना में बहुत कम वजन वाले बच्चों की सूची तैयार करेंगी. उन्हें बेहतर इलाज के लिए स्वास्थ्य केंद्र या पोषण पुर्नवास केंद्र रेफर किया जायेगा.
बीमार, सुस्त दिखाई देने वाले, स्तनपान न करने वाले या भूख की कमी, दोनों पैरों में सूजन, सांस का तेज चलना, छाती का धंसना, लगातार उल्टी व दस्त होना, मिर्गी या चमकी आना, तेज बुखार, शरीर ठंडा पड़ना, खून की कमी, त्वचा पर घाव एवं ऊपरी बांह की गोलाई 11.5 सेंटीमीटर से कम आदि लक्षणों की जांच कर इन बच्चों को स्वास्थ्य केंद्र या पोषण पुर्नवास केंद्र रेफर करना है.
अति गंभीर कुपोषण के शिकार बच्चों के अभिभावकों को नियमित आयरन और फॉलिक एसिड की गोली, छह माही विटामिन ए सीरप एवं अल्बेंडाजोल टैबलेट की खुराक पर परामर्श भी देना है.
Posted by Ashish Jha